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२१.७२ मिलियन शहरी किरायेदारों के कल्याण की सिफारिशों पर अभी तक कोई निर्णय क्यूँ नहीं ?

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

कांग्रेसी चीयर लीडर

ओये झल्लेया ये जमीन और कालोनियों का मामला राज्‍य सरकारों के दायरे में आता है इसीलिए किराएदारों और मकान मालिकों के झंझटों को निबटाने के लिए आवश्‍यक कदम राज्यों को ही उठाने चाहिए लेकिन आये दिन किराए दारों को निकालने की समस्याओं से केंद्र को ही दो चार होना पड़ रहा है | 2007 की राष्‍ट्रीय शहरी आवास और आवास नीति के अनुसार लीज करार की अवधि समाप्‍त होने से पहले किराएदार को उस मकान से निकाला नहीं जा सकता और लीज की अवधि समाप्‍त होने के बाद किराएदार को उस मकान में रहने की अनुमति नहींहै इस पर भी किराए दारों को बाहर निकालने के षड्यंत्र रचे जा रहे हैं

झल्ला

अरे मेरे चतुर सुजाणा सुण हुन की कहंदा हे ये निमाणा | २०११ की जनगणना में शहरी इलाकों में किरायेदारों की संख्या २१.७२ मिलियन बताई गई है शायद इसीलिए चुनावो से पहले किरायेदारों की सुध आ रही होगी मगर जनाब किराये के मकानों पर बने कार्य दल की सिफारिशों पर आप लोगों ने अभीतक कोई निर्णय नहीं लिया है| लोक सभा में केन्‍द्रीय आवास और शहरी गरीबी उन्‍मूलन मंत्री डॉ. गिरिजा व्‍यास ने भी यह स्वीकार कर लिया है|ये काम तो शायद आपजी का ही है |