(#व्यंग) महान मुल्क भारत में बेशक 80 करोड़ लोग मुफ्त के सरकारी राशन को मोहताज़ है लेकिन अच्छी कंडीशन की महज महीने में 20 किलोमीटर चलने वाली पेंशनर की स्कूटी महज 15 वर्ष पुरानी होने पर वाहनकमेले में भिजवा कर हुकूमतें विकासविकास का गान कर गौरान्वित होती है।
व्यंग
अब हमारी स्कूटी किसी आंदोलनरत किसान के ट्रेक्टर सरीखा तो है नही सो अभयदान का पात्र नही है।इसी अपमानजनक तमगे से निजात दिलाने को श्रीमती जी ने 83 हजार ₹ की नई स्कूटी का वरदान दे दिया।अब चुनांचे नोटबन्दी के पश्चात सब कुछ चल रहा है सो डेबिट कार्ड से भुगतान करने पर 1 %अतिरिक्त का भुगतान लाजमी है।
नए का पूरा सम्मान है।सो कुर्सी और दीवान के मध्य स्थान है।पेट्रोल 100 के पार है सो हौंसले की दरकार है
ईमानदार शासन और प्रशासन को भी सलाम है इसीलिए एक माह से रजिस्ट्रेशन नंबर और प्लेट का धैर्य से इन्तेजार है।वाहन कंपनी की पिल रही है इसीलिए या तो रजिस्ट्रेशन के बगैर वाहन चलाओ और चलान कटवाओ ।और तो और 15 दिन में गाड़ी चलाओ या ना चलाओ शुरू की फ्री सर्विस से फ्री होना लाजमी है
Vikas
जहां तक विकास की बात है तो वाकई में विकास के दावों कोझुटलाया नही जा सकता।मैंने जब सरकारी नॉकरी शुरू की टाओ दूसरी तनख्वाह पर ही एक साईकल (बिना घण्टी+लाइट) ले पाया था, सुपरनुअशन तक महज साईकल से लूना,स्कूटर,स्कूटी तक ही पहुंच पाया। ।पिछले दिनों उसी (जो कभी अपना था)विभाग की रिहायशी कॉलोनी में जाने का अवसर मिला तो देखा कि जितने फ्लैट्स हैं उनके सामने उससे ज्यादा चौपहिया खड़े हैं।
Recent Comments