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Tag: TimePassShayari

पत्ते टूटे कोम्पल फूंटी प्रकृति नववधू सुहाई ,मनवा बजे ढोलक फाग मस्ती छाई

Happy Spring
बसंत ऋतू आई आई ,बूढ़ा मनवा भी ले अंगड़ाई
कामदेव का बाण चला ,उल्लास उमंग फिर भाई
पत्ते टूटे कोम्पल फूंटी प्रकृति नववधू सी सुहाई ,
मनवा बजे ढोलक डम डम फाग की मस्ती छाई
हर ठौर ऋतु सुहावनी छाई,सुगंध मादकता लाइ
कहाँ ढूँढू अपना सजन,कहाँ छुपा है मोरा मदन
पवन चले सनन सनन ,मनवा उड़े गगन गगन
कहाँ ढूँढू अपना सजन, कहाँ छुपा है मादक मदन

यूं पी बचाने की खातिर बोलें मुलायम+आज़म खान,हर हर गंगे अबे हट नंगे

क्या रखा है ज्ञानम् में ? और क्या रखा है ध्यानम में ??धो लो मन के पाप सभी अब गंगा के स्नानम में ,
हर हर गंगे,अबे हट नंगे ,हर हर गंगे,अबे हट नंगे गंगा हमारी माँ का नाम ,गौ शालाओ में सभी रहता
अब तुम खुद ही फैंसला कर लो किसको है रुलाना फैंसला कर लो कौन महागठबंधन लखनऊ बैठाना
२०१७ के चुनाव देख होगये सपाई सारे परेशान गंगा घाट पर जाकर वजू करें आचमन करें सीना तान
दिल्ली में ठुकराये गए ,बिहार से भगाए गए ,यूं पी बचाने की खातिर बोलें मुलायम+आज़म खान,
हर हर गंगे अबे हट नंगे,हर हर गंगे अबे हट नंगे,यूं पी मेरी मेरे बाप की हर हर हर गंगे ,हर हर हर गंगे

लोकी उगा लेन्दे ने हत्तान व्हिच सरसों मरजाणी हसाड़ी तली हींग वी नहीं धरदी

लोकी उगा लेन्दे ने हत्तान व्हिच सरसों
मरजाणी हसाड़ी तली हींग वी नहीं धरदी
अस्सी वी धो रखियां हथेलियाँ शैम्पू नाल
मंग के खाँण वाले कदे भूक्खहे नहीं मरदे

उफ़ ये गर्मी तो जाने का नाम ही नहीं लेती,अरे मेहमान तो दो दिन ही अच्छा होता है

सूरज तुझे भी पूरा हक़ है हमें रुलाने का
पर चुप कराने का हुनर भी आना चाहिए
ठीक है,तुम्हें कपडे अच्छे नहीं लगते
सामाजिक तकाजा है ,सो मजबूरी है
मोती मानस चून से दुश्मनी हुई पुरानी
इंसानों की जान पर आफत बन आई है
ये गर्मी क्या क्या गुल खिलाएगी
पारा तो जा पहुंचा हैं ४३ पर अभी
उफ़ ये गर्मी तो जाने का नाम ही नहीं लेती
अरे मेहमान दो दिन का ही अच्छा होता है
माना होंगें तुम्हारे चाहने वाले भी दुनिया में
उनको भी मेजबानी का अवसर मिलना चाहिए

जाग कर भी सोने वाले सफ़ेद पॉश हुकमरान एक नहीं हजार मिलते हैं

जागते हुए सोने वाले सफ़ेद पॉश हुकमरान हजार मिलते हैं जीहाँ हर तरफ मिलते हैं
शायद यही वजह है जन्नत में रहने वाले भी जहन्नुम की ही आग में बिलखते हैं
कश्मीर है जन्नते हिन्दुस्तान ये सबने माना है सबने जाना है विदेशी भी दीवाना है
हुकमरानों की गफलतों से दोनों तरफ के कश्मीर में मचा हुआ दोजखी कोहराम है
हमें जाग जाने को कह रहे हैं आज कल, ऐसे कई जो दशकों से खोये हैं गफलतों में
हमें सोये हुए ख़्वाब देखने का हक़ नही ,हुकमरान जाग कर भी इंद्र लोक सजाये हैं
ये कया कह दिया कहाँ मिलते हैं जाग कर भी सोने वाले ऐसे सफ़ेद पॉश हुकमरान
अरे हुजूर ज़रा नजरें घुमा कर नजदीक देखिये एक नहीं ऐसे तो हजार मिलते हैं

