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सुप्रीम कोर्ट ने लापरवाही से १५ वर्ष पूर्व इलाज करने के आरोपियों को 5 करोड़ 96 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने लापरवाही से १५ वर्ष पूर्व इलाज करने के आरोपियों को 5 करोड़ 96 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने लापरवाही से १५ वर्ष पूर्व इलाज करने के आरोप में कोलकाता स्थित एमआरआई अस्पताल और तीन डॉक्टरों को 5 करोड़ 96 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह फैसला भारतीय मूल के अमेरिकी डॉ. कुनाल साहा की पत्नी अनुराधा साहा की इलाज के दौरान हुई मौत के मामले में दिया है।
अमेरिका में बसे भारतीय मूल के चिकित्सक डा. कुणाल साहा ने उनकी पत्नी के इलाज में चिकित्सीय लापरवाही के लिए 5.96 करोड़ रूपये का मुआवजा देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इसका भारत में चिकित्सीय देखभाल के मानदंडों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
जस्टिस एस. जे. मुखोपाध्याय और वी गोपाला गौडा की खंडपीठ ने अपने फैसले में एमआरआई [ MRI ]अस्पताल और तीन डॉक्टरों को आठ हफ्तों के अंदर मुआवजे की रकम देने को कहा है।
1998 में एमआरआई अस्पताल में एक एनआरआई डॉ. साहा की पत्नी अनुराधा की मौत हो गई थी। इससे पहले राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने इस मामले में 1.73 करोड़ रुपये डॉ. साहा को मुआवजे के तौर पर अस्पताल को देने को कहा था।

दागी नेताओं की सदस्यता के मामले में यूं पी ऐ के अध्यादेश को चुनौती देने के लिए “आप”सुप्रीम कोर्ट में जन हित याचिका दायर करेगी

[नई दिल्ली]दागी नेताओं की सदस्यता के मामले में यूं पी ऐ के अध्यादेश को चुनौती देने के लिए “आप” पार्टी सुप्रीम कोर्ट में जन हित याचिका दायर करेगी |
आम आदमी पार्टी[आप] ने दागी नेताओं की सदस्यता के मामले में यूं पी ऐ सरकार के नवीनतम अध्यादेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जन हित याचिका दायर करने का निर्णय लिया है|
पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने एक प्रेस वार्ता में यह ऐलान किया|श्री केजरीवाल ने कहा कि पहले इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर नहीं करने के लिए राष्ट्रपति से आग्रह किया जाएगायदि फिर भी यह कानून बनाता है तो उसे जन हित याचिका के माध्यम से एस सी में चुनौती दी जायेगी|
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने १० जुलाई को फैसला दिया दिया था कि दो साल की सजा काटने वाले सांसद /विधायक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य होंगे|इस आदेश को उल्टा करते हुए यूं पी ऐ की सरकार ने अध्यादेश जारी कर दिया है|

“AAP” Condemned the Passing Of Ordinance Reversing Supreme Court Order On Convicted MPS & MLAs

AAM AADMI PARTY[AAP] Has Strongly Condemned the Passing Of Ordinance Reversing Supreme Court Order On Convicted MPS & MLAs
The Cabinet passed an ordinance undoing the order of Supreme Court on convicted MPs and MLAs today.
AAP Party has condemned this ordinance that has reversed the order of apex court which had debarred tainted politicians from contesting polls. Called it a blow to Democracy.
The Aam Aadmi of this country has been fighting on the streets since the last two years for a strong Jan Lokpal under the leadership of Anna Hazare. For last 42 years, the country has been demanding a strong legislation against the corrupt. However, far from passing the law, these political parties cheated the nation by making false promises – conveniently putting the Jan Lokpal bill in cold storage.
The people of this country were somewhat relieved when the Supreme Court had earlier ordered that no tainted politicians would contest elections. According to data available with Association for Democratic Reforms (ADR), there are 161 (30%) MPs in Lok Sabha today who have a tainted track record, of which 78 MPs have serious charges against them. In Delhi Assembly, there are around 32 (46%) MLAs with criminal cases, of which 8 MLAs have serious cases against them. In fact, Congress and BJP fielded 19 candidates each in the last assembly elections with criminal charges against them. The ordinance that has been passed today by the Cabinet has only betrayed the people again.
On the other hand, the opposition parties have also kept quiet, only proving that all parties are together in this decision. AAP wants to ask if most of those who pass laws and ordinances in the country are themselves corrupt and have criminal record, can we expect strong laws against rapists, criminals and the corrupt?
All this indicates just one thing – the common man of this country currently has absolutely no say in the law making process today. All this would only change if and only if representative democracy gives way to participatory democracy – where common people whose life these legislations impact have a direct say in the law making process.
Arvind Kejriwal has declared that AAP would not hesitate from withdrawing any candidate even at the last moment if criminal or corruption charges are proved against any of its candidates.

