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किसानो की मदद के लिए फ़िलहाल टाले जा सकने वाले विकास कार्यों को स्थगित कर दिया जाये

[नई दिल्ली]किसानों की बर्बादी पर मीडिया में बेशक आजकल राजनितिक रोटियां सेंकी जा रही हैं। म्यूजिकल चेयर के गेम में आरोप प्रत्यारोप को एक दूसरे के पाले में धकेला जा रहा है |किसानों की समस्यायों को हल करने के लिए कांग्रेस और “आप” पार्टी रैलियों का सहारा ले रही हैं |मगर वास्तव में संसद में स्थगन प्रस्ताव लेकर भी चर्चा को टालने के प्रयास हो रहे हैं |
कांग्रेस और भाजपा “आप” पार्टी पर निशाने साध रही है”आप”बेचारी भाजपा को कोसने में लगी हुई है|
इस सबके बावजूद संसद के दोनों सदनों में चर्चा जारी है जिससे लगता कि उम्मीद अभी बाक़ी है।प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं किसानों की पीड़ा में सहभागी बनते हुए समस्या के निदान के लिए सांसदों से सहयोग की अपील की है|चूंकि समस्या पुरानी है बेटे केंद्र और राज्यों की सरकारों के संकीर्ण दृष्टिकोण के परिणाम स्वरूप हैं| इसके बावजूद यदि चाह हो तो राह भी निकल ही आती है|और चाह राजनीतिक हो तो राह निकलनी भी आसान हो जाती है|
आशा है कि अधिकतर सांसदों के सहयोगी रवैय्ये से सकारात्मक रास्ता निकल सकता है चूंकि पीएम ने सुझाव मांगें है और ये सुझाव राजनितिक दलों द्वारा दिए जाने हैं ऐसे में जाहिर हैं सुझाव राजनीती की चाशनी में लिपटे हुए ही होंगें।
झल्ले की अराजनीतिक सोच के अनुसार समस्या वाले प्रदेशों में टाले जा सकने वाले विकास के कार्यों को फ़िलहाल स्थगित करके उस धन से पीड़ित किसानों की तात्कालिक मदद कर दी जाये क्योंकि अन्नदाता बचेगा तभी तो जनमानस भी बचेगा