झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ
कांग्रेसी चीयर लीडर
ओये झल्लेया इन बड़बोले भाजपाइयों के इस कथित लोह पुरुष नरेंद्र मोदी की जुबान क्यूँ बंद हो गई ?सीमाओं पर चीन की सेनाओं का जमावड़ा हो रहा है और गुजरात में चीनी राष्ट्रपति को श्रीखण्ड के साथ ढोकला+हांडवो+पत्र +थेपला+भाकरी+रोटली +खमण+कढ़ी भात+भावनगरी गँठिया आदि का भोग लगवाया जा रहा है |ओये पहले उछल उछल कर कहते फिरते थे कि चीन के साथ सीमा पर नहीं हसाड़ी दिल्ली में प्रॉब्लम है| ओये अब तो दिल्ली इनके कब्जे में हैं |सीमाओं पर इनका ही झमेला है|
झमेला करने वाला चीनी राष्ट्रपति भी इनके अपने ही गृह प्रदेश में इनके ठीक सामने हैं|
अब सीमा अतिक्रमण को लेकर इनकी घिग्गी क्यों बंधी हुई है?
झल्ला
ओ मेरे चतुर सुजाण ठण्ड रखो जी ठण्ड |अभी तो मेहमान आये हैं आकर बैठे ही हैं तू तू तकरार के लिए पूरे दो दिन और बचे हैं|वैसे झल्लेविचारनुसार हसाडे माननीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वियतनाम में जाकर चीनी सागर के एक हिस्से से तेल निकालने का कॉन्ट्रैक्ट साइन करके समुद्र पर चीनी दादागिरी को आईना दिखा ही दिया है |अब उस आईने का लश्कारा भारतीय सीमाओं पर पढ़ना स्वाभाविक ही है
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