लालू प्रसाद यादव ,के विरुद्ध चल रहे चारा घोटाले, के मुकद्दमे में जज नहीं बदले जायेंगे

लालू प्रसाद यादव ,के विरुद्ध चल रहे चारा घोटाले, के मुकद्दमे में जज नहीं बदले जायेंगे लालू प्रसाद यादव के चारा घोटाले की सुनवाई कर रहे जज नहीं बदले जायेंगे राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो पूर्व मुख्य मंत्री लालू प्रसाद यादव को उच्चतम न्यायालय ने करारा झटका दिया है| चारा घोटाला मामले की सुनवाई कर रहे निचली अदालत के जज के स्थान पर किसी दूसरे जज से सुनवाई कराने की उनकी अर्जी को आज खारिज कर दिया गया और अदालत से यथाशीघ्र अपना फैसला सुनाने को कहा गया है । लालू ने अपनी याचिका में ट्रायल कोर्ट के जज पीके सिंह पर भेदभाव का आरोप लगाया था.
चारा घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरजेडी प्रमुख यादव की वो याचिका खारिज कर दी है, जिसमें उन्होंने रांची की एक अदालत में सुनवाई कर रहे जज को बदलने की मांग की थी.
भाषा के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई कर रही अदालत से चारा घोटाला मामले पर जल्द से जल्द फ़ैसला सुनाने का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में लालू प्रसाद यादव की तरफ़ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि चूंकि चारा घोटाला मामले की सुनवाई कर रही रांची के ट्रायल कोर्ट के जज पीके सिंह बिहार के शिक्षा मंत्री पीके शाही के रिश्तेदार है, उन्हें अपने साथ भेदभाव किए जाने की आशंका है.
लालू की तरफ़ से दाखिल की गई इस याचिका की जनता दल यूनाइटेड ने तीखी आलोचना की थी. जेडीयू के नेता राजीव रंजन ने कहा था कि अगर जिनके खिलाफ मामले चल रहे हैं, उन्ही लोगों की मांग पर अदालत में जजों का जबादला कर दिया गया तो यह ‘कानून का उपहास’ किए जाने जैसा होगा.
इससे पहले झारखंड हाई कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की चारा घोटाले से संबंधित याचिकाओं को रद्द किया था.
ये मामला 1990 के दशक का है जिसमें चाइबासा कोषागार से 37.7 करोड़ रुपए की निकासी कथित तौर पर गलत तरीके से की गई थी.

अखिलेश यादव ने लैप टॉप के वितरण से आगे बढे राजनितिक कदम को दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन की कुल्हाड़ी पर मार लिया

