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किसान मर रहा परिवार रो रहा,जोरावर लगाये अट्ठास,जीते जी सुध ले न कोई ,मरे पर आसूं बहें जार जार

पोलिस कहे “आप” है चोर “आप”कहे पोलिस चोर कांग्रेस कहे भाजपा है चोर भाजपा कहे कांग्रेस चोर
संसद हो या सड़क चोर खुद ही चोर को कह रहे चोर चोर चोर का शोर मचा चहुँ और, राम!सारे के सारे चोर
किसान मर रहा परिवार रो रहा जोरावर लगाये अट्ठास जीते जी सुध ले न कोई मरे पर आसूं बहाएं जार जार
लाशों के सौदागर लाशों पर करते लाखों की बरसात खाकी हो खादी या फिर हो सूटेड सरकार खोलते सूटकेस
मरा किसान मेरा है सो है लाख ,करोड़ों का लाशों के ये व्यापारी हर लाश पर कहते जाते, वन्स मोर भई वन्स मोर
जीते जी सुध ले नहीं कोई, कुकुरमुत्ते ,दीखते केवल गरीब किसान की दर्दनाक मौत के ही बाद
चहुँ और इन चोरों का मचा घनघोर अंधकार किस और छुपी सच्ची भौर झल्ले किसान को कहाँ मिलेगी ठौर,
चोर चोर के शोर में चोरों की इस चौंध में कब मिलेगी “चमक” विरोधी डोर