भाजपा के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने स्वामी विवेकानन्द के पूरे व्यक्तित्व को सामने लाने का आग्रह अपनी पार्टी की केंद्र सरकार से किया |श्री अडवाणी ने आजाद भारत में स्वामी विवेका ननद की उपेक्षा अकिए जाने पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि
इस देश ने स्वामी विवेकानन्द का पूरी तरह मूल्यांकन नही किया. स्वामी विवेकानन्द ने इस देश की आज़ादी के लिए भले ही कोई प्रत्यक्ष रूप से आन्दोलन न चलाया हो परंतु भारत सबसे आगे रहे, भारत शक्तिशाली एवं समृद्ध हो इसके लिए उन्होनें युवाओं के मन में जोश भरा, भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी दिल्ली के झंडेवालान स्थित दीनदयाल शोध संस्थान में गत 11 नवम्बर को युवा पत्रकार एवं लेखक राजीव गुप्ता की पुस्तक सबसे पहले भारत के लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे.
श्री आडवाणी ने कहा कि जरूरी है कि यह नई सरकार स्वामी विवेकानन्द के पूरे व्यक्तित्व को सामने लाए. इसके साथ श्री आडवाणी ने वर्तमान भाजपा सरकार के पूर्ण बहुमत में आने को लेकर भी अपने मन की बात कही. उन्होने कहा कि आज भाजपा जिस रूप में दिखाई दे रही है, उसके पीछे पंडित दीनदयाल उपाध्याय, डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी, कुशाभाऊ ठाकरे, नाना जी देशमुख, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे अनेक लोगों का समर्पण और शक्ति लगी है.
इस अवसर पर नए बने केन्द्र सरकार के आयुष मंत्रालय के केन्द्रीय मंत्री श्रीपाद यस्सो नाईक ने भी स्वामी विवेकानन्द के व्यक्तित्व और कृतित्व को समाज में स्थापित करने पर बल दिया.
स्वामी विवेकानन्द पर तोडो करा तोडो नामक उपन्यास लिखने वाले नरेन्द्र कोहली ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द की नजर में हमेशा भारत सबसे पहले रहा. उन्होने विदेश में जाकर भारतीय संस्कृति, सभ्यता और मेधा का जो परिचय दिया उसमें उन्होने अपना परिचय न देकर भारत का परिचय दिया. उस गुलामी के कालखंड में भी भारत को उन्होने बौद्धिक दृष्टि से सबसे समृद्ध देश बताया.
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने अपने विचार रखते हुए कहा कि सरकार को स्वामी विवेकानन्द पर गहन शोध कर तथ्यों को ठीक ढंग से समाज के सामने लाने की जरूरत है.
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