Ad

मुस्लिम हित में अजीब हवा बहने तो लगी है लेकिन चुनावों के बाद किसी जस्टिस सच्चर कमेटी की रिपोर्ट न आ जाये

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

उत्साहित मुस्लिम वोटर

ओये झल्लेया हुन ते मजा ही आ गया |२०१४ के चुनाव आ रहे हैं और सारे राजनीतिक दलों को हसाड़ी याद आ रही है |हमारी वोटों को बटोरने के लिए तीसरा फ्रंट बनने से पहले ही सम्प्रदायिकता के नाम की उलट बाज़ियाँ खाने लग गया है|यहाँ तक कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर राज नाथ सिंह भी २००२ के दंगों के लिए माफ़ी मांगने को तैयार हो गए हैं |कांग्रेसी कपिल सिब्बल ने तो दिल्ली की शाही ईद गाहके वार्षिक इत्जमा में कमाल ही कर दिया लाखों अकीदतमंदों की मौजूदगी में इमाम साहब के हाथों सम्मान और आशीर्वाद हासिल कर लिया|जुम्मा जुम्मा आठ दिन की”आप”पार्टी ने भी हमारी बिरादरी को खुश करने के लिए नरेंद्र मोदी को गालियां देनी शुरू कर दी हैं| ओये अब तो मुस्लिम वोटरों की हो जानी है बल्ले बल्ले

झल्ला

मेरे भोले भाई मियाँ हसाडे मुल्क में चुनावों के मौसम में मुस्लिम हित में अजीब हवा बहने लगती है लेकिन चुनावों के बाद जस्टिस सच्चर कमेटी की रिपोर्ट कुछ अलग ही नजारा पेश करती दिखाई देती है| झल्लेविचारानुसार शायद ये इसीलिए है क्योंकि हमारे मुल्क में मुस्लिमों को टोपी पहनाना साम्प्रदाइकता नहीं माना जाता बल्कि उनकी टोपी नही पहनना ही साम्प्रदाइकता की निशानी बना दी जाती हैं|