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मुद्रा संप्रभुता का प्रतीक है, माला बनाकर या लुटा कर राष्ट्रीय मुद्रा का अनादर नहीं करें :आर बी आई का आग्रह

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश की मुद्रा को संप्रभुता का प्रतीक बताया और माला बनाकर या लुटा कर इनका दुरूपयोग करके राष्ट्रीय मुद्रा का अनादर नहीं करने का आग्रह किया| आर बी आई ने बुधवार को आम लोगों से कहा कि
राष्ट्रीय मुद्रा का सम्मान करें और
माला बनाने में इनका इस्तेमाल न करें +
सामाजिक कार्यक्रम में किसी के ऊपर इसे न्योछावर न करें|
गौरतलब है कि शादी और राजनीतिक रैलियों में नोट लुटाना एक आम रिवाज बन गया है।
।मालूम हो कि बेशक १९६७ से नोट के साइज में कोई तबदीली नहीं कि गई है लेकिन उसके बावजूद प्रिंटिंग कास्ट बढ रही है| बीते साल मीडिया में छपे एक अर्टिकल में बताया गया था कि १०० रुअप्ये के नोट से ज्यादा ५० रुपये के नोट की छपाई में खर्च आता है|दस रुपये के एक नोट की छपाई में १०% का खर्च आता है जबकि १०० रुपये के नोट पर लगभग पौने दो प्रतिशत का खर्चा आता है| ऐसे में नोटों कि बर्बादी से छपाई का खर्चा बढता है और आर्थिक व्यवस्था को चोट पहुंचाई जाती है|