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स्विटजरलैण्ड को पारदर्शिता और वैश्विक मापदण्डों को अपनाना ही होगा:सीधा एल के अडवाणी के ब्लॉग से

एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण आडवाणी ने अपने ब्लॉग के माध्यम से एक महीने में दोबारा काले धन को देश में लाये जाने के लिए कोई कार्यवाही नहीं किये जाने पर चिंता व्यक्त की है| श्री आडवाणी के अनुसार उनकी पार्टी भाजपा के प्रयासों से संसद में श्वेत पत्र तो केंद्र सरकार ले आई लेकिन उस पर कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं हुई| इसके लिए इस ब्लॉग में उन्होंने खेद व्यक्त किया हैइसके अलावा इस वयोवृद्ध नेता ने अपने फ़िल्मी प्रेम का इजहार भी किया है|जेम्स बांड की फिल्म दि वर्ल्ड इज नॉट इनफ”[१९९९] के माध्यम से उन्होंने स्विस बैंको की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया तो एम्मा थामेसन के लेख के माध्यम से जवाब भी तलाशने का प्रयास किया है| | प्रस्तुत है सीधा एल के अडवाणी के ब्लॉग से
इसी महीने में मैंने एक ब्लॉग लिखा था, जिसका शीर्षक था ”कालेधन पर श्वेत पत्र के बावजूद एक पैसा भी वापस नहीं आया।”
इस ब्लॉग में बताया गया था कि कैसे भाजपा द्वारा कालेधन के विरुध्द चलाए गए ठोस अभियान ने यूपीए सरकार को इस मुद्दे पर श्वेत पत्र प्रस्तुत करने को बाध्य किया। श्वेत पत्र में इसको स्वीकारा गया है कि भारत की ”समावेशी विकास रणनीति की सफलता मुख्य रुप से हमारे समाज से भ्रष्टचार की बुराई के खात्मे और काले धन को जड़ से उखाड़ फेंकने की क्षमता पर निर्भर करती है।”
भाजपा को इसका खेद है कि श्वेत पत्र पर कार्रवाई बिल्कुल नहीं की गई है। भ्रष्टाचार और कालाधन भारत की राजनीति और शासन को, विशेष रुप से पिछले नौ वर्षों से लगातार कमजोर कर रहे हैं।
इस मुद्दे पर भारत के उदासीन रवैये की तुलना में रिपोर्टें आ रही हैं कि कुछ शक्तिशाली पश्चिमी देशों द्वारा स्विस बैंकों के गोपनीय कानूनों के विरुध्द छेड़े गए विश्वव्यापी अभियान से स्विट्जरलैण्ड के बैंकिग सेक्टर में वास्तव में संकट खड़ा हो गया है। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रायटर ने हाल ही में स्विट्जरलैण्ड में अपनी ब्यूरो चीफ एम्मा थामेसन का एक लेख प्रसारित किया है जिसका शीर्षक है: बैटल फॉर दि स्विस सोल। इस लेख का मूल भाव इन शब्दों में वर्णित किया गया है:
”आज भी, कुछ स्विस नागरिक इस तथ्य पर बहस करना पसन्द करेंगे कि देश की अधिकांश समृध्दि, बैंकरों द्वारा विदेशी कर वंचकों की सहायता करने से आई है।”
इस लेख की शुरुआत 1999 में जेम्स बांड की फिल्म ”दि वर्ल्ड इज नॉट इनफ” से होती है, जिसमें बांड पूछता है” यदि आप स्विस बैंकर पर भरोसा नहीं करसकते तो किस दुनिया में हो?”
इस लेख की सुविज्ञ लेखक एम्मा जेम्स बांड के इस प्रश्न का उत्तर यूं देती हैं:
”यह इस प्रकार है: अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों के दबाव में स्विस बैंक अपनी गोपनीयता छोड़ रहे हैं, कुछ केसों में अपने खाता धारकों के नाम विदेशी कर प्राधिकरणों को दे रहे हैं। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Cooperation and Development-OECD½ द्वारा काली सूची में डाले जाने से बचने के लिए स्विस सरकार टैक्स धोखाधड़ी करने वालों की तलाश करने वाले विदेशी प्राधिकरणों के साथ सूचनाएं साझा करने पर सहमत हो गई है।”
एम्मा अपने लेख में लिखती हैं:
”स्विस बैंक काफी समय से उस अलिखित संहिता का पालन करते हैं जिसका डॉक्टर या पादरी करते हैं। बैंकर्स सार्वजनिक रुप से अपने ग्राहक को नहीं पहचानते, इस भय से कि इससे उनके खाताधारक होने का राज खुल जाएगा: अक्सर वे एक नाम का बिजनेस कार्ड रखते हैं बजाय बैंक या सम्पर्क विवरण के; और कम से कम 1990 के दशक तक वे कभी भी विदेशों में प्रचारित नहीं करते थे।…..”
दक्षिणपंथी स्विस पीपुल्स पार्टी बैंकिंग गोपनीय कानूनों के शिथिल होने को एक प्रकार का आत्मसमर्पण मानती है। पार्टी का मानना है कि यह आत्मसमर्पण ”न केवल ग्राहकों के साथ अपितु मूलभूत स्विस मूल्यों के साथ भी विश्वासघात है।”
एक बैंकर और स्विस पीपुल्स पार्टी के राजनीतिज्ञ थामस मट्टेर (Thomas Matter) इसे और साफ तीखे रूप से लिखते हैं : ”स्विस लोग स्वतंत्रता प्रेमी हैं; देश सदैव नागरिकों के लिए रहा है न कि इसका उल्टा।”
यद्यपि, वाशिंगटन, पेरिस और बर्लिन के भारी दवाब के चलते सन् 2009 में, देश का सबसे बड़ा बैंक यूबीएस चार हजार से अधिक अमेरिकी ग्राहकों के नाम अमेरिका को देने पर सहमत हुआ, 780 मिलियन अमेरिकी डॉलर का दण्ड इसलिए दिया कि उसने अमेरिकीयों की टैक्स से बचने में सहायता की थी। दो अन्य प्रमुख बैंकों -क्रेडिट सुइसे (Credit Suisse) और जूलियस बेअर (Julius Baer) ने भी अमेरिका में व्यवसाय में लगे अपने कर्मचारियों सम्बन्धी सूचनाएं वाशिंगटन को सौंपी जबकि क्रेडिट सुइसे ने भारी जुर्माने के लिए अपने खातों में प्रावधान किया।
हालांकि ज्यूरिख और जेनेवा, स्विटजरलैण्ड के मुख्य आर्थिक केन्द्र हैं, देश के बैंकिंग उद्योग की जड़ें संक्ट गालन (St. Gallen) शहर में हैं। हाल ही तक संक्ट गालन, स्विटजरलैण्ड के प्राचीनतम निजी बैंक बेगेलिन एण्ड कम्पनी (Wegelin & Co½ का शहर था। सन् 2012 में अमेरिका के जस्टिस विभाग ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि इसके विदेशी खातों में अमीर अमेरिकीयों द्वारा टैक्स से बचाए गए कम से कम 1.2 बिलियन डालर छुपे हैं। इस वर्ष जनवरी में बैंक को दोषी ठहराया गया। बेगेलिन के अधिकारियों जिन्होंने पहले ही अपने सभी गैर-अमेरिकी व्यवसाय को एक दूसरे बैंक रेफेइसियन (Raifeissen) को बेच दिए थे, ने घोषित किया है कि जो कुछ उनके बैंक में बचा है, वे उसे भी समेट रहे हैं।
इस समूची स्विस बहस में ‘दोषी‘ – एक महत्वपूर्ण निर्णायक विन्दु है क्योंकि बगैर कुछ कहे, बेगेलिन के अधिकारियों ने अपने साथी और बैंकों को साफ-साफ संदेश दे दिया है। एक प्रमुख रूढ़िवादी राजनीतिज्ञ क्रिस्टिफ डारबेले (Christoph Darbellay) ने सार्वजनिक रूप से बेगेलिन अधिकारियों को ‘देशद्रोही‘ कहा है। यू.बी.एस. के चीफ एग्जिक्यूटिव सेरगिओ इरमोट्टी (Sergio Ermotti) ने कहा: जैसाकि एक दशक या उससे पहले तक जिस बैंक गोपनीयता को हम जानते थे, वह अब समाप्त हो गई है। संक्ट गालन बैंकर जिन्होंने बेगेलिन के गैर-अमेरिकी व्यवसाय को खरीदा है, कहते हैं : ”हम वास्तव में संक्रमणकालीन प्रक्रिया में हैं।”
रेफेसियन के मालिक पेइरिन विन्सेंज (Pierin Vincenz) ने रूढ़िवादियों से अलग अपनी बात रखते हुए कहा कि स्विटजरलैण्ड को अंतत: पारदर्शिता और वैश्विक मापदण्डों को अपनाना होगा। अधिकाधिक बैंक और बध्दिजीवीगण इस मत के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। कालेधन के विरूध्द वैश्विक युध्द में यह बड़ा सहायक होगा। यही आशा की जा सकती है कि भारत इन घटनाओं का पूरा-पूरा लाभ उठाएगा।

