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रेड्डी काण्ड से केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों की फेरहिस्त और लम्बी हुई

डाक्टर मन मोहन सिंह ने एक साल के लिए मंत्री मंडल का विस्तार करके २०१४ के लिए कूच बेशक कर दिया मगर एक ही दिन में उसके सिपहसालार बगावती तेवर दिखाने लग गए हैं| इससे विपक्ष को आलोचनाओं के बाण चलाने का अवसर मिल गया है| एन डी ऐ +आई ऐ सी+ लेफ्टिस्ट एंड एबोव आल मीडिया ने इस नए चेहरे के पीछे के सच को उजागर करना शुरू कर दिया है| रविवार को कैबिनेट में हुए जंबो फेरबदल के बाद अधिकांश नए मंत्रियों ने आज सुबह से ही कार्यभार संभालने के लिए नए कार्यालय पहुंचना शुरू कर दिया|जहाँ पारंपरिक तौर पर महंगे फूलों के गुलदस्तों से इनका स्वागत किया गया|[मितव्यतता का भाषण देने वालों ने स्वयम फूलों के महंगे खर्चे किये] लेकिन आश्चर्यजनक रूप से जयपाल रेड्डी सोमवार सुबह अपने मंत्रालय का चार्ज नए मंत्री वीरप्पा मोइली को देने नहीं पहुंचे। उन्होंने नए पोर्ट फोलियो विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में रिपोर्ट भी नहीं किया है | चर्चा है कि वह[रेड्डी] अपने तबादले से सख्त नाराज हैं।भ्रष्टाचार की तरफ से ध्यान हटानेके लिए मंत्री मंडल की उठापटक बेकार साबित हो रही है इस नए रेड्डी काण्ड से सरकार पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों की फेरहिस्त कम होने के स्थान पर लम्बी ही हुई है|पेट्रोलियम मंत्रालय में फेर बदल को उद्योगपतिओं का दबाब बताया जा रहा है|

रेड्डी काण्ड से केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों की फेरहिस्त और लम्बी हुई

जाहिर है की इस एक अनुपस्थिति से राजनीतिक +मीडिया के गलियारों में अनेक सवाल उठ रहे हैं। वैसे अभी तक रेड्डी की तरफ से कोई डिनायल नहीं आया है|
[१] अरविंद केजरीवाल का कहना है कि रेड्डी को ईमानदारी की सजा दी गई है। उन्होंने कहा, ‘इस देश में किसे कौन सा मंत्रालय मिलेगा, यह तो प्रधानमंत्री को तय करना होता है लेकिन कर रही हैं बड़ी बड़ी कंपनियां। रेड्डी का मंत्रालय रिलायंस के प्रेशर में बदला गया है।अरविंद केजरीवाल की इंडिया अगेंस्ट करप्शन के [राजनीतिक विश्लेषक ] योगेंद्र यादव ने कहा कि जयपाल रेड्डी को रिलायंस पर सख्त होने की सजा दी गई है। [२]।टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक जयपाल रेड्डी ने 2011 में पेट्रोलियम मंत्रालय संभालते ही रिलायंस इंडस्ट्रीज़ पर नकेल कसनी शुरू कर दी थी.अखबार के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज़ आंध्र प्रदेश के केजी बेसिन ब्लॉक के शेयर ब्रिटेन की एनर्जी कंपनी बीपी को बेचना चाहता था, करीब 39 हजार 600 करोड रुपये के शेयर बीपी को बेचना चाहती थी रिलायंस इंडस्ट्रीज़, लेकिन तब के पेट्रोलियम मंत्री रेड्डी ने इसे मंजूरी नहीं दी.करार के मुताबिक केजी बेसिन में विदेशी कंपनी को हिस्सेदारी बेचने के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेना जरूरी था.पेट्रोलियम मंत्रालय ने ही इसे मंजूरी नहीं दी. टी ओ आई के मुताबिक जब रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने लगातार करार से कम गैस का उत्पादन किया तो जयपाल रेड्डी के मंत्रालय ने रिलायंस इंडस्ट्रीज़ पर 7 हजार करोड़ रुपये का जुर्माना ठोक दिया[३] अंग्रेज़ी के ही .द हिंदू अखबार ने कल ही आशंका जताई थी कि क्या रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के दबाव में जयपाल रेड्डी का विभाग बदला जा रहा है.

विवाद

[१].द हिंदू के मुताबिक रिलायंस और सरकार के बीच केजी बेसिन की गैस को लेकर जो करार हुआ था उसके मुताबिक 2011-12 में करीब 7 करोड़ क्यूबिक मीटर गैस रोजना निकाली जानी थी लेकिन रिलायंस इंडस्ट्रीज ने महज 4 करोड़ 20 लाख क्यूबिक मीटर गैस रोजाना निकाली. इससे सरकार को सीधा-सीधा 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.इसी तरह 2012-13 में 8 करोड़ क्यूबिक मीटर गैस रोजाना निकालनी थी, लेकिन रिलायंस सिर्फ 2 करोड़ 50 लाख क्यूबिक मीटर गैस रोजाना निकाल रहा है. इससे सरकार को करीब 45 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. 20 हजार मेगावाट बिजली बनाने वाले पावर प्लांट गैस न मिल पाने की वजह से ठप पड़े हैं. द हिंदू के मुताबिक रिलायंस ने केजी बेसिन से कम गैस निकाली, जिससे कम बिजली बन पाई. यही नहीं कम गैस निकालने के चलते देश को फर्टिलाइजर का आयात भी बढ़ाना पड़ा.|आयात बढाने से महंगे विदेशी मुद्रा में भुगतान किया गया
[२] सरकार ने केजी बेसिन ब्लॉक के हिसाब-किताब का सीएजी से ऑडिट कराने का दबाव बनाया
रिलायंस ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वो एक निजी कंपनी है, लिहाजा सीएजी उसका ऑडिट नहीं कर सकती. जयपाल रेड्डी ने बीच का रास्ता निकालते हुए केजी बेसिन पर सरकार और रिलायंस के बीच हुए करार की धारा 1.9 का हवाला दिया और कहा कि ठीक है रिलायंस केजी बेसिन का ऑडिट खुद कराकर इसकी रिपोर्ट सीएजी को दे दे.
[३]जनवरी 2011 में पेट्रोलियम मंत्रालय संभालने वाले बैसाखियों के सहारे चलने वाले रेड्डी काफी सख्त मंत्री रहे। उनके आलोचक उन्हें प्राइवेट कंपनियों को परेशान करने वाला बताते रहे। मसलन उन्होंने रिलायंस और ब्रिटिश पेट्रोलियम की 7.2 अरब डॉलर की डील को मंजूरी नहीं दी और उसे कैबिनेट में भेज दिया जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं थी। रेड्डी ने ऐसे कई कड़े कदम उठाए जो रिलायंस के खिलाफ गए।अब जयपाल रेड्डी की जगह वीरप्पा मोइली को पेट्रोलियम मंत्रालय दिया गया है। इतना ही नहीं लैंड स्कैम का सामना कर रहे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने भी इसको एक गलत फैसला बताते हुए इसे बड़े उद्योगपतियों के इशारे पर लिया गया निर्णय बताया है।