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“आप”के जनलोकपाल का उड़ा सर्वत्र उपहास:पार्टी ने विरोध को भाजपा द्वारा प्रायोजित बताया

[नयी दिल्ली]”आप”पार्टी के जनलोकपाल का उड़ा सर्वत्र उपहास”आप” पार्टी के जनलोकपाल का सर्वत्र उपहास बनाया जा रहा है|इसे महा जोकपाल+केजरिपाल+धोखापाल बताया जा रहा है |इस मसौदे में केंद्र के अधिकार के डीडीऐ +पुलिस को लेकर केंद्र से सीधे टकराव की भूमिका तैयार कर ली गई है जिसके आधार पर केंद्र द्वारा इसे पारित किये जाने पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है |आप पार्टी ने विग्यप्ति जारी करके इस विरोध को भाजपा प्रायोजित बताया है |सूत्रों के अनुसार लालू प्रसाद यादव के साथ स्टेज पर गलबहियां के वायरल होने से अरविन्द केजरीवल दबाब में आ गए जिसके फलस्वरूप आनन फानन में मसौदा लाया गया है
मशहूर वकील और किसी समय अरविंद केजरीवाल के सहयोगी रहे शांति भूषण +प्रशांत भूषण ने आज केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अन्ना आंदोलन के जन लोकपाल मसौदे के प्रावधानों को कमजोर करके लोगों को सबसे बड़ा धोखा दे रहे हैं।शांतिभूषण ने तो दिल्ली के मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग भी की है।उनके अनुसार अपने दागी विधायक+मंत्रियों को बचाने के लिए बेहद कमजोर जन लोकपाल लाया गया है |
भूषण ने मसौदा विधेयक के कुछ प्रावधान के आधार पर दावा किया कि टकराव को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र के मंत्रियों और अधिकारियों को ‘जानबूझकर’ प्रस्तावित विधेयक के दायरे में रखा गया है।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल को भी ‘मोदी’ की तरह सवाल किया जाना पसंद नहीं है लिहाजा उन्होंने विधेयक का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं करने का फैसला किया।
आप के पूर्व नेता ने कहा, ‘‘भारत के इतिहास में किसी कार्यकर्ता अथवा आंदोलन ने इस तरह से लोगों के साथ धोखा नहीं किया है। इससे सिर्फ यही होगा कि केन्द्र सरकार इसे मंजूरी नहीं देगी और विधेयक कभी पारित नहीं होगा। केजरीवाल की एक मजबूत लोकपाल बनाने की मंशा कभी नहीं रही।’’
आप के असंतुष्ट विधायक पंकज पुष्कर भी इस मौके पर भूषण के नोएडा स्थित आवास पर उपस्थित थे। उन्होंने दावा किया कि बिजनिस एडवाइजरी कमेटी का सदस्य होने की हैसियत से वह विधेयक की एक प्रति हासिल करने में सफल रहे।
भूषण ने विधेयक में उल्लिखित लोकपाल की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रियाओं पर सवाल उठाया, जिसे हाल ही में आप केबिनेट ने मंजूरी दी। उनका कहना था कि इससे लोकपाल को नगर सरकार के रहमो करम पर छोड़ दिया गया है।
विधेयक कथित रूप से कहता है कि मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, विपक्ष के नेता और दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वाली चार सदस्यीय चयन समिति लोकपाल की नियुक्ति करेगी, जबकि विधानसभा में दो तिहाई बहुमत से मंजूर होने वाले प्रस्ताव के जरिए लोकपाल को हटाया जा सकेगा।