आजम खान अमेरिका में पूछ ताछ से आग बबूला हुए

उत्तर प्रदेश के [मूडी] नगरीय प्रशासन मंत्री आजाम खान ने अमेरिका में पूछताछ से नाराज़ होकर अमेरिका में ज्यादा रहने की यौजना रद्द कर दी है| आज़म खान अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय में महा कुम्भ स्नान संबंधित एक प्रेजेंटेशन देने गए थे लेकिन बुधवार को बोस्टन एयरपोर्ट पर अधिकारियों ने बदसलूकी की और उन्हें रोक लिया। करीब एक घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। उनके साथ यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी थे। खान ने इस बदसलूकी के लिए माफी की मांग की है।
इस घटना के बाद खां ने अमेरिका में ज्यादा दिन रहने की योजना रद्द कर दी है और युनिवर्सिटी में लेक्चर देकर जल्द वापस आने का फैसला किया। खान इस घटना से काफी व्यथित बताये जा रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि उनके पास डिप्लोमेटिक पासपोर्ट होने के बावजूद भी केवल मुस्लिम होने के फलस्वरूप उनके साथ ऐसा व्यवहार किया गया है। गौरतलब है कि अमेरिका के इसी बोस्टन में हाल ही में धमाके हुए हैं और जिसमे तीन लोग मारे गए और लगभग २०० घायल हुए हैं| इसीकारण वहां सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
खां मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ ब्रिटिश एयरवेज की फ्लाइट से यहां आए थे। उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ कुंभ के आयोजन के संबंध में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रजेंटेशन दिया है। यादव और खान के एयरपोर्ट पहुंचने पर वहां के अधिकारियों ने औपचारिकताएं पूरी करने में मदद की। भारतीय दूतावास के अधिकारी भी वहां सहायता के लिए थे।मालूम हो कि आज़म खान उत्तर प्रदेश में एकआदम कद मंत्री हैं और अपने मूड के लिए जाने जाते हैं|अभी प्रदेश में मनाये गए कुम्भ स्नान के दौरान भगदड़ मचने से सैकंडों लोग मारे गए थे तब भी सरकार कि काफी आलोचना हुई थी|अब फिर बोस्टन में कुम्भ पर प्रेसेंटेशन देने आये मंत्री के अहम् को ठेस लगी है|लगता है कि उत्तर प्रदेश की सरकार के लिए कुम्भ स्नान कुछ अच्छे अनुभव नहीं लाया है|

अल्बर्किकी के हिन्दू टेम्पल में श्रधा भाव से एकादशी की पूजा की गई

अल्बर्किकी के हिन्दू टेम्पल में श्रधा भाव से एकादशी की पूजा की गई

अल्बर्किकी के हिन्दू टेम्पल में श्रधा भाव से एकादशी की पूजा की गई

अल्बर्किकी के हिन्दू टेम्पल में श्रधा भाव से सोमवार को एकादशी की पूजा की गई|हिन्दू टेम्पल सोसाइटी आफ न्यू मेक्सिको में गुजराती समाज द्वारा एकादशी की श्रधा भाव से पूजा की गई | इस अवसर पर राधा कृषण का नयनाभिराम श्रंगार किया गया |श्र्धालू जनों ने एक बाद एक सुन्दर मन मोहक भजन सुना कर सभी को भाव विभोर कर दिया|अंत में आरती हुई और ड्राई फ्रूट का प्रशाद वितरित किया गया |
टेम्पल बोर्ड २०१३ में अध्यक्ष कृषण वाही +सचिव अमित पटेल और कोषाध्यक्ष साची मोदी है|कृषण जैसवाल ]पूर्व अध्यक्ष]+दोलेशावर भंडारी+जयेश पटेल+समीर रॉय+राजन पिल्लई+बाला कुलकर्णी+वाई शर्मा+पद्मा शुक्ला हैं|२८ अप्रैल के रविवार को रंगों का उत्सव होली सेलेब्रेट किया जाएगा|

एकांत वास में रहने वाले बुजुर्ग भी आधुनिक तकनीक अपना कर अपनी देखभाल स्वयम कर सकते हैं:प्रो. एच आर सिंह

[शिकागो]एकांत वास में रहने वाले बुजुर्ग भी आधुनिक तकनीक अपना कर अपनी देखभाल स्वयम कर सकते हैं|इसके लिए भारतीय प्रो.एच आर सिंह ने रिमोट पेशेंट मोनिटरिंग डिवाईस नाम से एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है|इसे विशेष रूप से हृदय रोगियों के लिए लाभ कारी माना जा रहा है|
राधा गोबिंद इंजनियरिंग कालेज[मेरठ] के प्रो.एच आर सिंह ने अमेरिका के शिकागो में आयोजित थर्ड क्लिनिकल एवं एक्सपेरिमेंटल कार्डियालोजी सम्मलेन में अपने शोध को पड़ते हुए बताया कि वर्तमान में भारतीय प्रतिभाएं भविष्य सुधारने के लिए विदेशों का रुख कर रहे हैं |इसमें पैसा तो ढेरो आ रहा है लेकिन नेटिव प्लेस में उनके बुजुर्गों के लिए आवश्यक सहायता का अभाव होने लगता है|ऐसे में उन्हें संकट की किसी भी घडी में चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए टेक्नोलोजी को विकसित किया गया है|इसका प्रयोग करने सेददोर बैठा डाक्टर स्वयम मरीज के रोग के विषय में जानकारी प्राप्त कर लेता है और उसका समय पर इलाज संभव होपाता है|१५ से १७ अप्रैल को आयोजित इस सम्मलेन में विश्व के १० वैज्ञानिक और डाक्टरों ने भाग लिया जबकि भारत से एक मात्र प्रो. एच आर सिंह को ही आमंत्रित किया गयाथा |

अल्बर्किकी सिख गुरुद्वारा में बोस्टन बम्ब धमाकों के पीड़ितों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की गई

अल्बर्किकी सिख गुरुद्वारा में बोस्टन बम्ब धमाकों के पीड़ितों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की गई

अल्बर्किकी सिख गुरुद्वारा में बोस्टन बम्ब धमाकों के पीड़ितों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की गई

