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विदेशों से संचालित एक सिख मानवाधिकार कार्यकर्ता समूह ने, भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन केलिए, डॉ मन मोहन सिंह को भी समन देने की ठानी

विदेशों से संचालित एक सिख मानवाधिकार कार्यकर्ता समूह ने भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन केलिए डॉ मन मोहन सिंह को भी समन देने की ठानी विदेशों से संचालित एक सिख मानवाधिकार कार्यकर्ता समूह [एस ऍफ़ जे]भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों को मीडिया की सुर्खियाँ देने में कोई कसर नहीं छोड़ता यह संगठन विशेष कर तब हरकत में आता है जब कोई भारतीय नेता अमेरिका की धरती पर कदम रखता है | भारतीय नेता का स्वागत ऐसे ही कोर्ट समन दवारा किया जाता है| प्रधान मंत्री डॉ मन मोहन सिंह के न्यूयॉर्क यात्रा के दौरान भी यह प्रभाव शाली संगठन मीडिया में आ गया है|
अमेरिकी अदालत से प्रधान मंत्री डॉ मन मोहन सिंह के खिलाफ 1990 में पंजाब में चलाए गए आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान कथित मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में इस संगठन ने समन जारी करवाने की तैय्यारी कर ली है|
डॉ मनमोहन सिंह के अमेरिका में आगमन पर व्हाइट हाउस स्टाफ और सिंह की सुरक्षा टीम के सदस्यों को यह समन सौंपने की बात कही जा रही है|अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात के लिए भारतीय प्रधानमंत्री गुरुवार को अमेरिका पहुँच गए हैं |
इससे पूर्व 4/9/2013 अमेरिका में इलाज करवाने के लिए पहुंची यूं पी ऐ अध्यक्षा श्री मति सोनिया गाँधी को भी अस्पताल के स्टाफ के माध्यम से समन दिए जाने की बात उठी थी उस समय न्यूयॉर्क की एक संघीय अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में कथित तौर पर शामिल कांग्रेस नेताओं को ‘बचाने’ को लेकर पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को समन जारी कियाथा जबकि एक निजी कार्यक्रम में पहुंचे पंजाब के मुख्य मंत्री प्रकाश सिंह बादल को भी इसी स्थिति का सामना करना पडा था| एसएफजे ने इसके अतिरिक्त केंद्रीय मंत्री कमलनाथ सहित कई भारतीय नेताओं के खिलाफ इस तरह के विफल प्रयास किए जा चुके हैं|

प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ मानवाधिकार हनन का मुकद्दमा अमेरिका में ख़ारिज लेकिन सिख फॉर जस्टिस अभी भी अड़ी

भारत के पंजाब प्रांत के वयोवृद्ध मुख्य मंत्री ने अमेरिका में अपने खिलाफ दायर एक केस को खारिज करवाने में बेशक ३७ लाख रुपये खर्च कर दिए लेकिन इस मुकद्दमे से अभी उनका पीछा छूटता नज़र नही आ रहा| अमेरिकन विस्कोंसिन की जिला अदालत ने बेशक बदल को राहत देते हुए मुकद्दमा खारिज कर दिया लेकिन अब न्यूयार्क स्थित मानवाधिकार समूह सिख फॉर जस्टिस [एसएफजे] ने इस मानवाधिकार उल्लंघन मामले को खारिज किए जाने के अमेरिकी अदालत के फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है। श्री बादल विस्कोंसिन के ओक क्रीक गुरुद्वारे में मारे गए छह लोगों की श्रद्धांजलि सभा में शामिल होने गए थे और वहीं उनकी गिरफ्तारी करवाने के लिए यह मुकद्दमा दायर किया गया था|
अमेरिका के विस्कॉसिन की जिला अदालत ने अपने आदेश में कहा कि बादल को कभी भी अदालत में सम्मन नहीं किया गया है.
न्यायाधीश जीन एडलमैन ने अपने फैसले में कहा कि सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने एक ‘मौलिक’ लेकिन अपुष्ट दलील दी कि बादल को अदालत की ओर से सम्मन भेजे गए हैं जबकि क्रिस्टोफर और उसके भाई ने सुरीन्दरपाल सिंह कालरा नामक व्यक्ति को पंजाब का मुख्यमंत्री मानकर उसे सम्मन भेजा था.
गौरतलब है कि एसएफजे ने बादल के खिलाफ पिछले साल मानवाधिकार उल्लंघन का मामला दर्ज कराया था। बीते शुक्रवार को विस्कांसिन जिला अदालत ने बादल के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया था। एसएफजे ने कहा कि वह अमेरिकी अपीली अदालत में फैसले को चुनौती देते हुए अपील करेगा कि भेजे गए समन के आधार पर बादल को व्यक्तिगत तौर पर अमेरिकी अदालत में पेश होने को कहा जाए।
बताते चलें कि इस मुकद्दमे को ख़ारिज करवाने के लिए पंजाब सरकार को करीब 36.85 लाख रुपए खर्च करने पड़े हैं। सरकार की तरफ से अमेरिका के वकीलों को केस लडऩे के लिए कुल 67157.27 यूएस डॉलर दिए गए थे|यह जानकारी एक आर टी आई के जवाब में सरकार द्वारा मुहैय्या करवाई गई है|
लायर्स एसोसिएशन के वकील हरमिंदर संधू का मानना है कि अमेरिका की अदालत में दायर केस का जवाब देने की जरूरत नहीं थी। पंजाब सरकार ने बेवजह 36.85 लाख रुपए खराब कर दिए।