अलग तेलंगाना राज्य की स्थापना को लेकर आज अनेकों बैठकें हुई जिनमे यूं पी ऐ समन्वय समिति + कांग्रेस कार्य समिति ने अलग तेलंगाना राज्य को हरी झंडी दे दी.| बैठक के पश्चात दिग्विजय सिंह और अजय माकन ने प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी देते हुए बताया कि अगले 10 वर्ष के लिए हैदराबाद , आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की, संयुक्त राजधानी रहेगी|।आंध्र प्रदेश की 294 विधानसभा सीटों में से 117 विधानसभा सीट तेलंगाना में हैं, तथा तेलंगाना क्षेत्र से लोकसभा में 17 सांसद हैं।इस फैसले की मिली जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं| [१] तेलंगाना में तो स्वाभाविक ख़ुशी का माहौल छा गया. आन्दोलनों और 56 वर्ष के इंतज़ार के बाद आज सरकार ने अलग तेलंगाना राज्य को मजूरी दे दी|
[२]एकीकृत आंध्र प्रदेश की मांग कर रहे लोगो ने भी गैर तेलंगाना प्रान्तों में आन्दोलन तेज़ कर दिया है. + धरने प्रदर्शन शुरू कर दिए गए हैं+. सुरक्षा के लिए १००० अतिरिक्त सैनिक भेजे जा चुके हैं|इनमे . सी आर पी ऍफ़ +आर ऐ ऍफ़ की ३० कम्पनियाँ भी शामिल हैं|
[३]. प्रथक गोरखालैंड की मांग करने वाले आंदोलनकारियो ने 3 दिन के बंद का ऐलान किया है.
[४] उत्तर प्रदेश में चौ.अजीत सिंह ने प्रथक हरित प्रदेश की मांग की.है
[५] महाराष्ट्र से विदर्भ को अलग करने की मांग भी उठने लग गयी है.
[६]जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि आंदोलन के आधार पर नए राज्य के गठन से ‘खतरनाक परिपाटी’ बनेगी। अब्दुल्ला ने कहा कि इससे देश के अन्य हिस्सों में उपद्रवों को प्रोत्साहन मिलेगा।
[७]आप पार्टी ने इस फैसले का स्वागत किया है|
यूं पी ऐ के इस निर्णय से तेलुगूभाषी लोगों के लिए दो राज्य बन जाएंगे।
आंध्र स्टेट और तेलंगाना (तब का हैदराबाद स्टेट) को मिलाकर एक नवंबर 1956 को गठित किए गए राज्य आंध्र प्रदेश के गठन के बाद से ही चले आ रहे इस मुद्दे का संप्रग के इस निर्णय के साथ ही पटाक्षेप हो गया।
आंध्र प्रदेश के ही कुछ कांग्रेस सांसद भी पृथक तेलंगाना राज्य के गठन का विरोध कर रहे हैं, और इस संबंध में पिछले सप्ताह उन्होंने प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की थी और राज्य को विभाजित न करने की मांग की थी।थक तेलंगाना राज्य के गठन के फैसले का श्रेय भले ही कांग्रेस ले, किन्तु अन्य राजनीतिक दलों ने इस पर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। वाम दलों ने सावधानी बरतते हुए कहा है कि तेलंगाना के बाद पथक राज्य के निर्माण की ऐसी और मांगें जोर पकड़ेंगी।
वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि जहां तक हमारा संबंध है, हमारी पार्टी का संबंध है तो जब हमने तीन नए राज्य बनाए थे तब तेलंगाना राज्य इसलिए नहीं बन पाया था क्योंकि हमने हमारे गठबंधन के एक सहयोगी का सम्मान किया था। अन्यथा हम तब ही पथक राज्य बना चुके होते।
शिवसेना ने फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा हमें आंध्रप्रदेश के विभाजन के फैसले पर अफसोस है। हम एकीकत महाराष्ट्र के पक्ष में हैं और किसी अन्य फैसले का सवाल ही नहीं उठता। राउत का इशारा पृथक विदर्भ राज्य की मांग की ओर था। शिवसेना हालांकि भाजपा की सबसे पुरानी वैचारिक सहयोगी है लेकिन तेलंगाना और विदर्भ पर दोनों की राय अलग अलग है। भाजपा जहां तेलंगाना और विदर्भ दोनों की पक्षधर है वहीं शिवसेना इनके विरोध में है।
विपक्ष इसे लोक सभा के होने वाले चुनावों में राजनितिक लाभ प्राप्त करने के लिए उठाया गया कदम बता रहा है जबकि कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने इससे इंकार किया है|कुछ भी हो हरियाणा और पंजाब के विभाजन के समय चंडीगढ़ को दोनों प्रदेशों की राजधानी बनाया गया था जिसका फैसला अभी तक नही हो पाया है तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी हैदराबादको बना कर पुरानी गलती की पुनरावर्ती की गई है | कहा जा रहा है के तेलंगाना की स्थापना की मांग को लेकर अपनी पार्टी को दो फाड़ होने से बचाने और टी आर एस को कांग्रेस में शामिल करने के लिए कांग्रेस द्वारा प्रदेश का विभाजन किया जा रहा है यह कहाँ तक कांग्रेस को चुनावी लाभ दे पायेगा इस यक्ष प्रश्न का उत्तर तो चुनावों में ही मिल पायेगा|
फोटो कैप्शन
The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh at the UPA Coordination Committee Meeting, in New Delhi on July 30, 2013.