प्रधान मंत्री की सीट पर उम्मीद भरी नजरें गढ़ाए समाजवादी पार्टी वर्तमान में रेत माफिया केस में देश की राजनीती में अलग थलग पड़ चुकी है संभवत इसीलिए अखिलेश यादव की सरकार ने निलंबन के एक सप्ताह पश्चात आई ऐ एस दुर्गा शक्ति नागपाल को चार्जशीट जारी कर दी है । इस प्रक्रिया में निलंबित अधिकारी को उनके विरुद्ध लगाये गए चार्ज बता कर अधिकारी का स्पष्टीकरण माँगा जाता है ।सरकार को इसे डैमेज को कंट्रोल करने का समाजवादी प्रयास समझा जा सकता है |
इससे पूर्व निलंबित अधिकारी ने मुख्य मंत्री के सचिव से बात चीत करके अपनी स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास किया जिसके अगले ही दिन यह चार्ज शीट की कार्यवाही की गई है| बेशक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि नोएडा की एसडीएम (सदर) रहीं आईएएस अधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल का निलंबन वापस नहीं होगा लेकिन इसके साथ सपा के सांसद नरेश अगरवाल के सुर बदले हुए दिखाई दिए हैं |उन्होंने पत्रकारों को बताया के दुर्गा शक्ति नागपाल कानूनी प्रक्रिया का पालन कर रही है उन्होंने पत्रकारों पर टिपण्णी करतॆ हुए कहा के आप [पत्रकार]लोग मामले को तूल देना बंद करें तो दुर्गा शक्ति नागपाल को न्याय मिल सके |
इससे पहले समाजवादी पार्टी के विधायक नरेन्द्र भाटी+राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल+ प्रदेश में काबिना मंत्री आज़म खान+राजेंद्र चौधरी+शिव पाल यादव और खनन मंत्री प्रजापति ने दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन को तत्काल सही ठहराया था | आज़म खान और नरेश अगरवाल ने तो यहाँ तक कहा था कि अधिकारी भी सांप्रदायिक मानसिकता से कार्य कर रहे हैं. यदि डीएम ने दुर्गाशक्ति को क्लीनचिट दी है तो उनके ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की जानी चाहिए.उन्होंने खनन के मामले को पूरी तरह गलत बताया|
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती +भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने प्रदेश सरकार को घेरते हुए कहा के उत्तर प्रदेश में आपराधिक तत्वों का राज चल रहा है जिसका शिकार उत्तर प्रदेश की जनता के साथ-साथ अपने कार्यों के प्रति निष्ठावान और ईमानदार अफ़सर भी बन रहे हैं.एक ईमानदार अफ़सर पर ग़लत कार्रवाई की गई है और पूरा देश दुर्गाशक्ति नागपाल के साथ है.|
गौरतलब है के 2009 बैच की आईएएस अधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल को पिछले दिनों निलंबित कर दिया गया थाइसके लिए उनसे कोई स्पष्टीकरण तक नहीं माँगा गया|उसके पश्चात सैंड माफिया के रूप में उभरे नरेन्द्र भाटी ने एक सभा में में कह दिया के मात्र ४१ मिनट्स में उन्होंने दुर्गा शक्ति नागपाल को सस्पेंड करा दिया | .
विपक्ष के आरोपों के मुताबिक दुर्गाशक्ति नागपाल इसी खनन माफ़िया के खिलाफ़ सख़्ती से कार्रवाई कर रहीं थी जिस कारण दीवार का बहाना बनाकर उनका निलंबन किया गया. सूत्रों की माने तो नरेन्द्र भाटी ने ही बीते दिनों अपने पैसे से यह दिवार बनवाई थी और मस्जिद बनाने के लिए छेत्र वासियों को उकसाया था |इसके पीछे अनेको कारण बताये जा रहे है लेकिन एक महत्त्व पूर्ण कारण यह भी बताया जा रहा है के सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सार्वजानिक स्थल पर धार्मिक स्थल नही बनाये जा सकतेऐसे में अगर अवैध दीवार गिराई नहीं जाती तो अधिकारी की जवाब देही बनती है और अगर अधिकारी दीवार गिराने की कार्यवाही करतॆ है तो भी उनके खिलाफ जनाक्रोश को भड़काने का आरोप लगा कर अधिकारी को प्रताड़ित किया जा सकता है| इस घटना के पश्चात पूरे प्रदेश में सम्प्रदाइक तनाव को हवा दी गई डी एम् के चैनल को हटा[ Avoid] कर एल आई यूं से सीधे रिपोर्ट मंगाने का दावा किया गया | वास्तव में सेंड माफिया के एक फोन के पश्चात ४१ मिनट में ही सस्पेंशन आर्डर सर्व भी करा दिए गए| पौने पांच हज़ार सदस्यों वाली आईएएस एसोसिएशन ने दुर्गाशक्ति नागपाल के समर्थन में आ गई है|
अभी तक हाई कोर्ट और केंद्र सरकार ने इस घटना क्रम में सीधे हस्तक्षेप में रुचि नहीं दिखाई है लेकिन लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर नूतन ठाकुर ने एक याचिका दायर करके आईएएस अधिकारी दुर्गाशक्ति के निलंबन को चुनौती दे दी है कोर्ट ने रेत खनन +मस्जिद निर्माण पर प्रदेश सरकार से रिपोर माँगा ली है| इसके अलावा कांग्रेस+भाजपा+बसपा+रालोद+ आप+आदि अनेको दलों ने प्रदेश सरकार के इस कदम को अनुचित बताया है और भाजपा ने तो संसद के मानसून सत्र में मामले को उठाने की बात कही है| अखिलेश यादव की सरकार अपने राज हट्ट पर कायम रहते हुए अभी तक अधिकारी के निलंबन को रद्द करने से मना करके अपनी किरकिरी कराती आ रही है| लोगों ने तो यह भी कहना शुरू कर दिया है के लैप टॉप के वितरण से जो राजनितिक कदम आगे बढे थे दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन की कुल्हाड़ी पर उसी बढे कदम को स्वयम मार कर जख्मी कर लिया गया है |

