[नई दिल्ली] डेढ़दशक पुराने वाहन जरूर चलें लेकिन नियमित फिटनेस की जाँच के पश्चात
प्रदूषण नियंत्रण और सड़क सुरक्षा के लिए डेढ़दशक पुराने वाहनों की नियमित जाँच आवश्यक है
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने भी 15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों की नियमित जाँच को जायज ठहराया है|
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगाने के राष्ट्रीय हरित ट्राइब्यूनल के आदेश की जांच की है और मंत्रालय की राय है कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 56 के अंतर्गत वाहन फिटनेस प्रमाण पत्र को नियमित जांच के जरिये लागू किया जाना चाहिए। इससे न केवल प्रदूषण में कमी आयेगी अपितु सड़क सुरक्षा परिदृश्य में सुधार भी होगा।
वर्तमान में मंत्रालय का निजी वाहनों की आयु सीमा के बारे में निर्णय लेने का कोई प्रस्ताव नहीं है क्योंकि यह अल्पकालिक दृष्टिकोण होगा और वाहनों की फिटनेस परीक्षण से ही सिद्ध होगा कि क्या वाहनों की आयु समाप्त हो गई है या नहीं।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री पी राधाकृष्णन ने लोकसभा में लिखित उत्तर में बताया के यद्यपि केंद्रीय मोटर वाहन नियमों 1989 के नियम-88 के उपनियम 1-4 में प्रावधान है कि 12 वर्ष से पुराने मल्टी एक्सल वाहन को छोड़कर किसी गुड्स केरिज को राष्ट्रीय परमिट न दिया जाये। ऐसा ही प्रावधान 15 वर्ष से पुराने मल्टी एक्सल गुड्स केरिज के लिए और 25 वर्ष से अधिक पुराने और मल्टी एक्सल ट्रेलर के लिए भी है जिसके लिए 50 टन से अधिक वज़न ले जाने की अनुमति मिली हो। नियम-82 में भी प्रावधान है कि टूरिस्ट परमिट उस समय अवैध हो जायेगा जब वाहन, मोटर कैब होगा और इसका परमिट 9 वर्ष पूरे कर लेगा तथा मोटर कैब के बारे में 8 वर्ष पूरे कर लेगा और जब मोटर वाहन मोटर कैब नहीं होगा तो 8 साल पूरे कर लेगा मगर मोटर वाहन बदल लेने पर ऐसा नहीं होगा। मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 41 (7) में प्रावधान है कि जो मोटर वाहन परिवहन वाहन नहीं होगा उसका पंजीकरण प्रमाण पत्र 15 वर्ष की अवधि के लिए वैध रहेगा।
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