अमेरिका के न्यू मेक्सिको राज्य के अल्बर्किकी शहर में स्थित सिख गुरुद्वारा में बोस्टन बम्ब धमाकों के पीड़ितों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की गई और विश्व में शान्ति+भाई चारे की स्थापना के लिए अरदास भी की गई| गुरुद्वारा में रविवासरीय सत्संग के अंत में सरबत का भला चाहने वाले गुरुओं की बाणी का अनुसरण करते हुए बोस्टन बम्ब धमाकों में मारे गए निर्दोषों की आत्मा की शान्ति और घायलों की सलामती के लिए अरदास की गई|बम्ब धमाकों के पीड़ितों के साथ सिख समाज ने स्वयम को सम्बद्ध भी किया
इस अवसर पर गुरुवाणी के अमृत की वर्षा करके संगत को निहाल किया गया और एक चित्र प्रदर्शनी लगाई गई जिसमे सिख इतिहास में महिलाओं के यौगदान का सराहनीय प्रदर्शन किया गया|| अंत में लंगर भी छकाया गया|गुरुद्वारा बोर्ड के अध्यक्ष देविंदर सिंह पाहवा +सचिव ऐ एस भुल्लर और कोषाध्यक्ष हरमिंदर सिंह सिआन हैं|इनके अलावा संयोजक सतनाम कौर के अलावा हरजीत सिंह अहलुवालिया +अमन दीप सिंह चड्डा+निर्भय सिंह ग्रेवाल+कुलवंत कौर+गुरलाल सिंह और तारा सिंह हैं|
९/११ के पश्चात बीते सप्ताह हुए इस सीरियल बलास्ट में अमेरिका के बोस्टन में आयोजित एतिहासिक मैराथन रेस में लगातार दो बम्ब धमाके हुए थे जिसमे ८ साल की एक बच्ची +२९ साल की एक महिला समेत तीन लोग मारे गए और लगभग १७० लोग घायल हुए थे| २ दोषियों को तलाश कर लिया गया और उनमे से एक शूट आउट में मारा गया जबकि दूसरा घायल बताया जा रहा है|

ड्रीम लाईनर्स[७८७] की उड़ान के ड्रीम्स पूरे होने के चांसेस बने : बोइंग ने बैटरी बदलने की कार्यवाही शुरू की

बोइंग के ड्रीमलाइनर[787] विमान आगामी माह में एयर इंडिया के ड्रीम्स को पूरा करने के लिए आसमान में उड़ान भरने लगेंगे |इससे ना केवल एयर इंडिया के महाराजा की कर्जे से झुकती जा रही कमर कुछ सीधी होपायेगी वरन निजी एयर लाइन्स को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना भी करना पडेगा| अमरीका के फेडरेल एविएशन एडमिनिस्ट्रिटेशन (FAA) द्वारा हरी झंडी लहराने के पश्चात बोइंग के ड्रीमलाइनर विमान जल्द ही फिर से आसमान में दिखेंगे | जापान आदि देशों में ड्रीम लाईनर .विमानों में जनवरी में उड़ान के दौरान बैट्री में आग लगने की शिकायतें मिलने के बाद अस्थाई तौर पर विश्व भर में ५० विमानों पर रोक लगा दी गई थी |यधपि भारत में ऎसी कोई घटना नहीं घटी फिर भी बोइंग के निर्देश पर भारत में भी ६ विमान ग्राउंडडेड किये गए थे|
बोइंग ने वॉशिंगटन से जारी अपने अधिकारिक बयान में जानकारी दी है कि अमरिकी अधिकारियों ने जापानी बैटरी निर्माता और बोइंग द्वारा द्वारा दोबारा से तैयार बैट्री प्रणाली को मंजूरी दे दी है | नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) प्रमुख अरण मिश्र के अनुसार बोइंग के इंजीनियरों का एक दल भारत आ रहा है और जल्द ही वे एयर इंडिया के छह ड्रीमलाइनर विमानों में नयी बैट्रियां लगाने का काम शुरू करेंगे. यदि सब कुछ ठीक हो गया तो एयर इंडिया रोम+ मॉस्को+ सिडनी+पैचिङ्गआदि के लिए उड़ान शुरू कर अपना अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क बढ़ा सकेगी। गौरतलब है की एयर इंडिया द्वारा२००६ में २७ ड्रीम लाईनर्स के लिए सौदा किया गया था|जिनमे से केवल छह विमान ही प्राप्त हुए थे और वाटर कैनन से स्वागत किये जाने के पश्चात भी वोह अपेक्षित उडान नहीं भर पाए|इन विमानों के लिए दिल्ली से बेंगलुरु, चेन्नै, कोलकाता, पेरिस, फ्रैंकफर्ट और दुबई के मार्ग उड़ानों की यौजना बनाई जा चुकी थी|
जनवरी में इनकी उड़ाने बंद होने के कारण एयर इंडिया को प्रतिदिन पौने तीन करोड़ रुपयों का घाटा हो रहा है|।

