पैरोडी
बंटवारे का पीड़ित हूँ,लुट पिट कर भी उपेक्षित हूँ
कैसे कह दूं में जय हिंद,जय हिंद ,जय हिंद
माथा सभी दरों पर टेक लिया,सभी को जी हुजूर बोल लिया
फिर भी दोनों हाथ खाली,सवाली कैसे कह दे जय हिंद जय हिंद
75 सालों में तीन पीढियां गुजर गई,इंसाफ नही मिला
में भी हक मांगता रहूंगा,चाहे निकल जाए दम,
कैसे कह दूं में जय हिंद ,जय हिंद ,जय हिंद
नया हुक्मरां है दर्द मेरा पुराना,मशीनों में उलझा कर ना सुने हमारा गम
रोज नए जुमले गढ़ता ये रहता,सिर का बोझ हमारे ना होता कभी कम
नक्कारखाने में तूती बना कर छोड़ा फिर भी फफोलों का दर्द रखूंगा बुलंद
ऐसे में कैसे कह दूं में जय हिंद, जय हिंद,जय हिंद