“आप” ने कामन मेडिकल एंट्रेंस पर कोर्ट के फैसले को दुर्भाग्य पूर्ण बताया और पुनर्विचार की मांग की

कामन मेडिकल एंट्रेंस की आवश्यकता को समाप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को आम आदमी पार्टी [आप]ने दुर्भाग्य पूर्ण बताया और इस पर पुनर्विचार की मांग की है| आप पार्टी ने मांग की है कि सरकार और एम् सी आई + [ National Eligibility cum Entrance Exam ] द्वारा इस फैसले पर पुनर्विचार करा कर एक कानून बनाया जाना चाहिए|
आप पार्टी ने आरोप लगाया है कि आउट गोइंग चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर ने अपनी सेवानिवृति से कुछ घंटे पूर्व ही यह निर्णय दिया है|जस्टिस दवे द्वारा इस पर आपत्ति भी की गई है| इस फैसले के पीछे षड्यंत्र का आरोप लगाते हुए पार्टी का कहना है कि इस फैसले के कई दिन पहले ही प्राईवेट कालेजों द्वारा इसे लेकर प्रचार शुरू कर दिया गयाथा |
इस फैसले के लागू होने से प्राईवेट मेडिकल कालेजों को अपने यहाँ सीटों की खरीद फरोख्त की आजादी मिल जायेगी जिसकी रोकथाम के लिए एम् सी आई और सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जानी चाहिए|

दागियों को संसद से दूर रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एतिहासिक फैसले का आम आदमी पार्टी ने स्वागत किया

