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स्वराज अभियान ने राजनितिक स्वरुप अपनाया ,बढ़ेंगी केजरीवाल की राजनितिक मुश्किलें

[नई दिल्ली] स्वराज अभियान ने सूचना के अधिकर के अंतर्गत स्वयम को रखते हुए राजनितिक स्वरुप अपनाया,बढ़ेंगी केजरीवाल की राजनितिक मुश्किलें
आम आदमी पार्टी से अलग किये गए नेताओं ने एक नई राजनितिक पार्टी का गठन किया है|
जिसके पहले राष्ट्रीय प्रतिनिधि अधिवेशन में राजनैतिक दल निर्माण की घोषणा हुई और देश में वैकल्पिक राजनीति की स्थापना के लिए आवाज़ बुलंद की गयी।
स्वराज अभियान ने संकल्प लिया है कि 2 अक्टूबर तक राजनीतिक दल का निर्माण करेंगे। वैकल्पिक राजनीति के इस प्रारूप को मूर्त रूप देने के लिए स्वराज अभियान ने एक 6 सदस्यीय टीम का गठन किया।
स्वराज अभियान के गठन के समय तीन मुख्य मापदंड तय किए गए थे।
एक, लोकतांत्रिक ढंग से संगठन का निर्माण।
दूसरा, देश के सम्मुख गंभीर मुद्दों पर जन आंदोलन चलाना।
और तीसरा, पारदर्शिता एवं जवाबदेही को सुनिश्चित करना।
प्रो. आनंद कुमार को स्वराज अभियान का राष्ट्रिय अध्यक्ष चुना गया। संगठन के उपाध्यक्ष के तौर पर तमिल नाडु से क्रिस्टिना सामी, बंगाल से अविक साहा, आंध्र प्रदेश से पुरुषोत्तम और दिल्ली से पी. एस. शारदा को चुना गया है। साथ ही फहीम खान को महासचिव, तथा गिरीश नंदगांवकर एवं राजीव ध्यानी स्वराज अभियान के नए सचिव चुने गए।
पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए स्वराज अभियान ने स्वेच्छा से खुद को ‘सूचना के अधिकार’ के अंतर्गत रखा है और जन सूचना अधिकारी नियुक्त किया है। संगठन में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए तीन सदस्यीय लोकपाल नियुक्त किया गया है। प्रतिनिधि सम्मलेन में प्रशांत भूषण ने स्वराज अभियान के लोकपाल के तौर पर कामिनी जयसवाल, सुमित चक्रवर्ती और नूर मोहम्मद का परिचय रखा। साथ ही, संगठन में शिकायत निवारण समितियां भी बनायी गयी हैं।
अधिवेशन को संबोधित करते हुए योगेन्द्र यादव ने कहा कि “स्वराज अभियान ने 2 अक्टूबर तक राजनीतिक पार्टी बनाने का संकल्प लिया है। हमारे लिए पार्टी बनाने का मतलब है कि इस देश में सच्चाई और ईमानदारी की ऊर्जा जहाँ कहीं भी है उसे जोड़ना। हम ईमान और सच्चाई की ऊर्जा को संगठित करके वैकल्पिक राजनीति की एक मिसाल पेश करेंगे।”
स्वराज संकल्प के प्रतीक के रूप में सर पर पीले रंग के पट्टे को धारण किया गया। पीला रंग ऊर्जा का प्रतीक है, नई आशा का प्रतीक है, सूरज का प्रतीक है, पवित्रता का प्रतीक है।
गौरतलब हे के स्वराज अभियान से जुड़े नेताओं को आम आदमी पार्टी से अपमान जनक रूप में निकाला गया था |इन्होंने पंजाब में हुए उपचुनावों में आप का विरोध करने की घोषणा की तो अरविन्द केजरीवाल ने उपचुनावों से ही किनारा कर लिया था