कंपनियों द्वारा धोखाधड़ी की गतिविधियां के साथ तुलन-पत्र और वार्षिक रिटर्न जमा नहीं कराये जाने की घटनाएँ वृद्धि पर हैं जिसकी रोक थाम के लिए महज सरकारी कागजों के घोड़े दोडाये जा रहे हैं| यह स्वीकार किया जा चुका है कि दर्जनों मामले गंभीर धोखाधड़ी से जुड़े हैं और उनमें से ज्यादातर मार्केटिंग’ योजनाओं से जुड़े हैं | यह भी सीकारा जा चुका है कि धोखाधडी के मामलों कि जाँच के लिए आवश्यक कर्मियों लगभग ५०% कमी है ऐसे में लाखों निवेशकों की गाढ़ी कमाई डूबने का अंदेशा है|
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराये गए आंकड़ों के अनुसार २००९-१० में १९४३६२ मामलों में कंपनियों ने तुलन पत्र जमा नहीं कराया तो २०११-१२ में यह संख्या २२९८९२ हो गई है | अर्थार्त कुल ३५५३० डिफाल्टर बड़े
वार्षिक रिटर्न नहीं जमा करने वाली कंपनियों की संख्या में ३५५१९ कंपनियों की वृद्धि बताई गई है|[२२९२८७-१९३७६८]
अब इसके अलग संसद में बताया गया कि तुलन पत्र और वार्षिक रिटर्न न भरने वाली कंपनियों के विरुद्ध की गई कार्रवाई में ११०२ की कमी आई है|बेशक यह २०१०-११ के मुकाबिले २०११-१२ में ५७७ अधिक मामलों मेंकार्यवाही हुई है लेकिनतीन वर्षों के आंकड़ों की तुलना में यह बेहद कम है|
जिन कंपनियों ने पिछले तीन वर्ष के दौरान अपने तुलन-पत्र और वार्षिक रिटर्न जमा नहीं की हैं उनका ब्योरा इस प्रकार है :
अवधि=======कंपनियों की सं.तुलन-पत्र ==============वार्षिक रिटर्न====================================३५५३०====३५५१९
2009-१०=====१९४३६२================================================193768
2010-११======२०८०८७==================================================207438
2011-१२======२२९८९२==================================================229287
हाल ही में लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री श्री सचिन पायलट ने बताया कि पिछले तीन वर्ष के अंदर तुलन पत्र और वार्षिक रिटर्न न भरने वाली कंपनियों के विरुद्ध की कार्रवाई का विवरण इस प्रकार है
अवधि=====================कार्रवाई का विवर तुलन-पत्र===वार्षिक रिटर्न
2010-11===================1981==================१४७२====================११०२=====================
2011-12====================3097==================३००४
2012-13=====================879==================२०५९======-५७७============
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने संसद में यह स्वीकार किया है कि उच्च रिटर्न ऑफर करने के जरिए निवेशकों के साथ कथित धोखाधड़ी के लिए कुछ कंपिनियों की शिकायतें मिली हैं। मंत्री सचिन पायलट ने लिखित प्रश्न के उत्तर में बताया कि पिछले तीन वर्ष के दौरान और वर्तमान वर्ष में मंत्रालय ने 125 ऐसी शिकायतों के मामले में कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 235/237 के तहत जांच के आदेश दिए हैं। इनमें से ज्यादातर शिकायतें गंभीर धोखाधड़ी की हैं।
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि मंत्रालय ने ऐसी धोखाधड़ी से निपटने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। राज्यों को प्राइज चिट और मनी सर्कुलेशन स्कीम (बैनिंग)एक्ट, 1978 के तहत कड़ी कार्रवाई करने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। अनाधिकृत कंपनियों की निगरानी के लिए वित्त मंत्रालय को भी लिखा गया है। निवेशकों को चेतावनी देने के लिए बल्क एसएमस की व्यवस्था शुरू की गई है।
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कंपनियों द्वारा धोखाधड़ी की गतिविधियां के साथ तुलन-पत्र और वार्षिक रिटर्न जमा नहीं कराये जाने की घटनाएँ वृद्धि पर हैं ,रोक थाम के लिए सरकारी कागजों के घोड़े ही दोडाये जा रहे हैं
धोखाधड़ी के गंभीर मामलों की जांच करने वाला कार्यालय भी कर्मचारियों की कमी से अभिशिप्त है
धोखाधड़ी के गंभीर मामलों की जांच करने वाला कार्यालय भी कर्मचारियों की कमी से अभिशिप्त है
देश में बेशक धोखाधड़ी के गंभीर मामलों का ग्राफ ऊपर जा रहा है लेकिन धोखाधड़ी के गंभीर मामलों की जांच करने वाले कार्यालय में कर्मचारियों की बेहद कमी होती जा रही है |वर्तमान में लगभग ५०%कर्मियों की कमी स्वीकार की जा चुकी है| इस कमी को दूर करने के लिए भर्ती नियमों में संशोधन करने का प्रस्ताव अभी तक कार्मिक मंत्रालय में लंबित है|
कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री सचिन पायलट ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि धोखाधड़ी के गंभीर मामलों के जांच कार्यालय में कर्मचारियों की काफी कमी है। 95 तकनीकी कर्मचारियों के मुकाबले 53 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। इनके अलावा रिक्त स्थानों पर काम करने के लिए अनुबंध पर सात कर्मचारी रखे गए हैं।
श्री पायलट ने कहा कि इस कार्यालय के गठन के समय मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए फैसले के अनुसार कार्यालय में कर्मचारी मुख्य रूप से प्रतिनियुक्ति पर रखे जाते हैं। सरकार विभिन्न संगठनों से कर्मचारी लेने के प्रयास कर रही है। इसके लिए समाचार पत्रों में विज्ञापन भी दिए जाते हैं।
श्री पायलट ने कहा कि कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए कार्मिक मंत्रालय को भर्ती नियमों में संशोधन करने का प्रस्ताव भेजा गया है, ताकि प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारी न मिलने की स्थिति में इनकी सीधी भर्ती की जा सके। अवकाश प्राप्त सरकारी अधिकारियों को कन्सलटेंट के रूप में रखने के बारे में भी अनुमति देने का अनुरोध किया गया है।
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