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काहे की होली? काहे की हमजोली ??जब दो गज की दूरी और मास्क भी जरूरी!

झल्लीगल्लां
भजपाईचेयरलीडर
ओए झल्लेया!रंगों के मस्त त्यौहार होली दियाँ लख लख मुबारकां।
ओए कल होलिका के दहन से बुराईओं का खात्मा हो चुका अब खुल के रंग बरसाओ।बरसाने से अयोध्या या फिर काशी नहाओ।
झल्ला

Holi

Holi

चतुर सेठ जी!हमारी काहे की होली??? काहे की होली? काहे की हमजोली ??जब दो गज की दूरी और मास्क भी जरूरी!
संग खड़ी हमजोली!फिर भी दो गज की दूरी ऊपर से मास्क भी जरूरी।हाँ तुम लोगों ने तो महाराष्ट्र के फार्म हाउस में एन सी पी वालों से होली मिलन कर ही लिया।बंगाल में ममता और आसाम में कांग्रेस के गाल बिना गुलाल के ही लाल कर लिए।
बुरा ना मानो
होली के हुलियारे बेचारे ,तुम्हारी कोरोना चेतावनियों के मारे
ढूंढ रहे रघुबीरा,लेकर सोने का बीड़ा,दिख नही रहा हुड़दंगी कन्हाई
किलस किलस गुलाल से कर रहे अपने ही दोनों गाल लाल
काहे की खुशियां ?काहे के रंग ?? होली हुई बदरंग