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शरीर की प्रयोगशाला में ध्यान के फार्मूले से ईश्वर को पाया जा सकता है: संत राजेंद्र सिंह जी महाराज

संत कृपाल रूहानी मिशन SKRM की अध्यात्मिक गद्दी के मौजूदा वारिस संत राजेंद्र सिंह जी महाराज अध्यात्मिक विज्ञानं की गंगा केवल अपने देश में ही नहीं वरन अमेरिका+कनाडा+और यूरोप में भी बहा रहे हैं|महाराज का मानना है कि ईश्वर को बाह्य भौतिक संसार के बजाय ध्यान +तप से अपने अन्दर ही तलाशना होगा| संत राजेंद्र सिंह जी महाराज ने नवीनतम उपदेश में अपने ही शरीर रुपी प्रयोगशाला में ध्यान का प्रयोग के फार्मूले भी बताये हैं |महाराज ने बताया है कि उनसे अक्सर ईश्वर के विषय में प्रश्न किये जाते हैं|आत्मा+रूह+जीवन के विषय में जिज्ञासू पूछते रहते हैं| परमाणु [ATOM] में से सूक्ष्म को तलाशने के लिए सभी यत्न किये जा रहे हैं|बेशक आज कल ईश्वरीय पदार्थ की खोज के लिए भौतिक वादी संसार में नित नए प्रयोग किये जा रहे हैं| शक्तिशाली टेलेस्कोप+और स्पेस शिप भी बना लिए गए हैं| ईश्वर की खोज की सफलता के प्रति विश्व में अभी भी प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है| लेकिन अबी तक हम लोग भौतिक वादी बाह्य संसार में ईश्वर के अस्तित्व को ढूंढ नही पाए हैं|इसीलिए प्रक्रति के रचियेता को को अपने अन्दर ही तलाशना होगा| इसके लिए संत+ महापुरुष सदियों से मार्ग दर्शन करते आ रहे हैं| संतो महापुरुषों ने ध्यान तप[ meditation ]से इष्ट देव को प्राप्त भी किया है|
संत राजेंद्र सिंह जी महाराज ने ध्यान +तप के विषय में ज्ञान देते हुए बताया कि कुछ लोग ध्यान को अपने शरीर और दिमाग की तंदरुस्ती के लिए केवल व्यायाम ही मानते हैंलेकिन संतों के अनुसार ध्यान ईश्वर की प्राप्ति का साधन है|
कुछ संतों के अनुसार शरीर रुपी मंदिर में ईश्वर का वास है| इसकी व्याख्या करते हुए संत महाराज ने बताया है कि चूंकि मानव शरीर में वास कर रही आत्मा स्वयम ईश्वर का ही सुक्ष स्वरुप है इसीलिए प्रत्येक जीव में ईश्वर का वास है जिसे देखने के लिए स्वयम के अन्दर ध्यान के माध्यम से झांकना होगा|
ध्यान प्रक्रियाको बेहद आसान बताते हुए संत राजेंद्र सिंह जी ने बताया कि सुविधाजनक एकांत स्थान पर अपनी ऑंखें बंद करके अपने अन्दर झांकना है |इस प्रक्रिया में दिमाग हमें अनेक विचारों से भटकाता है इसीलिए इस भटकाव से बचने के लिए आध्यामिक शब्दों [ spiritually charged words]को बार बार दोहराना होता है|प्रारम्भिक जिज्ञासूं को ज्योति ध्यान [Jyoti Meditation,]जरुरी है|इसके अंतर्गत अपने ईष्ट देव के नाम को दोहराना होता है|इस प्रक्रिया को रोजाना करने से इच्छा की पूर्ती होती है|
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