Ad

चुनावी समय है बूथ तक ही जाना है ,लड़खड़ा गए तो कहाँ संभल पाओगे

बहुत कह चुके बहुत सह चुके, कब तक यूं ही गिड़गिड़ाओगे,
किस्मत का नहीं है ये दोष,अपनी करनी सामने पाओगे
महंगाई+बेरोजगारी को लेकर, कब तक कर्म फ़ुड़वाओगे
,करनी जो है दूसरों की कब तक खुद के मत्थे मढ़ते जाओगे
नींद से जागोगे तभी कुछ पाओगे ,सोते रह गए तो हेल्थ भी गवाओगे
चुनावी समय है बूथ तक ही जाना है ,लड़खड़ा गए तो कहाँ संभल पाओगे
माना नही है तुम्हें बदलाव की आस, गन्दी सियासत से हो चुके हो निराश
आने वाली पीढ़ी को क्या देकर जाओगे ,ये सोचोगे तभी कदम बढ़ाओगे
जो बढाए अपना हाथ मीना उसी का है ,ये खुला राज तुम कब जान पाओगे