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लगा रहे योगासन जो,सभी मिथ्यायें तोड़ कहें झल्ला वा साधक सौं रोग रहें हथजोड़

सच्चे योग साधक के समक्ष रोग ठहरते नहीं|संयुक्त राष्ट्र ने हमें योगा का अधिकार दिया है |इस “राइट टू योगा” से चिकित्सकों से मुक्ति तो मिलती ही है इसे करने से कोई सर्विस टैक्स भी नहीं देना पढता|
पंचमेल खिचड़ी भाषा में कभी संत कबीर दास जी ने अपने एक दोहे में सतज्ञानी को काल विजेता बताया था
“लगा रहे सतज्ञान सों , सबही बंधन तोड़
कहैं कबीर वा दास सौं, काल रहै हथजोड़”
सौभाग्य से आजकल जन जन ज्ञानी हो गया है लेकिन दुर्भाग्य है कि ज्ञान के चातुर्य को दूसरों को उपदेश देने में ही लगा रहा है”अर्थार्त “पर उपदेश चतुर बहुतेरे”
शायद इसीलिए अपने ही ज्ञान के बोझ तले दबे अधिकतर ज्ञानी अपने ज्ञान से कल्याणकारी योजनाएं चलने के बजाय इससे दूसरों को दबाने में लगे हुए हैं|यही योग के केस में भी हो रहा है|भारी बस्ते वाले ज्ञानी आये दिन योग को पाखंड+धर्म विरोधी+राजनितिक षड्यंत्र बता कर अपने पत्ते फेंटने में व्यस्त हैं |इन्हें पाखंड और व्यायाम में अंतर दिखाई नहीं दे रहा+सूर्य नमस्कार की उपासना और नमस्कार में समानता दिखाई दे रही है+विश्व दिवस को भाजपा दिवस की संज्ञा दी जा रही है |सबके बावजूद योग के प्रति रुझान दिनों दिन बढ़ता ही दिखाई दे रहा है|यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो २१ जून को मनाये जाने वाला पहला अंतराष्ट्रीय योग दिवस विश्व में अपना कीर्तिमान स्थापित करेगा| वर्ल्ड रिकार्ड्स बनाएगा |क्षमा के साथ कबीर जी के उक्त दोहे को वर्तमान परिस्थितियों में इस प्रकार कहा जा सकता है
“लगा रहे योगासन जो,सभी मिथ्यायें तोड़
कहें झल्ला व साधक सौं रोग रहें हथजोड़” ,
अर्थात योगासन लगाने वाला साधक अपने मन और शरीर और वचनों को अपने नियंत्रण में रखता है और सांसारिक बंधनों से मुक्त रहता है वर्तमान समाज की मुख्य समस्या रोगी मन और रोगी काया ही है जिसके फलस्वरूप कटुवचनों की भरमार हैं शायद यही हमें विनाश की तरफ धकेल रही है
एक सच्चे योग साधक के समक्ष रोग +दोष +अनावश्यक +नकारात्मक भावनाएं ठहरती ही नहीं हैं .
कबीर जी संत और दास दोनों थे लेकिन मैं तो निरा “झल्ला” ही हूँ इसीलिए क्रांतिकारी नहीं होते हुए भी राजनितिक दल +धर्म +कुरीतिओं में बंधे रहना कभी स्वीकार नहीं किया| इसीलिए दोनों हाथ जोड़ कर निवेदन करना चाहता हूँ कि निरोगी मन और काया के लिए नियमित योग करें+स्थान नही है |सरकारी पार्क में जा सकते हैं +अकेले ही कर सकते हैं+नीचे बैठने में दिक्कत है तो बैंच +कुर्सी +स्टूल पर बैठ कर योग कर सकते हैं +कठिन क्रियायों के स्थान पर आसान क्रियाएँ की जा सकती हैं और हाँ इसपर कोई सरकारी सर्विस टैक्स भी नहीं लगता |