दागियों को संसद से दूर रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दागी शब्द की व्याख्या कर दी है इस एतिहासिक फैसले का आम आदमी पार्टी[आप] ने स्वागत किया और मांग की है कि जिनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लगाई जानी चाहिए| गौरतलब है कि कांग्रेस के 44, भाजपा के 43, समाजवादी पार्टी के नौ, बहुजन समाजवादी पार्टी के छह, जेडीयू के आठ और सीपीएम के तीन सांसद हैं. ऐसा ही हाल राज्यसभा में देखा जा रहा है. 41 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से 16 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
राजनीति को साफ करने के सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले को आप पार्टी ऐतिहासिक मानती है और इसका स्वागत करती है. पार्टी का मानना है कि इस फैसले से अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को राजनीति से दूर रखने में काफी मदद मिलेगी.
आप पार्टी पहले से ही यह कहती आई है कि जब तक अपराधियों और भ्रष्टाचारियों के लिए संसद और विधानसभाओं के रास्ते बंद नहीं किए जाते, सही मायने में लोकतंत्र स्थापित नहीं होगा. पार्टी का मानना है कि न सिर्फ सजायफ्ता, बल्कि ऐसे लोगों के भी चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जानी चाहिए, जिनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है.
अदालत ने “दागी” शब्द की फिर से व्याख्या करते हुए ऐसे लोगों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है जिनको किसी भी अदालत से दो साल की सजा हुई हो और उन्होंने उस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालतों में अर्जी लगा रखी हो. जनप्रतिनिधित्व कानून ऐसे सजायाफ्ता लोगों को भी चुनाव लड़ने का अधिकार देता है जिन्होंने कोर्ट के फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालतों में अर्जी लगा रखी हो और जिसपर सुनवाई चल रही हो.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राजनीति को साफ करने की आम आदमी पार्टी की मुहिम को मदद मिलेगी. पार्टी आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है. पार्टी का वादा है कि ऐसे किसी भी व्यक्ति को टिकट नहीं दिया जाएगा जिसे किसी अदालत से सजा हुई हो या जिसके खिलाफ किसी आपराधिक मामले में चार्जशीट भी दाखिल हुई हो.
एडीआर की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा में फिलहाल करीब एक तिहाई (161 सांसदों के) सांसदों के ऊपर आपराधिक मामले चल रहे हैं. उनमें से 78 यानी 15 प्रतिशत लोगों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं.
दागी लोगों को संसद तक पहुंचाने में सभी पार्टियों ने भरपूर रुचि दिखाई है. इन 161 दागी सांसदों की सूची में कांग्रेस के 44, भाजपा के 43, समाजवादी पार्टी के नौ, बहुजन समाजवादी पार्टी के छह, जेडीयू के आठ और सीपीएम के तीन सांसद हैं. ऐसा ही हाल राज्यसभा में देखा जा रहा है. 41 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से 16 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली विधानसभा में भी आपराधिक छवि के लोगों की भरमार है. दिल्ली के 70 विधायकों में से 32 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से आठ के खिलाफ तो गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं.

निर्वाचन आयोग ने दलों के घोषणा पत्रों पर दिशानिर्देश बनाने के लिए मान्‍यता प्राप्‍त दलों की एक बैठक बुलाने का निर्णय लिया

भारत के निर्वाचन आयोग [ ECI ]ने उच्‍चतम न्‍यायालय के निर्णय को संज्ञान में लेते हुए सभी राष्‍ट्रीय और राज्‍य स्‍तर के मान्‍यता प्राप्‍त दलों की एक बैठक बुलाने का निर्णय लिया है| इस बैठक में उच्‍चतम न्‍यायालय के 2008 और टीसी संख्‍या 2011 की 112- सुब्रामण्‍यम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार और अन्‍य की एसएलपी (सी) संख्‍या 21455 पर 5.7.3013 को राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों पर दिशानिर्देश बनाने के लिए दिये गए एक निर्णय को लागू करने के संदर्भ में चर्चा की जानी है| ऐसी बैठक के लिए शीघ्र ही कोई तिथि निर्धारित की जायेगी। इस बीच, चुनाव आयोग निर्णय की एक प्रति मान्‍यता प्राप्‍त दलों को उनकी सूचना और दृष्टिकोण तैयार करने के लिए भेज चुका है।
[2]. आयोग उच्‍चतम न्‍यायालय के निर्णय का संज्ञान ले चुका है कि इसे राजनीतिक दलों के घोषणा-पत्रों को तैयार करने के लिए दिशा-निर्देश बनाने चाहिए। यह निर्णय हो चुका है कि इस मामले में आगे कोई भी कार्रवाई करने से पहले राजनीतिक दलों का दृष्टिकोण लिया जायेगा।
[3]. आयोग शीघ्र ही सभी राजनीतिक दलों के बीच इस मामले में एक संदर्भ-पत्र वितरित करेगा। इसकी तैयारी के संदर्भ में आयोग राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर इस विषय पर उपलब्‍ध विचारों और व्‍यवहारों को संग्रहित करने का प्रयास शुरू कर चुका है।
निर्वाचन आयोग द्वारा यह जानकारी आज 8 जुलाई, 2013 को दी गई।

