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मुलायम बेचारे मन के भी मुलायम ठहरे सो मुजफ्फर नगर के दर्दनाक मंजरों के बजाये सैफई के राग रंग में व्यस्त हैं

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

आक्रोशित कांग्रेसी

ओये झल्लेया प्रधान मंत्री की कुर्सी पर नजरें गढ़ाए ये सपाई मुलायम सिंह यादव के पास मुजफ्फर नगर के दंगा पीड़ितों के आंसू पूछने के लिए तो समय और पैसा है नहीं लेकिन अपनी सैफई महोत्सव में नाच गाने का आनंद लेने के लिए पर्याप्त समय और करोडो रुपये उड़ाने के लिए हैं ओये ऐसे तेवर दिखा कर ही ये प्रधान मंत्री बनना चाहते हैं?

झल्ला

अरे सेठ जी आप जी ने सैफई में गाये जा रहे गाने के बोल पर ध्यान नहीं दिया “मुलायम मन के भी मुलायम हैं ” और जो बेचारा मन का मुलायम होता है उसे तो मुजफ्फर नगर जैसे दर्दनाक मंजरों से बच कर ही रहना चाहिए और जहाँ तक हो सके मधु+पराग में ही डूबे रहना चाहिए