जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग
चन्दन विष व्याप्त नहीं, लिपटे रहत भुजंग
भावार्थ
कवि रहीम कहते हैं कि जो उत्तम स्वभाव और दृढ-चरित्र वाले व्यक्ति
होते हैं, बुरी संगत में रहने पर भी उनके चरित्र में विकार उत्पन्न नहीं
होता .जिस प्रकार चन्दन के वृक्ष पर चाहे जितने विषैले सर्प लिपटे
रहें, परन्तु उस वृक्ष पर सर्पों के विष का प्रभाव नहीं पड़ता अर्थात
चन्दन का वृक्ष अपनी सुगंध और शीतलता के गुण को छोड़कर
जहरीला नहीं हो जाता .
भाव यह है कि जिस प्रकार विषैले सर्प चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने
पर भी उसकी सुगंध को विषैला नहीं बना सकते, उसी प्रकार दुर्जन
और दुष्ट प्रवृत्तियों वाले व्यक्ति, दृढ-चरित्र वाले व्यक्ति को दुर्जन या
दुष्ट नहीं बना सकते
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