आम आदमी पार्टी, बर्बरता के खिलाफ, दिल्ली पोलिस को सुप्रीम कोर्ट ले जाएगी

कांग्रेस की बर्बर दिल्ली पुलिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी आम आदमी पार्टी|
आम आदमी पार्टी [आप]ने आज दिल्ली पोलिस पर कांग्रेस के इशारों पर “आप” पार्टी के कार्यकर्ताओं का उत्पीडन करने का आरोप लगाते हुए इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट जाने की घोषणा की है|पार्टी का कहना है कि इस प्रकार की दमनात्मक कार्यवाहियों से आम आदमी पार्टी का मनोबल टूटेगा नहीं वरन और उत्पीडन के विरुद्ध आन्दोलन को और तेज किया जाएगा|
गोकुलपुरी बलात्कार मामले में एफ.आई.आर. की मांग कर रहे आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं के ऊपर बर्बरता दिखाकर दिल्ली पुलिस ने गुंडों की तरह व्यवहार किया है. जाहिर है कि यह हरकत आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं से बदला लेने के लिए की गई है, क्योंकि पिछले कई महीने से पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बलात्कार मामले में दिल्ली पुलिस को एक्शन लेने पर मजबूर किया है और इसके टालमटोल वाले रवैये की पोल खोली है. आम आदमी पार्टी के इस एक्शन के चलते ही दिल्ली पुलिस के एक एसीपी को सस्पेंड किया गया है. गोकुलपुरी थाने में निर्दोष लोगों पर लाठियां बरसा रहे पुलिसवाले बार बार कह रहे थे कि आज तो मीडिया यहां नहीं है, अब हमें कैसे सस्पेंड करवाओगे? यहां यह भी उल्लेखनीय है कि दिल्ली पुलिस ने जिन लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज किए हैं उनमें बीनू , उसका भाई नरेंद्र और उसकी बहन पुष्पा भी शामिल हैं. बीनू वही कार्यकर्ता है जिसे चांटा मारने के बाद एसीपी अहलावत को सस्पेंड किया गया था. बीनू के भाई को तो हंगामा थमने के बाद, गाडी से निकालकर पकड़ा गया और थाने में पहले उसे बुरी तरह पीटा गया और फिर उस पर तोड़ फोड़ करने का मुकदमा लगाकर तिहाड़ जेल भेज दिया गया.
पुलिस ने इस कार्रवाई से यह संदेश देने की कोशिश की है कि बलात्कार की घटनाओं पर एफआईआर तक न करने का उसका रवैया जारी रहेगा और अगर कोई उसके खिलाफ बोलेगा तो उसके हाथ पैर तोड़कर तिहाड़ जेल में भिजवा दिया जायेगा. दिल्ली पुलिस के इसी रवैये के चलते आज पूरी दिल्ली में बलात्कारियों के हौसले बुलंद हैं और देश की राजधानी में आज कोई महिला अपने को महफूज़ नहीं समझती.
आम आदमी पार्टी दिल्ली पुलिस की इस हरकत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जायेगी और सुनिश्चित करेगी कि निर्दोष लोगों के हाथ पैर तोडने और उन पर फर्जी मुकदमे लगाकर तिहाड भेजने की साजिश रचने वाले सभी पुलिसकर्मियों को नौकरी से निकाला जाए. हम इस मामले में दोषी हर पुलिसकर्मी को जेल भिजवा कर रहेंगे ताकि दिल्ली के हर पुलिस वाले को संदेश जा सके कि उसका काम जनता की सेवा करना है, उसके ऊपर लाठियां बरसाना नहीं.
आज से आम आदमी पार्टी दिल्ली पुलिस की इस हरकत को लेकर जनता के बीच भी जायेगी. आज से हम पूरी दिल्ली में इसके लिए प्रचार अभियान शुरू कर जनता को संदेश देंगे कि यह कांग्रेस की बर्बर दिल्ली पुलिस है और अगर इसके आतंक से छुटकारा पाना है तो अपराधी और बेईमानों की जगह ईमानदारों को चुनकर सत्ता में लाना होगा.

