प्रेम भक्ति को पैडो न्यारों, हमकू गैल लगा जा.
संत मीराबाई जी सतगुरु से प्रार्थना करती हुई कहती है, हे सतगुरु! प्रेम और
भक्ति का मार्ग मेरे लिए नितांत अजनबी और कठिन है. तुम मुझे इस पथ पर लगा
दो ताकि मैं सरलता से परमात्मा के दर्शन पा सकूँ.
प्रेम कि महान मूर्ति मीराबाई के जीवन से हमें यह सन्देश मिलता है कि दैहिक प्रेम
क्षणभंगुर है जबकि दैविक प्रेम अमरत्व का प्रतीक है. क्योंकि सच्चे प्रेम को तो
परमात्मा के स्वरुप में समाहित हो जाना है. प्रभु से एकाकार होना ही सबसे बड़ी
आराधना है और उसका एकमात्र रास्ता प्रेम है.
संत मीरा बाई वाणी
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