अमेरिकन न्यू मेक्सिको के अल्बर्किकी में सुन्दर काण्ड

अमेरिकन न्यू मेक्सिको के अल्बर्किकी में सुन्दर काण्ड

अमेरिकन न्यू मेक्सिको के अल्बर्किकी में सुन्दर काण्ड

[अमेरिका]अमेरिका में रोज़गार की तलाश में आये भारतीय प्रतिभावान युवाओं को अपने वतन से दूरी के अहसास को कम कराने के लिए भारतीय धर्म और संस्कृति से जुड़े कार्यक्रम भी किये जाते है| ऐसे ही एक कार्यक्रम में मुझे भी जाने का अवसर मिला|अमेरिका की राज्य न्यू मेक्सिको के शहर अल्बर्किकी में एक कालोनी में कुछ लोगों ने सुन्दर कांड का पाठ किया|इस छोटे से आयोजन में पूरे भारत की विशाल छवि के दर्शन भी हुए| पंजाबी+गुजराती+तमिल+हैदराबादी+हरियाणवी आदि छेत्रो से आये तकनीकी विशेषज्ञों ने सपरिवार श्रद्धाभाव से भाग लिया |सुन्दर कांड के पश्चात् प्रशाद और लंगर का भी प्रबंध था|प्रशाद में भारतीय परम्परानुसार हलवा पूरी के बजाय यहाँ के चलन के अनुसार पोटेटो चिप्स+समोसे+केले और स्ट्राबरी वितरित किये गए जबकि लंगर में छोले भठूरे +इडली +आईस क्रीम आदि थे| पंजाब के होशियार पुर से दिल्ली में आ बसे शर्मा परिवार ने यह आयोजन किया था|इनकी बेटी का विवाह चैन्नई के समीप स्लेम निवासी शिक्षाविद के साथ हुआ है| यहाँ एक मंदिर और गुरुद्वारा भी है लेकिन प्रशिक्षित पुजारी के अभाव में कभी कभार ही खुलता है और गुरुद्वारे में रविवार को ही सगत आती है|इसीलिए अधिकांशत ऐसे आयोजन घरों में ही सफलता पूर्वक कर लिए जाते हैं|हां एक बात और माथा टेकते समय या आरती लेते समय चडावे के लिए अमेरिकन डालर ही चलता है| भारत में तो अधिकांशत चवन्नी+अठन्नी या ज्यादा से जयादा एक रूपया चडाया जाता है लेकिन यहाँ के एक अमेरिकन डालर आज की तारीख में भारतीय ५८.१५ रुपयों का है|

अमेरिका में भारतीय कन्या दिवस :नवरात्र पूजन के लिए कन्यायों का महत्व :

अमेरिका में नवरात्र पूजन के लिए कन्यायों का महत्व

अमेरिका में नवरात्र पूजन के लिए कन्यायों का महत्व

अमेरिका में आज भारतीय घरों में कन्या दिवस का आयोजन हुआ जिसे देख कर बेहद प्रसन्नता हुई|बेशक अन्तराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के हित में महिला दिवस मनाया जाता है लेकिन भारतीय संस्कृति में ही कन्यायों तक की पूजा की जाती है| इसी संस्कृति का प्रत्येक वर्ष श्रद्धाभाव से पालन किया जाता है|यह भारतीयों की डी एन ऐ में रचा बसा है|इसीलिए भारत से दूर रह कर भी कन्या पूजन का चलन आज भी जीवित है| अमेरिका में यदपि कन्यायों को एकत्रित करना +उन्हें इस पूजन में शामल करना+यहाँ तक की प्रसाद का भोग लगवाना भी आसान नहीं है इसीलिए श्र्धालू जन सबकी सुविधाओं के अनुसार अपने इस उद्देश्य को प्राप्त कर ही लेते हैं| इस बीच अनेकों परिपाटियो का पालन त्यागना पड़ता है|ऐसे ही एक आयोजन में मुझे आज अमेरिका के न्यू मेक्सिको राज्य के अल्ब्क्रुकी में देखने का सौभाग्य मिला| चैत्र शुक्ल नवरात्र विक्रमी संवत २०७० में भीयहाँ श्रधालुओं ने व्रत धारण करके पूजन किया || और अष्ठमी पूजी |प्रस्तुत हैं कन्या पूजन के कुछ अंश

श्याम धन पर केंद्र सरकार के श्वेत पत्र पर अपने ब्लॉग में लाल पीले हुए एल के अडवाणी

