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आम आदमी पार्टी को “खासुल्ल्खास” बनाने के लिए “इल्मी” को भी साम्प्रदायिक बनना “लाजमी” है

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

चिंतित कांग्रेसी चीयर लीडर

ओये झल्लेया ये आम आदमी पार्टी वाले क्या बचकाना भाषण देने लग गए हैं| देख तो इनकी गाजियाबाद से चुनाव लड़ रही शाजिया इल्मी मुस्लिमों की मजलिस में फ़रमा रही हैं कि मुसलमानों को सेक्युलर होने के बजाय साम्प्रदायिक [ Communal ]होने की जरुरत है|इससे शाजिया चुनाव जीते या नहीं जीते मगर बनारस में मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण जरूर हो जाएगा केजरीवाल को मुस्लिम वोटें मिल जाएंगी और हसाडे भरी भरकम कैंडिडेट अजय राज की ऎसी की तैसी हो जाएगी |भाजपा के नरेंद्र मोदी आसानी से जीत जायेंगे| ओये इनकी पोल खुल ही गई |हसाडे रणदीप सुरजेवाला ने भी फिर से कह दिया है कि “आप” पार्टी तो अराजक लोगों का ही समूह है

झल्ला

ओ मेरे चतुर सुजान जी !शाजिया बी कोई अनपढ़ नही हैं और इनके तो नाम में भी इल्मी लगा हुआ हैजाहिर है केजरीवाल के नामांकन भरने से इन पहले ऐसा वातावरण तैयार करना कोई बचकाना प्रयास नहीं हो सकता| नरेंद्र मोदी को साम्प्रादायिक बताने में जुटे हुए और ज़रा जरा सी बात पर अपने कैंडिडेट्स को बदलने वाले और दिल्ली में चुनाव में साम्प्रदायिक सौहार्द की दुहाई देने वाले आम आदमी पार्टी ने अपने ही कैंडिडेट के इस साम्प्रदायिकता फ़ैलाने वाले प्रयास में कोई सुधारात्मक एक्शन नहीं लिया | इससे तो जनाब लगता है अब मुद्दे बदल गए हैं आम आदमी पार्टी को किसी भी सूरत में किसी भी कीमत पर खास पार्टी बनाना ही है और इसके लिए ख़ास लोगों के पैंतरे इस्तेमाल करना इल्मी के लिए भी लाजमी हो गया है|