झल्लीगल्लां
उत्तेजित शिक्षक
ओए झल्लेया! ये सरकार ने क्या कहर बरपा किया हुआ है?ओए पहले तो कोरोनासुरों के आतंक में चुनाव करवाये फिर हमारी मर्जी के बगैर हमारी ड्यूटी असुरक्षित छेत्रों में लगा दी।जिसके फलस्वरूप डेढ़ हजार कर्मी मारे गए लेकिन सरकार ओनली तीन शिक्षकों की मृत्यु को ही कोरोना मुआवजे के लिए सुपात्र मान कर हसाडे जले पर नमक छिड़क रही है।ओए ये तो सरकारी नाकामी और झूठ की बेशर्मी का सबूत है
झल्ला
चुनाव हो लिए सो निडर सरकार ने अध्यापकों की मृत्यु पर निर्भीकता से पल्ला झाड़ा माननीय ! मृतकों के प्रति मेरी सम्वेदनाएँ है।
चुनाव हो लिए!सो मस्त सरकार को कोई डर या जरूरत नही है।इसीलिए निर्भीकता से कहा जा रहा है कि तीन ही मरे।शेष लोगों की मृत्यु के कोई प्रमाण नही हैं
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