श्याम धन पर केंद्र सरकार ने संसद में बेशक श्वेत पत्र रख कर अपने ऊपर लगे काले दागों को धोने का प्रयास किया हो लेकिन इस संसदीय घटना के एक साल बीत जाने पर भी अवैध ढंग से विदेशों में जमाबिना किसी रंग के धन में से एक पैसा भी वापस देश में नही लाया जा सका है |इस निराशाजनक स्थिति पर लाल पीले होते हुए लाल कृषण आडवाणी ने अपने ब्लाग में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग करते हुए एक बार फिर केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने का प्रयास किया है|
प्रस्तुत है एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग + वरिष्ठ पत्रकार एल के अडवाणी के ब्लॉग से
मई, 2012 में तत्कालीन वित्त मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी ने काले धन पर एक श्वेत पत्र (White Paper) संसद में प्रस्तुत किया। इस श्वेत पत्र में यूपीए सरकार ने वायदा किया कि देश में काले धन के प्रचलन को नियंत्रित किया जाएगा, विदेशों के टैक्स हेवन्स में इसके अवैध हस्तांतरण को रोकने के साथ-साथ हमारी इस अवैध धनराशि को भारत वापस लाने के प्रभावी उपाय सुनिश्चित किए जाएंगे।
मई, 2013 इस महत्वपूर्ण दस्तावेज के प्रस्तुत करने की पहली वर्षगांठ है। अत: सर्वप्रथम यह जानना समीचीन होगा कि इस श्वेत पत्र को सरकार को क्यों लाना पड़ा और आज तक इस पर कार्रवाई के रूप में क्या कदम उठाए गए हैं।
पांच वर्ष पहले से, भाजपा लगातार काले धन के मुद्दे को मुखरित करती आ रही है। जब सन् 2008 में पहली बार इसे उठाया गया तब कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ताओं ने इसकी खिल्ली उड़ाई थी। हालांकि 6 अप्रैल, 2008 को मैंने प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह को सम्बोधित अपने पत्र मे मैंनें लिखा था:
हाल ही में, जर्मन सरकार ने अपने देश में टैक्स चोरी करने वालों के विरुध्द एक व्यापक जांच अभियान शुरु किया है, और इस प्रक्रिया में जर्मन गुप्तचर एजेंसियों को बताते हैं कि लीशेंस्टाइन के एलटीजी बैंक से उसके 1400 से अधिक ग्राहकों की गोपनीय जानकारी मिली है। इनमें से 600 जर्मनी के हैं और शेष अन्य देशों से सम्बंधित हैं।
इन रहस्योद्धाटनों से पहले ही डायचे पोस्ट-पूर्व जर्मनी मेल सर्विस-दुनिया में एक बड़ी लॉजिस्टिक कम्पनी-के प्रमुख का त्यागपत्र हो चुका है।
जर्मन वित मंत्रालय ने बताते हैं कि सार्वजनिक रुप से घोषणा की है कि वह किसी भी सरकार को यदि वे चाहती हैं तो बगैर किसी शुल्क के जानकारी उसे देने को तैयार हैं।
फिनलैण्ड, नार्वे और स्वीडन जैसे कुछ यूरोपीय देशों ने यह जानकारी पाने में पहले ही अपनी रुचि दिखाई है।
इन घटनाक्रमों के साथ-साथ, ऐसी भी रिपोर्ट आ रहीं हैं कि स्विटज़रलैण्ड पर यह दबाव भी बन रहा है कि वह टैक्स से चुरा कर उनके बैंको में जमा कालेधन को एक अपराध माना जाए और वह ऐसे धन का पता लगाने के लिए अन्य देशों से सहयोग करने हेतु अपने आंतरिक नियमों को बदले।
मैं मानता हूं कि भारत सरकार अपनी उपयुक्त एजेंसियों के माध्यम से जर्मन सरकार से अनुरोध करे वह एलटीजी के ग्राहकों का डाटा हमें बताए। हमारी सरकार को यूरोपीय सरकारों द्वारा स्विट्ज़रलैण्ड तथा अन्य टैक्स हेवन्स विशेषकर अन्य देशों से सम्बंधित जमा राशि की बैंकिग पध्दति में और ज्यादा पारदर्शिता लाने के संभावित आगामी कदमों को समर्थन देना चाहिए।
यदि हम जर्मनी से एलटीजी ग्रुप के ग्राहकों का सम्बंधित डाटा मांगते हैं तो यह हमारी उस स्थिति को पुन: मजबूत करेगा कि हम उन राष्ट्रों के समुदाय के जिम्मेदार सदस्य हैं जो वित्तीय प्रामाणिकता और पारदर्शी नियमों के पक्षधर हैं। यह भविष्य में, इन टैक्स हेवन्स की कार्यप्रणाली से कुछ अवांछनीय पहलुओं को समाप्त कर वैश्विक वित्तिय प्रणाली को स्वच्छ बनाने में हमारी सहभागिता का मार्ग प्रशस्त करेगा।
