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मुलायम सिंह ने समाजवादियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाते हुए पढ़-लिखकर ही बोलने को कहा

[लखनउ,यूपी] मुलायम सिंह ने अपने समाजवादियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाते हुए पढ़-लिखकर ही बोलने को कहा
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने सभी समाजवादी नेताओं और कार्यकर्ताओं को समस्या की आलोचना करने के साथ ही उसका समाधान भी सुझाने की सलाह दी |
उन्होंने कहा कि सभी सियासतदानों को पढ़ने-लिखने और तब बोलने की आदत डालनी चाहिये, तभी वे रचनात्मक राजनीति कर पाएंगे।
सपा प्रमुख ने अपने भाई और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के 70वें जन्मदिन और उनकी पुस्तक ‘संसद में मेरी बात’ के विमोचन के सिलसिले में आयोजित समारोह में कहा ‘‘मैंने बार-बार पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा है कि पढ़ा करो, लिखो और तब बोलो। आपको पढ़ना, लिखना और बोलना चाहिये, तभी अच्छी राजनीति कर पाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि राजनीति करने वाले और इसकी इच्छा रखने वाले सभी लोगों को रामगोपाल की पुस्तक पढ़नी चाहिये। इस किताब में समस्याओं की आलोचना के साथ समाधान भी सुझाए गये हैं। सिर्फ आलोचना से काम नहीं चलता है। आप आलोचना के साथ-साथ समाधान की भी बात करें।
यादव ने कहा कि उन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रकरण की आलोचना की और रामगोपाल ने समाधान की बात भी कही। इसे सभी ने सराहा। सपा ही ऐसी पार्टी है जिसे देश की समस्याओं और विदेश नीति पर सबसे अच्छी राय मिलती है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस अवसर पर कहा कि आज देश को एक धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी नेता की जरूरत है। इस मौके पर यहां एकत्र समाजवादियों को नेताजी ने सींचा है। आने वाले वक्त में समाजवादी लोग ही दिखेंगे। आज हम लोग चुनाव में जा रहे हैं, ऐसे में लोगों को रामगोपाल की किताब से तमाम बिंदुओं पर समाजवादियों के पक्ष को जानने-समझने का मौका मिलेगा।