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Tag: RESIGNATION OF L K ADVANI

एल के अडवाणी को क्या राजनीतिक सन्यास देने की तैय्यारी कर ली गई थी

गोवा में नरेन्द्र मोदी को चुनावी समिति का अध्यक्ष बनाये जाने के साथ ही भाजपा के पी एम् इन वेटिंग वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी को राजनीतिक सन्यास देने की तैय्यारी कर ली गई थी और इसकी भनक अडवाणी को लग गई तभी उन्होंने स्वयम ही इस्तीफा दे कर आर एस एस का सारा गेम ही उलटा कर दिया| | अपने ब्लॉग के टेलपीस (पश्च्यलेख) में उन्होंने इसका इशारा भी किया है|

प्रस्तुत है ब्लाग का सीधे टेलपीस (पश्च्यलेख):

फिल्म कलाकार कमल हासन ने जिस पुस्तक [ ग्रे वॉल्फ: दि एस्केप ऑफ एडोल्फ हिटलर ]का वायदा किया था, वह उन्होंने मुझे भेजी। 350 पृष्ठों वाली यह पुस्तक काफी शोधपरक है। दोनों लेखकों[ साइमन डूंस्टान+शोधपरक पत्रकार गेर्राड विलियम्स ]ने मिलकर सत्रह बार अर्जेन्टीना का दौरा किया, जहां माना जाता है कि 1962 तक वह वहां रहा। इस पुस्तक का पिछला आवरण इस रुप में सार प्रस्तुत करता है:
शोधपरक पत्रकार गेर्राड विलियम्स तथा सैन्य इतिहासकार साइमन डूंस्टान ने वर्षों के अपने शोध पर यह निष्कर्ष निकाला कि बर्लिन से एडॉल्फ हिटलर का पलायन-ऑपरेशन फ्यूरलैण्ड-को नाजियों ने 1943 से ही अत्यन्त गोपनीयता से तैयार किया था। इस सम्बन्ध में काफी प्रत्यक्षदर्शियों और साक्ष्यों के अनुसार यह आपरेशन सफल रहा और हिटलर दक्षिण अमेरिका को पलायन कर गया जहां वह 1962 में अपनी वास्तविक मृत्यु तक रहा।

एल के अडवाणी की लिखी +अभिनीत+ निर्देशित और निर्मित राजनीतिक फिल्म “३६ घंटे” हिट हो गई

कभी एक हिंदी फिल्म आई थी ३६ घंटे जिसमे सुनील दत्त और राजकुमार [अब दोनों स्वर्गीय] थे फिल्म पूरी तरह से सस्पेंस +एक्शन=ड्रामा से भरपूर थी |बिना गानों के इस फिल्म की रफ़्तार भी इतनी तेज थी कि दर्शकों को बांधे रखती थी लेकिन एल के अडवाणी द्वारा लिखी गई+अभिनीत+और निर्देशित इस राजनीतिक ३६ घंटे के तेजी से बदलते गए घटना क्रम ने कांग्रेस और उनके समर्थक चैनलों ने समा बांधे रखा |जाहिर है ऐसे में कहा जा सकता है कि अडवाणी की यह फिल्म हिट गई है|भाजपा के पी एम् इन वेटिंग वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने ३६ घंटे पश्चात अपना इस्तीफा वापिस ले लिया इससे पार्टी में आया तात्कालिक भूचाल’ मंगलवार की शाम को थम गया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत की सलाह और उनके आश्वासन पर आडवाणी राजी हो गए हैं। इससे पूर्व संसदीय बोर्ड द्वारा अडवाणी के इस्तीफे को तत्काल नामंजूर किया जा चुका है|
आडवाणी ने पार्टी का हर फैसला मानते हुए इस्तीफा वापस ले लिया है। हालांकि आडवाणी को मनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी व संघ के विचारक एस गुरुमूर्ति की रही। इन दोनों ने ही आडवाणी व भागवत के बीच चर्चा से समाधान का रास्ता निकाला। दोपहर मोहन भागवत ने आडवाणी से लंबी बात भी की।
उन्होंने आडवाणी को आश्वस्त किया कि भविष्य में न तो उनको दरकिनार किया जाएगा। न ही उनकी आपत्तियों को नजरंदाज किया जाएगा। राजनाथ सिंह ने यह आश्वासन दिया है कि ‘आगे से पार्टी के कामकाज व किसी भी फैसले को लेकर आडवाणी को कोई आपत्ति होगी, तो अध्यक्ष होने के नाते वह स्वयं उसका समाधान करेंगे। यह भी तय किया गया है कि भविष्य में फैसले आडवाणी की सहमति व उनकी मौजूदगी में ही लिए जाएंगे।’