केंद्र सरकार अपने रक्षा सचिव को कैग के बजाय अकाउंटेंट के रूप में इस्तेमाल कर सकता है ;जनहित याचिका

नए कैग की न्युक्ति को लेकर आर टी आई के बाद अब पी आई एल दाखिल कर दी गई है| राष्ट्रपति डा, प्रणव मुखर्जी ने देश के लेखानियंता[ Comptroller ]& [ AuditorGeneral ] के रूप में केंद्र सरकार के रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा को शपथ दिला दी है लेकिन इसको चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में गुरुवार को एक जनहित याचिका भी दायर कर दी गई।याचिका में कहा गया है कि वह खुद रक्षा सचिव के रूप में काम कर चुके हैं और हाल के दिनों में रक्षा सौदे में अनेकों घोटालों की बात सामने आई है। कहा गया है कि रक्षा विभाग के एक पक्षकार द्वारा किया जाने वाला लेखा आडिट निष्पक्ष कैसे हो सकता है|।इस जनहित याचिका की सुनवाई ग्रीष्मावकाश के बाद होने की प्रबल संभावना है।
उल्लेखनीय है कि श्री शर्मा ने आज ही सीएजी[ CAG ] के रूप में शपथ ली है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। श्री शर्मा का कार्यकाल 24 सितंबर 2017 तक होगा। उन्होंने विनोद राय का स्थान लिया है जो कल सेवानिवृत्त हो गए। श्री शर्मा इससे पहले रक्षा सचिव थे।
आम आदमी पार्टी के प्रशांत भूषण ने भी यह आरोप लगाया है कि ‘शर्मा ने 2003 से 2010 तक रक्षा मंत्रालय में संयुक्त +अतिरिक्त सचिव के रूप में अलग-अलग पदों पर काम किया है । इसके बाद 2011 में रक्षा सचिव बने। इस दौरान लाखों-करोड़ों के रक्षा सौदे हुए।इन सौदों पर आपत्ति कि जा रही है और इनका आडिट किया जाना है|
1976 बैच के बिहार कैडर से आईएएस अफसर शशिकांत शर्मा जुलाई 2011 से रक्षा सचिव हैं। और फिलहाल सर्विस एक्सटेंशन पर हैं|यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल करने वाले हैं। रक्षा सचिव बनने से पहले वे वित्त मंत्रालय में सचिव (वित्त सेवाएं) थे। उसके पहले 2003 से 2010 के दौरान उन्होंने रक्षा मंत्रालय में ही संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव और महानिदेशक (खरीद) पदों पर भूमिका निभाई है।
कैग न्युक्ति की प्रक्रिया
इस न्युक्ति पर पहले भी आर टी आई के माध्यम से आपत्ति उठाई जा चुकी है|जिसके जवाब में केंद्र सरकार ने यह स्वीकार किया है कि कैग की न्युक्ति के लिए योग्यता का कोई माप दंड नही है|परम्परा को ही न्युक्ति का आधार बनाया गया है|बताया गया है कि
[१]कैग की नियुक्ति 6 साल या 65 वर्ष की आयु तक के लिए होती है।
[२]वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव पर सरकार राष्ट्रपति को सिफारिश भेजती है।
[३]इसके लिए कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं है। पुरानी परंपरा का ही पालन होता है।
[४]कैग के पद पर नियुक्ति के लिए योग्यता के संबंध में कोई शर्त नहीं है।
[५]इसके लिए कोई सलेक्शन कमेटी नहीं । सरकार जिसे चाहे उसे बना सकती है।