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शीला दीक्षित को तीन बार मुख्य मंत्री बनाने वाली नई दिल्ली की जनता, शायद दिल्ली की सबसे दुखी जनता है

आम आदमी पार्टी [आप ]के वरिष्ठ नेता अरविंद केजरीवाल ने रविवार को वाल्मिकी मंदिर में मत्था टेकने के बाद बाल्मीकि समाज की समस्यायों को सुना और उनकी व्यथा जानकर हैरानी व्यक्त करते हुए वाल्मिकी समाज के साथ हो रही है नाइंसाफी के विरुद्ध आवाज उठाने का आश्वासन दिया| उन्हने इस अवसर पर कहा के दिल्ली को तीन बार मुख्यमंत्री देने वाली नई दिल्ली विधानसभा की जनता, शायद दिल्ली की सबसे दुखी जनता है.|अरविन्द केजरीवाल नई दिल्ली से प्रत्याशी हैं|
वाल्मिकी समाज के सम्मानित व्यक्ति किशनपाल मंगवाना[,चेना महाराज ] ने अरविंद केजरीवाल को महर्षि वाल्मिकी की एक प्रतिमा और रामायण भेंट की. चेना महाराज ने अरविंद केजरीवाल और पार्टी कार्यकर्ताओं को अपने समाज की बहुत सारी परेशानियां बताईं. वाल्मिकी बस्ती के लोग पिछले 15 सालों से समय-समय पर इन समस्याओं को शीला दीक्षित को बताते आ रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री ने हमेशा अनसुना कर दिया.
[१]चेना महाराज ने बताया कि सबसे बड़ी परेशानी ठेका मजदूरी से जुड़ी है. दिल्ली को साफ-सुथरा रखने में सबसे बड़ी भूमिका वाल्मिकी समाज के लोगों की है. 90 प्रतिशत से अधिक सफाई कर्मचारी वाल्मिकी समाज से आते हैं. लेकिन खुद को गंदगी में झोंककर शहर को साफ-सुथरा रखने में जुटे लोगों को अस्थाई सफाई कर्मचारी की नौकरी पाने के लिए भी काफी घूस देना पड़ता है.
[२]“ अस्थाई ठेका मजदूरी हासिल करने के लिए भी एनडीएमसी को 10 से 20 हजार तक की घूस देनी पड़ती है. एक बार में मात्र छह महीने के लिए ही काम मिलता है. सात हजार की अस्थाई नौकरी, वह भी मात्र छह महीने के लिए मिलती है, के लिए इतनी घूस देनी पड़े! सरकार बस हमारा खून चूसने में यकीन रखती है.”
[३]इस ठेका आधारित नौकरी को हासिल करने से पहले रोजगार केंद्र में अपना नाम डलवाने भर के लिए 500 रुपए देने पड़ते हैं. सात हजार की तन्ख्वाह देने के बदले उनसे आधी तन्ख्वाह तो अलग-अलग बहाने से घूस के तौर पर ऐंठ ली जाती है. एनडीएमसी में सफाई कर्मचारी को 5-6 साल तक पहले ठेके पर काम करना पड़ता है उसके बाद 6-7 साल तक नियमित काम. फिर जाकर उसकी नौकरी पक्की होती है.
[४] अगर वाल्मिकी समाज का कोई युवा पढ़ने में होशियार निकला और अगर उसने अच्छी तालीम हासिल कर ली, फिर भी उसे काम सफाई का ही
दिया जाता है. बी.ए और एम.ए पास कई लड़के एनडीएमसी में सफाई का काम ठेका मजदूर की तरह कर रहे हैं.
उन्होंने अरविंद केजरीवाल को वाल्मिकी सदन में कई ऐसे परिवारों से मिलाया जिनके घर के कमाऊ व्यक्ति की सफाई के दौरान मौत हो गई.
वाल्मिकी समाज के लोगों में सरकार के कामकाज को को लेकर काफी गुस्सा है. चेना महाराज सरकार की संवेदनहीनता पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, “सीवर की सफाई का कार्य जोखिम भरा होता है. काम के दौरान अगर किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है तो सरकार तुरंत उससे घर खाली करा लेती है. मृतक के आश्रितों के लिए सिर्फ 5 प्रतिशत आरक्षण है और अगर किसी आश्रित को नौकरी मिलती भी है तो वह भी अस्थाई ठेका मजदूरी का ही काम मिलता है. हमारा पूरा जीवन समाज की सेवा में बीत जाता है और उस काम को निभाते हुए कोई हादसा हो जाए तो हमारे लिए दुनिया के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं. हम तो बस वोट बैंक बनकर रह गए हैं.”
[५]एनडीएमसी में सफाई कर्मचारियों की भारी कमी है. पहले हर सर्किल में करीब 50 सफाई कर्मचारी होते थे लेकिन आज किसी भी सर्किल में 20-25 कर्मचारी रह गए हैं. इस कारण आठ घंटे की बजाए 13-14 घंटे काम करना पड़ता है. सफाई कर्मचारियों को कभी भी बुला लिया जाता है और अगर कोई असमय आने में असमर्थता जताए तो उसका ठेका खत्म करने की धमकी दी जाती है.
चेना महाराज कहते हैं, “गुलामी और जिल्लत की जिंदगी बहुत हो चुकी है. अब हमारे युवा बगावत करने को उतारु हैं. समाज का भी डर खत्म हो रहा है. कांग्रेस सरकार यह मानकर चलती है कि वाल्मिकी समाज तो उसे ही वोट देगा. इस बार हम कांग्रेस सरकार का यह भ्रम मिटाएंगे. आम आदमी पार्टी में हमें उम्मीद नजर आ रही है. अबकी बार इसे भी काम करने का मौका देकर देखेंगे.”
समाज से आये डॉ अशोक बताते हैं, “ वाल्मिकी समाज साधनविहीन. साफ-सफाई का कार्य ऐसा है जिसमें तरह-तरह का संक्रमण फैलने का डर रहता है. चर्म रोग, फेफड़े और पेट का कैंसर, अस्थमा जैसी बीमारियां तो आम हैं. ऐसा एक भी परिवार नहीं होगा जिसके सदस्य इन बीमारियों की चपेट में न आए हों. यही वजह है कि इनकी औसत आयु 50 साल हो गई है. जो समाज सबको बीमारियों से दूर रखने के लिए अपना जीवन दांव पर लगाता हो क्या उसका इतना भी हक नहीं कि सरकार उसकी बीमारियों के लिए ईलाज का अच्छा इंतजाम करे?”