सम्भवत: प्रधानमंत्री के निर्देश पर वित्त मंत्री श्री चिदम्बरम ने मई, 2008 में इसके उत्तर में लिखा कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर जर्मनी के टैक्स ऑफिस से सम्पर्क कर प्रयास कर रही है।
मार्च, 2010 में मैंने इस विषय पर लिखे अपने ब्लॉग में लीशेंस्टाइन के एलटीजी बैंक प्रकरण की याद दिलाते हुए सरकार से आग्रह किया था कि वह औपचारिक रुप से काले धन पर एक विस्तृत श्वेत पत्र प्रकाशित करे।
इस बीच भाजपा ने इस विषय के अध्ययन हेतु एक चार सदस्यीय टास्क फोर्स (कार्यदल) का गठन किया। विभिन्न स्रोतों से प्राप्त सामग्री का अध्ययन करने के पश्चात् यह टास्क फोर्स इस निष्कर्ष पर पहुंची कि विदेशों में अवैध ढंग से जमा भारतीयों का धन अनुमानतया 25 लाख करोड़ से 70 लाख करोड़ रूपये के बीच होगा।
जब तक पश्चिमी प्रभुत्व वाली विश्व अर्थव्यवस्था अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों के लिए ठीक ठाक चल रही थी जब तक समूचे विश्व को लगता था कि इन टैक्स हेवन्स के बैंकिग गोपनीयता सम्बन्धी प्रावधानों से कोई दिक्कत नहीं है। उस समय ऐसा महसूस किया जाता था कि इन देशों के कानूनों के बारे में कुछ नहीं किया जा सकता। लेकिन विश्व अर्थव्यवस्था के संकट से न केवल राष्ट्रपति ओबामा अपितु ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे अनेक यूरोपीय देशों के रुख में बदलाव आया और उन्होंने एकजुट होकर इन देशों के बैंकिग गोपनीय कानूनों में बदलाव के लिए दृढ़ प्रयास किए।
सन् 2009 में वाशिंगटन ने यूबीएस जैसे स्विट्जरलैंड के बड़े बैंक को उन 4450 अमेरिकी ग्राहकों के नाम उद्धाटित करने पर बाध्य किया, जिन पर स्विट्ज़रलैंड में सम्पत्ति छिपाने का संदेह था।
सन् 2009 के लोकसभाई चुनावों में भाजपा ने काले धन को चुनावी मुद्दा बनाया। स्वामी रामदेव जैसे संन्यासियों ने अपने प्रवचनों में लगातार इसे प्रचारित किया। फाइनेंसियल टाइम्स में ”इंडियंस कर्स ऑफ ब्लैकमनी” शीर्षक से प्रकाशित लेख के लेखक रेमण्ड बेकर (निदेशक, ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी) ने लिखा है कि: ”भारत ने दिखा दिया है कि यह मुद्दा मतदाताओं को छूता है। अन्य विकासशील लोकतंत्र के राजनीतिज्ञों को इसे ध्यान में रखना समझदारी होगी।”
अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में आर्थिक संकट ने इन देशों को इस तथ्य के प्रति सचेत किया कि भ्रष्टाचार, काला धन इत्यादि न केवल राष्ट्र विशेष की समस्या है अपितु यह दुनिया के लोकतंत्र, कानून के शासन और सुशासन के लिए भी चुनौती है। इसलिए सन् 2004 में संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स और क्राइम कार्यालय (United Nations Office on Drugs and Crime) द्वारा भ्रष्टाचार के विरुध्द एक विस्तृत कन्वेंशन औपचारिक रुप से अंगीकृत किया गया था। 56 पृष्ठीय दस्तावेज में संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्कालीन महासचिव श्री कोफी अन्नान की सशक्त प्रस्तावना थी, जो कहती है:
भ्रष्टाचार एक घातक प्लेग है जिसके समाज पर बहुव्यापी क्षयकारी प्रभाव पड़ते हैं:
इससे लोकतंत्र और कानून का शासन खोखला होता है।
मानवाधिकारों का हनन होता है।
बाजार का विकृतिकरण।
जीवन की गुणवत्ता का क्षय होता है, और
संगठित अपराध, आतंकवाद और मानव सुरक्षा के प्रति खतरे बढ़ते हैं।
भ्रष्टाचार के विरुध्द इस कन्वेंशन के अनुच्छेद 67 के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश दिसम्बर, 2005 तक इसे स्वीकृति देंगे, तत्पश्चात् शीघ्र ही सम्बंधित देश इसे पुष्ट करेंगे और स्वीकृति पत्र संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के पास जमा कराएंगे।
