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रालोद के पैतृक वोट बैंक पर तुगलक रोड की कोठी की भावनात्मक लहर असर डाल पाएगी ?

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

रालोदाई चीयर लीडर

ओये झल्लेया ऐवेंई लोग कहे जा रहे हैं कि हसाडे नलके का पानी उतर गया ओये देख मेरठ के बाद दिल्ली में भी हमने अपनी ताकत दिखा दी है |भाजपा वाले लाख दावे करें मगर चौधरी साहब के घर पर मंगलवार को हजारों किसान इकट्ठा हो गए| अब देखते हैं कि बड़े चौधरी साहब की यादों से जुड़ी १२ तुगलक रोड की कोठी को चौधरी अजित सिंह से कैसे खाली कराते हैं ये तुगलकी हुकमरान?|ओये हमने तो बढे चौधरी की समाधि तक दिल्ली में बनवा दी ये तो सरकारी कोठी ही ठहरी ज्यादा चूं चुपड़ की तो इस कोठी में चौधरी साहब के नाम का संग्रहालय बनवा देणा हैं है

झल्ला

ओ मेरे भोले चौधरी आपके रालोद के पैतृक वोट बैंक पर तुगलक रोड की कोठी की भावनात्मक लहर असर डाल पाएगी ? मोहम्मद बिन तुगलक बेशक चला गया मगर उसके चेले अभी भी हर तरफ मौजूद हैं|तीन महीने तक अगर ये कार्यवाही टल गई तोसमझों गई भैंस छह साल के लिए पानी में |मेरा मतलब है चौधरी साहब गए कोठी में वापिस छह साल के लिए |अरे भाई राज्यसभा के लिए तीन महीने के बाद चुनाव होने हैं और उसके लिए सिविल एविएशन मिनिस्टर रहे चौधरी साहब ने कांग्रेस “प्लेन” की सीट के लिए यूं पी के उपचुनाव की जिलास्तर पर ठेके दारी ले रखी है| अब सोने पे सुहागा ये हुआ कि गन्ने के बाद इस कोठी को लेकर पैतृक वोट बैंक भावना की डोर से बंधने लग गया है | अब आप लोगों के जमघट से हुकूमत तीन महीने तक वहां का रुख करने से पहले कई बार सोचेगी |