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पान की दूकान को १३२ करोड़ का बिजलीबिल देख कर हरियाण के विकासस्तर से ईर्ष्या हो रही है

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

हरियाणवी दुकान दार

ओये झल्लेया ये तो हसाडे सर पर पहाड़ टूट पढ़ा ओये अब किसके द्वारे जाकर दुखड़ा रोएँ हुड्डा रहे नहीं खट्टर स्थापित नहीं और बिजली का बिल आ गया १३२ करोड़ रुपयों का |ओये अब तक तो १००० रुपयों की मार झेलनी ही मुश्किल थी अब १३२ करोड़ रुपये कहाँ से लाएंगे ?
ओये इतने तो हमने पूरे महीने में पान भी नहीं बेचे औरबिजली वितरण नामी निगम अरे ये बिजली वालों ने हमें ही इतना ज्यादा चूना लगा कर हमें श्मशान भेजने का जुगाड़ कर दिया

झल्ला

ओ मेरे भोले सेठ जी फ़िक्र नाट आपसे पहले नारनौल के एक मकान के लिए २३४ करोड़ का बिल चुका है | आप लोगों ने शायद भूपेंद्र सिंह हुड्डा साहब के धुआं धार विज्ञापनों पर नजर नहीं डाली अरे उन्होंने अपने दस सालों के शासन में विकास और आयदर के बढे +बढे महंगे +महंगे नारे लगवाये हैं वैसे सच कहूँ तो हरियाण में विकास का यह स्तर देख कर खुद झल्ला भी झल्लाह रहा है