सन् 2010 में यूपीए सरकार ने इस मुद्दे को औपचारिक रुप से ध्यान में लेते हुए उस वर्ष के संसद के बजट सत्र में होने वाले राष्ट्रपति के पारम्परिक अभिभाषण में इसका उल्लेख करते हुए कहा ”भारत कर सम्बंधी सूचना के आदान-प्रदान को सुगम बनाने तथा कर चोरी की सुविधा देने वाले क्षेत्रों के खिलाफ कार्रवाई करने सम्बन्धी वैश्विक प्रयासों में सक्रिय भागीदारी निभा रहा है।”
सन् 2011 के अंतिम महीनों में भाजपा द्वारा आयोजित जन चेतना यात्रा ने तीन मुद्दों पर जोर दिया: महंगाई, भ्रष्टाचार और काला धन। सन् 2008 के कामॅनवेल्थ खेलों, भ्रष्टाचार और मंहगाई मीडिया के साथ-साथ संसद में सभी राजनीतिक चर्चाओं में प्रमुख स्थान पर रहे, परन्तु मैंने पाया कि यात्रा के दौरान जब भी मैं सभाओं को सम्बोधित करता था तो काले धन के मुद्दे पर जनता की प्रतिक्रिया बहुत ज्यादा अनुकूल रहता था।
सन् 2011 की जनचेतना यात्रा मेरी अब तक की यात्राओं की कड़ी में ताजा यात्रा थी। चालीस दिनों तक यह चली। देश के प्रत्येक प्रदेश और सभी संघ शासित प्रदेशों में मुझे जाने का अवसर मिला। आम धारणा है कि 1990 की मेरी पहली यात्रा-सोमनाथ से अयोध्या तक की, जो समस्तीपुर में रुक गई थी-को सर्वाधिक समर्थन मिला। अक्सर यह भी कहा जाता है कि इतना उत्साह इसलिए उमड़ा कि उसका मुद्दा मुख्य रुप से धार्मिक यानी राम मंदिर था। लेकिन मैं यहां उल्लेख करना चाहूंगा कि मेरी दो यात्राएं-1997 की स्वर्ण जयंती रथ यात्रा और 2011 की जन चेतना यात्रा को अभी तक सर्वाधिक समर्थन मिला है। ये दोनों सुशासन और लोगों की आर्थिक भलाई से जुड़ी थीं!
16 मई, 2012 को संसद में कालेधन पर प्रस्तुत श्वेत पत्र के आमुख में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने स्वीकार किया कि 2011 में ”भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दों पर जनता की आवाज सामने आई।”
अपनी प्रस्तावना में श्री प्रणव मुखर्जी ने यह भी कहा:
”मुझे अत्यन्त प्रसन्नता होती यदि मैं उन तीनों प्रमुख संस्थानों जिन्हें काले धन की मात्रा और आकार पता लगाने के लिए कहा गया है, की रिपोर्टों के निष्कर्षों को भी इस में शामिल कर पाता। ये रिपोटर् इस वर्ष के अंत तक मिलने की उम्मीद है। फिर भी मैंने इस दस्तावेज को इसलिए रखा है कि संसद में इस हेतु आश्वासन दिया गया था।”
प्रणव दा ने इस श्वेत पत्र को इसलिए प्रस्तुत किया कि भाजपा ने इसकी मांग की थी, उन्होंने स्वीकारा:
”इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारे जीवन के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में काले धन के प्रस्फुटीकरण का असर शासन के संस्थानों और देश में जननीति के संचालन पर पड़ता है। प्रणाली में शासन का अभाव और भ्रष्टाचार गरीबों को ज्यादा प्रभावित करता है। समावेशी विकास रणनीति की सफलता मुख्य रुप से हमारे समाज से भ्रष्टचार की बुराई के खात्मे और काले धन को जड़ से उखाड़ फेंकने की क्षमता पर निर्भर करती है।”
मुझे दु:ख है कि श्वेत पत्र पर कार्रवाई निराश करने वाली है।
उन तीन प्रमुख संस्थानों ने जिन्हें कालेधन की मात्रा पर रिपोर्ट देनी थी, ने अभी तक अपनी रिपोटर् नहीं सौपी हैं। न केवल अमेरिका, जर्मनी जैसे अधिक शक्तिशाली राष्ट्रों अपितु नाइजीरिया, पेरु और फिलीपीन्स जैसे छोटे देश भी टैक्स हेवन्स से अपनी अवैध लुटी सम्पत्ति को वापस पाने में सफल रहे हैं। दूसरी तरफ, भारत में हमें कुछ रिपोटर् देखने को मिली हैं जिनमें वे नाम हैं जिन पर स्विस बैंकों या ऐसे अन्य टैक्स हेवन्स में खाते रखने का संदेह है। लेकिन यह सुनने को नहीं मिला है कि अवैध ढंग से विदेशों में ले जाए धन में से एक पैसा भी वापस देश में लाया जा सका है।
श्री प्रणव मुखर्जी जो श्वेत पत्र प्रस्तुत करने के समय की तुलना में आज, ज्यादा निर्णायक भूमिका में हैं, से मैं अनुरोध करता हूं कि वे श्वेतपत्र में जनता से किए गए वायदे को सरकार द्वारा अक्षरश: पूरा करवाएं।

