यूं पी के कैबिनेट मिनिस्टर जनाब आजम खान साहब के नाम झल्ले का खुला पत्र
जान की अमान के साथ अर्ज है कि आपके हुकमरान आये दिन महंगे सरकारी विज्ञापन देकर अपनी फोटुएं छपवा रहे हैं लेकिन आपकी ही गवर्नेन्स के कारण भाजपाई फ्री रिपीट फ्री में उस लाभ को उठा रहे हैं|जो विधायक गण ओनली अपनी बिरादरी+वोट बैंक के विवाह समारोह या शोक सभाओं में दिख जाते थे वोह आज कल नाले+नुक्कड़+चौराहों के साथ नहरों का मुआइना भी करते दिखने लग गए हैं |अर्थार्त सरकारी बकरा कोई काट रहा मगर उसे “नोश” कोई और ही फरमा रहा है |
आप मेरठ में निकाह के बहाने से आये मगर आये इसके लिए दिली शुक्रिया लेकिन हुजूर आपने ये क्या कह दिया ?नगर आयुक्त ने तो गैरकानूनी होर्डिंग्स+युनिपोल को हटाना से ही मना कर दिया उलटे आप लोगों को अपराधी ठेकेदारों के पैरोकार तक बताने में जुट गए हैं |जनाब अगर उनकी कोई दुखती रग दब रही थी तो उसे आपलोगों के सर डालने की क्या जरुरत थी ? अब यहाँ के थाम्बेदार एक कालम की छोटी सी सफाई देते फिर रहे हैं|यानी अगर मानो तो “नादाँ की दोस्ती जी का जंजाल”
आप मेरठ में निकाह के बहाने से आये आपका तहे दिल से शुक्रिया आपके सामने बेचारे नगर आयुक्त पढ़ गए सो आपको यह हुकुम नाजिल करना पढ़ गया खैर कोई बात नहीं बढे बढे शहरों में ऐसा छोटा मोटा तो होता ही रहता है|अब एम डी ऐ साहब आपके सामने नहीं आये इसमें आपका कसूर क्यूँ कर माना जाए |ये महज १०००० बीपीएल वाले ख्वाहमख़ाह अपने एक कोठरी नुमा मकान के लिए रो रहे हैं और इन्साफ की दुहाई दे रहे हैं |अरे साहब ये बी पी एल वाले पुरानी सरकार के थे लेकिन आपको तो अपने बी पी एल वालों की फिक्र करनी है सो इनसे मकान छीन कर अपने गरीबों को देना आपकी मजबूरी है |
अरे जनाब इन नाशुक्रों को इतना भी इल्म नही है कि “सियासत में और भी गम है एक इन बीपीएल के सिवाय”|अरे साहब गरीबों की बात आपने कही+ समाजवाद की बात आपने कही इसका मतलब यह तो हरगिज नहीं लगाया जाना चाहिए कि आप हर ऐरे गैरे नत्थू खेरे की सुनने लगेंगे |
कुछ फ़ोटोस आप की नजर करने की गुस्ताखी कर रहा हूँ अगर आप कभी अपनी भैसों के कामों की मसरूफियत से ऊब जाएँ तो मन को बहलाने के लिए इन्हें देख लीजियेगा|
आपकी पार्टी के सर्वे सर्वा और आपके बढ़के भाई साहब माननीय मुलायम सिंह यादव जी ने कभी मेरठ में पार्कों का शिलान्यास किया था उनके शिलापट आज भी गवाही दे रहे हैं लेकिन आपकी हकूमत ने मायावती के हाथियों का दाना पानी बंद करने के चक्कर में इन पार्कों का भी चारा बंद कर दिया नतीजतन करोड़ों रुपयों की लागत के यह पार्क अपनी बेनूरी पे रो रहे हैं
अभी तो इतना यही
बाकी फिर कभी
आपका हितेषी
“झल्ला” सबलोक