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मोदीभापे !वोट दो ,नोट दो उसके बाद तू कौन में कौन

#मोदीभापे !
क्या खूब वक्ती सियासत का दौर चला
वोट,नोट दो उसके बाद तू कौन में कौन
www.jamosnews.com
#कंपनसेशन/#रिहैबिलिटेशन क्लेम की सरकारी लूट
#PMOPG/E/2016/0125052

मोदी भापे,आयुर्वेद और”योग”के मिश्रण से महंगे असाध्य रोग भी”सस्ते”में दूर हो सकते हैं

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

भाजपाई चीयर लीडर

ओये झल्लेया मुबारकां ओये हसाडे सोणे नरेंद्र भाई दामोदर मोदी जी ने आयुर्वेद कांग्रेस में सबको खरी खरी सुनाते हुए आयुर्वेद पर भरोसा करने की नसीहत दे डाली है|पीएम ने कह डाला है कि आयुर्वेद को सबसे बड़ी चुनौती उन लोगों से मिल रही है जिन्‍होंने अपना जीवन इसे समर्पित कर दिया है।मोदी जी ने इन्हें आईना दिखाते हुए निशुल्क सलाह दी है कि इन्हें महज एक पेशे के तौर पर नहीं, बल्‍कि मानव जाति की सेवा के लिए आयुर्वेद के प्रति स‍मर्पित होना चाहिए

झल्ला

ओ मोदी देयो ,आँखें खोलो एलोपैथी के ,एनसीआर में ही ,अधिकाँश प्रैक्टीशनर्स बिना रसीद दिए एक हजार रुपये तक की फीस वसूल रहे हैं|
शायद इसीलिए आयुर्वेद को बढ़ावा देनेकी महज बात करने वाले दिल्ली के डॉ हर्षवर्धन से स्वास्थ्य मंत्रालय छीन लिया गया है अब हरियाणा में उत्साही अनिल विज का नंबर लगवाओगे |ओ मेरे चतुर सुजान !जी मोदी भापे ने यूंएन में अंतराष्ट्रीय स्तर पर “योग” दिवस मनाये जाने की मांग उठाई थी जिसे पड़ोसी मुल्कों ने समर्थन भी दे दिया है |इसीलिए इस दिशा में अपने देश में या फिर भाजपा शासित प्रदेशों में ही “योगदिवस” शुरू करवा लो क्योंकि झल्लेविचारनुसार आयुर्वेद और योग के मिश्रण से महंगे असाध्य रोग भी सस्ते में दूर हो सकते हैं|

तम्‍बाकू पर टैक्स बढ़ाने के बाद अब खेती में इस घातक उत्पाद के विकल्प की तलाश शुरू

केंद्र सरकार खेती में घातक तम्बाकू के बेहतर व्‍यवहार्य विकल्प पर विचार करने को राजी हो गई है |वैसे आम बजट में तम्बाकू प्रोडक्ट्स पर मोदी सरकार ने टैक्स बढ़ा कर संयुक्त राष्ट्र के आह्वाहन को समर्थन दे दिया था अब यूनियन हेल्थ मिनिस्टर डॉ हर्षवर्धन ने तम्बाकू से मुक्ति के उपायों पर चर्चा करना स्वीकार कर लिया है| डा. हर्षवर्द्धन ने कहा है कि इस विषय में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय अनुसंधान के निष्‍कर्ष साझा करने के लिए तैयार है |
स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा किए गए अनुसंधान के उन निष्‍कर्षों को सरकार और सभी सम्‍बद्ध पक्षों के साथ साझा करने को तैयार है जिनके अनुसार यह साफ तौर पर सिद्ध हो चुका है कि किसानों को तम्‍बाकू की खेती के व्‍यवहार्य विकल्‍प प्रदान किए जा सकते हैं।
केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डा हर्ष वर्धन ने कहा कि यह धारणा गलत है कि यदि सरकार लोगो की तम्‍बाकू सेवन की लत छुड़वाने में कामयाब हो गई तो तम्‍बाकू की खेती करने वाले क्षेत्रों में किसान गरीब हो जाएंगे। उन्‍होंने कहा कि इसके विपरीत हमारे पास ऐसे साक्ष्‍य हैं कि यदि उन्‍हें साहूकारों के चंगुल से छुटकारा दिला दिया जाये तो उनकी आमदनी बढ़ सकती है।
उन्‍होंने कहा कि तम्‍बाकू उत्‍पादों पर शुल्‍क बढ़ने से सरकारी खजाने में महत्‍वपूर्ण इजाफा होगा लेकिन तम्‍बाकू के सेवन से होने वाली कैंसर और टीबी जैसी जान लेवा बीमारियों की लागत उससे कहीं अधिक है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार भारत में धुंए वाले तम्‍बाकू से होने वाली बीमारियों के उपचार की प्रत्‍यक्ष लागत 90.7 करोड़ अमरीकी डालर और बिना धुंए वाले तम्‍बाकू के उपचार की लागत 28.5 करोड़ अमरीकी डालर आती है।
फोटो कैप्शन
[फाइल]विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर एन सी सी की रैली में डॉ हर्षवर्धन