एल के अडवाणी के ब्लाग से:ईश्वर के संयोग

एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण आडवाणी ने अपने एक ब्लाग के पाश्च्य लेख[टेल पीस] में दो अमेरिकन राष्ट्रपतियों के जीवन में अनेकों रोचक संयोग के माध्यम से ईश्वर के कार्य करने की प्रणाली का उल्लेख किया है|प्रस्तुत है एल के आडवाणी के ब्लाग से:
अब्राहम लिंकन जॉन ऍफ़ कैनेडी
कांग्रेस में चयन १८४६ १८४६ १९४६
राष्ट्रपति के पद पर चयन १८६० १९६०
सिविल राईट्स से सम्बन्ध हाँ हाँ
पत्नी ने व्हाईट हाउस में बच्चा खोया हाँ हाँ
मृत्यु शुक्रवार शुक्रवार
गोली मारी गई सर में सर में
सचिव का नामांकरण कैनेडी लिंकन
किसने मारा दक्षिण वासी दक्षिण वासी
उत्तराधिकारी दक्षिण वासी एंड्रयू जॉनसन दक्षिण वासी ल्यंदों जॉनसन

[१]उपरोक्त के अतिरिक्त दोनों कातिल तीन नामों से जाने जाते हैं और दोनों के नामो में १५ अक्षर हैं|
[२] लिंकन को फोर्ड नामक थियेटर में गोली मारी गई जबकि कैनेडी को फोर्ड नामक कम्पनी की लिंकन कार में मारा गया| .
[३]लिंकन का हत्यारा थियेटर से भाग कर गौदाम में जा छुपा और कैनेडी के हत्यारे ने गौदाम से गोली चला कर थियेटर में शरण ली
उपरोक्त संयोगों के माध्यम से ब्लॉगर आडवाणी ने अल्बर्ट आइंस्टीन के हवाले से कहा है कि संयोगों के चमत्कार को उत्पन्न करके स्वयम को गुमनाम रखने की ईश्वर की यह अपनी ही कार्यप्रणाली है
Albert Einstein once remarked Coincidence is God’s वे of remaining anonymous.