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डा.. मन मोहन सिंहने पुराने रिश्तों का हवाला देते सीआईआई से सहयोग की कामना की

कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री डा. मन मोहन सिंह ने आज कंफेडरेशन से अपने पुराने मधुर रिश्तों का हवाला देते हुए व्यावसायिक क्षेत्र में साझेदारी की कामना की | उन्होंने कहा की वर्तमान में उद्योग जगत में निराशा है |विकास दर गिरकर पांच प्रतिशत तक पहुंच गई है| सरकार विकास दर आठ प्रतिशत तक हासिल करने के लिए प्रयास कर रही है। लेकिन विकास की इस नई इबारत को लिखने के लिए सरकार और व्यावसायिक क्षेत्र की साझेदारी की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, विकास दर में आई गिरावट अस्थायी है।
इस वार्षिक बैठक में उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि कारोबारी माहौल, जो 2007 में असामान्य रूप से आशावादी था, आज असामान्य रूप से निराशावादी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पांच फीसदी की धीमी विकास दर निराशाजनक है, लेकिन फिर से यह आठ फीसदी हो सकता है।प्रधानमंत्री ने कहा, हमें स्वीकार करना होगा कि निर्यात कमजोर रहेगा और चालू खाता घाटा उम्मीद से अधिक रहेगा। हम राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए हरसंभव कदम उठाने को प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा, वर्तमान अस्थायी आर्थिक गिरावट के लिए आंशिक तौर पर वैश्विक तत्व जिम्मेदार हैं। हमें सुधारात्मक कदम उठाने होंगे।
उन्होंने साथ में यह भी कहा, नौकरशाही में भ्रष्टाचार और काहिली समस्याएं हैं। गठबंधन चलाना आसान नहीं।
भूमि अधिग्रहण को लेकर पिछले दिनों उठे विवादों पर उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक + जल्द ही संसद में पेश होगा। कोयला खदान और पेट्रोलियम के छेत्र में सुधार किये जायेंगे |
डा. सिंह ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की वार्षिक आमसभा में कहा कि सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में और राहत देगी और मुद्रास्फीति कम करने के लिए कदम उठाएगी।
उन्होंने कहा कि वर्तमान विकास दर निराशाजनक है। यह अस्थाई गिरावट है, जिसके लिए आंशिक तौर पर वैश्विक तत्व जिम्मेदार हैं। हम आठ फीसदी विकास दर पर लौट सकते हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार विकास को बढ़ावा देने के लिए निर्णायक और त्वरित कार्रवाई करेगी।
पी एम् ने कहा कि कारोबारी माहौल, जो वर्ष 2007 में असामान्य रूप से आशावादी था, आज अनावश्यक रूप से निराशावादी है। मैं भारतीय उद्योग जगत से अपील करूंगा कि हमारे संकल्प में विश्वास रखे और निराशा में न फंसे। मनमोहन सिंह ने कहा कि राजकोषीय घाटा बढ़ने से चालू खाते का घाटा बढ़ा है। अनुमान है कि वर्ष 2012-13 में यह जीडीपी के करीब पांच फीसदी तक रहेगा।
उन्होंने कहा कि रक्षा विभाग की मंजूरी की प्रतीक्षा में पेट्रोलियम क्षेत्र में 20 अरब डॉलर मूल्य का निवेश और 40 ब्लॉकों में तेल-गैस खोज का काम वर्षों से रुका हुआ था। इस समस्या को जल्द सुलझा लिया जाएगा