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उत्तर प्रदेश में स्मारकों के व्यवसाईक उपयोग और उसके विरोध को लेकर वोट बैंक की राजनीती शुरू हो गई है

:उत्तर प्रदेश में जाति धर्म के आधार पर राजनीती करने वाली सत्ता रुड समाज वादी [एस पी]और विपक्षी बहुजन समाज वादी[बी एस पी] पार्टियां लगता है अब जातियों को आपस में लड़ाने की तैय्यारी में लग गई है तभी दलित उत्थान के नाम पर बनाए गए स्मारकों को लड़ाई का मैदान बनाया जा रहा है| प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार ने दलित महापुरुषों की याद में बने १० अरब की लागत के विशाल स्मारकों से अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए स्मारकों के खाली हिस्सों को मैरिज होम्स [शादी-ब्याह] की तरह प्रोफेशनल उपयोग की इजाजत दे दी है जिसके विरोध में बी एस पी ने दलितों के सड़क पर उतरने की चेतावनी देते हुए सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है|मुख्य मंत्री का कहना है कि स्मारकों में जनता का पैसा खर्च हुआ है। वहां शादी होने से शादी करने वालों की नहीं, स्मारकों की ख्याति ही बढे़गी। उनका प्रचार भी होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव के समय स्मारकों में अस्पताल खोलने और बेहतर इस्तेमाल की बात हुई थी, तब उसे अंदर से नहीं देखा था। यहां के एक स्मारक में अष्टधातु के जानवर और पेड़ लगे हैं। वहां के खाली स्थानों में शादी-ब्याह होने से कौन सी दिक्कत है। मुख्यमंत्री बिना नाम लिए हुए कहा कि एक सरकारी स्थान की बुकिंग के लिए लाइन रहती है, क्योंकि सब जानते हैं कि अच्छे स्थान पर कम पैसों में शादी हो जाएगी। ऐसे में स्मारक का बेहतर इस्तेमाल हो जाएगा। शादी ब्याह होगा तो उनका प्रचार भी हो जाएगा। स्मारकों की ख्याति भी फैल जाएगी।
इस सरकारी घोषणा के विरुद्ध बी एस पी कड़ी हो गई है|सत्ता मुक्त हुई बी एस पी ने इस मुद्दे को सडकों पर ले जाने की बात कह दी है और जाति वादी युद्ध की भूमिका की तरफ इशारा भी कर दिया है|पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात करके प्रदेश सरकर के निर्णय को दलित विरोधी बताते हुए सरकार को तत्काल बर्खास्त किये जाने के मांग भी कर दी है|
लगता है के २०१४ में होने वाले लोक सभा के चुनावों में अपने अपने वोट बैंक को जोड़े रखने के लिए दोनों पार्टियों को एक मुद्दा मिल गया है|