ख़ुशी बेच ,उम्मीदों की सीढ़ियां बढ़ा,पूरी कर ख्वाहिशें,जिंदगी सुकून से गुजरती जाएगी

नफरतों की आँधियाँ यूं हीं बहा करती नही ,तन्हाईयों से खेलने का शगुल भी जिम्मेदार है
अरे पगले दुनिया पर ज़रा नजरें डाल कर तो देख,जवानी हर उम्र की अंगड़ाईयाँ ले रही है
खौफ,इन्तेजार,बोझिल शब्दों को डाल समुद्र में खुशियां बुनने को एक छोटी सी डोरी तूँ बना
कोशिश ईमानदार हो,नतीजे गर असरदार हों ,जमाना खुद ही हो जाएगा तुझ पर मेहरबान
जिंदगानी को खुशग़वारी का बस झोँका तो दिखा ,रूह में बसी खुशबू ये बोलेगी खुदबखुद
ख़ुशी बेच ,उम्मीदों की सीढ़ियां बढ़ा,ख्वाहिशें पूरी कर ,जिंदगी सुकून से गुजरती जाएगी

मोदी जी ने बच्चो संग किया गजब संवाद कईयों के दिलों पर अभी लौटते होंगें सांप

मोदी जी ने बच्चो संग किया गजब संवाद
कईयों के दिलों पर अभी लौटते होंगें सांप
कोई पूछे ये बाल है या ये अपना टीचर डे
शिक्षक दिवस में भावी वोटरअभियान
मोदी जी ने बच्चो संग किया गजब संवाद
कईयों के दिलों पर अभी लौटते होंगें सांप
ये तो है देशी शिक्षकों का घोर अपमान
एक ही दिन मिलने वाला धुला सम्मान
मोदी जी ने बच्चो संग किया गजब संवाद
कईयों के दिलों पर अभी लौटते होंगें सांप
झल्ले के दिमाग में आया झल्ला विचार
बच्चों से गिफ्ट दिलाते तो होता अपमान
मोदी जी ने बच्चो संग किया गजब संवाद
कईयों के दिलों पर अभी लौटते होंगें सांप

बालों में सफेदी,आँखों पर चढ़ा चश्मा लेकिन कमबख्त का सर झटकने से दिल ही नहीं भरा

बाँकी पलकें झुका कर कातिल अदा से उठाई उस जालिम ने
इस कदर उनमे खोया “झल्ला” पलकें झपकाना भूल गया
बालों को संवारने को जब उसने दिया अपने सर को झटका
कसम उस झटके की दिल उन्हींं जुल्फों में जाकर अटका
कसमे उसकी+खुद्की खा कर जब होने लगा मुह बदमज़ा
बालों में है उसके सफेदी और आँखों पर चढ़ा मोटा चश्मा
लेकिन कमबख्त का सर को झटकने से दिल ही नहीं भरा

वेस्टर्न यूं पी सिहर रही है+जनता सुलग रही है और सत्तारुड सपा उछल रही है

वेस्टर्न यूं पी सिहर रही है+ईस्टर्न यूं पी चमक रही है
जनता बेचारी सिमट+सुबग+सिसक रही है और
सपा तो उछल रही है इसीलिए सभी को खटक रही है
बिजली हो+बीमारी हो+अपराध हो या भाई चारे का नाश
कांग्रेस भटक रही है+बसपा भाम्भड भूसे है
और भाजपा बिलख बिलख ओनली उछल रही है
और अभिशिप्त बेचारी वेस्टर्न यूं पी सुलग रही है

सौ रुपयों में टमाटर अगर खाया तो चढ़ा रंग हुआ भी उतरेगा फ़ौरन

निकला हूँ घर से सामान के लिए, हाथों में थैला और फरमान लिए हुए
वाजिब पैसे हैं जेब में तरकारी के लिए,ऐ टी एम से निकाले इसी काम के लिए
सलाद के लिए टमाटर के जब पूछे भाव जेब खाली होती दिखी बिना भाव
सौ रुपयों में टमाटर अगर खाया तो चढ़ा रंग हुआ भी उतरेगा फ़ौरन
सब्जी मंडी में है चहुँ और मारा मारी.लेना हो तो लो वरना आगे बढ़ो
बस यही कोहराम मचा हुआ है हर तरफ इस छोटी सी जान के लिए