दलित उत्पीडन के नाम पर असंवैधानिक विरोध प्रदर्शन
भारत बंद के मद्देनजर केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से सुरक्षात्मक कदम उठाने, सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और लोगों के जीवन तथा संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा जरूर है लेकिन इसके बावजूद देश भर में हिंसा को तांडव हुआ उससे न केवल आंदोलन की भावना परप्रश्न चिन्ह लगा वरन सरकारी और जन साधारण की संपत्ति के स्वाह होने बहुमूल्य ९ जीवन नष्ट किये जाने पर भी राजनितिक दलों द्वारा एक दूसरे पर दोषारोपण की अग्नि प्रज्वलित करके हाथ सेंकने से उनकी निष्ठां भी घेरे में आ गई है|
एस/एसटी अधिनियम मुद्दे पर बंद के आह्वान के मध्यनजर हुई हिंसा के प्रति सुरक्षात्मक उपाय कराने में खुफिया तंत्र फेल साबित हुआ है ,चूँकि जो बची खूची सीआईडी +सीबीआई +आर्मी एंतेलिजेंस हे उससे राजनितिक आंकडे सही कीए ज़ाते है
जिम्मेदार कांग्रेस और वाम दलों ने भी हिंसा को रोकने में गाँधीवादी कदम उठाने के बजाय केवल आरोप प्रत्यारोप के आसान मार्ग को ही चुना |
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पंजाब ने ही केंद्र से केन्द्रीय बलों की मांग जरूर की और केंद्र सरकार के अनुसार उन्हें वह मुहैय्या भी करवाई गई इसके बावजूद भाजपा शासित मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में भारी जानमान का नुकसान हुआ | शायद यहां भी योगी सरकार राज्य सभा में मिली जीत से अतिउत्साह में भारत बंद की गंभीरता को भांपने में सफल नहीं हुई |
पंजाब में जरूर एक दिन पूर्व ही सतर्कता बरतते हुए बस एवं मोबाइल सेवाएं निलंबित कर दी गई शिक्षण संस्थाओं को बंद करा दिया गया |यहाँ तक के CBSE के पेपर भी स्थगित करवा दिए गए |बेशक कांग्रे शासित इस राज्य में अपने केंद्रीय न्रेतत्व के भारत बंद के आह्वाहन को सफल बनाने को यह कदम उठाया गया लेकिन यह कारगार साबित हुआ |
सुरक्षा बलों ने एहतियात के तौर पर राज्य के कुछ हिस्सों में फ्लैग मार्च निकाला।