कैलाश मानसरोवर यात्रा, 2013 के समस्त 18 बैच रद्द कर दिए गए हैं| यात्रियों की सुरक्षा एवं संरक्षा के हित में यह निर्णय लिया गया है|
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के रूट पर सड़कों, पुलों एवं रास्तों पर निरंतर व्यवधान के मध्य नजर यात्रियों की सुरक्षा एवं संरक्षा के हित में यात्रा- 2013 के शेष सभी बैचों 15-18 को भी रद्द करने का निर्णय लिया है।इसे पूर्व जत्था संख्या १४ तक रद्द किये जा चुके हैं|
कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए कुल 18 जत्थे ही जाने थे।
कैलाश मानसरोवर की पवित्र यात्रा
भारत सरकार के सौजन्य से हर वर्ष मई-जून में सैकड़ों तीर्थयात्री कैलाश मानसरोवर की यात्रा करते हैं। इसका एक भाग चीन में पड़ता है | इसके लिए उन्हें भारत की सीमा लांघकर चीन में प्रवेश करना पड़ता है| कैलाश पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 20 हज़ार फीट है[भारत कोष]। इसलिए तीर्थयात्रियों को कई पर्वत-ऋंखलाएं पार करनी पड़ती हैं। यह यात्रा अत्यंत कठिन मानी जाती है। भारत कोष में वर्णित हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार जिसको भोले बाबा का बुलावा होता है, वही इस यात्रा को कर सकता है। सामान्यतया यह यात्रा 28 दिन में पूरी होती है। भारतीय भू-भाग में चौथे दिन से पैदल यात्रा आरम्भ होती है। भारतीय सीमा में कुमाउँ मंडल विकास निगम इस यात्रा को संपन्न कराती है | अंतर्राष्ट्रीय नेपाल तिब्बत चीन से लगे उत्तराखण्ड के सीमावर्ती पिथौरागढ़ के धारचूला से कैलास मानसरोवर की तरफ जाने वाले दुर्गम पर्वतीय स्थानों पर सडकें न होने और 75 किलोमीटर पैदल मार्ग के अत्यधिक खतरनाक होने के कारण हिमालय के मध्य तीर्थों में सबसे कठिनतम भगवान शिव के इस पवित्र धाम की यह रोमांचकारी यात्रा भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों द्वारा आयोजित की जाती है। इस पवित्र यात्रा पर केवल भारत ही नहीं अन्य देशों के श्रद्धालु भी जाते हैं। वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद बंद हुये इस मार्ग को धार्मिक भावनाओं के मद्देनज़र दोनों देशों की सहमति से वर्ष 1981 में पुनः खोल दिया गया था।
भगवान शिव के आवास की मनोहरी झांकी के दर्शन और पवित्र मानसरोवर झील में स्नान के लिए श्रृद्धालूओं की सुविधानुसार 18 जत्थे बनाये गए थे
अब चूंकि उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा आई हुई है और यात्रा के रूट पर सड़कों, पुलों एवं रास्तों पर निरंतर व्यवधान आ रहे हैं| इसीलिए यह पवित्र यात्रा रद्द की गई है |शिव तीर्थ केदार नाथ में आई त्रासदी के पश्चात शिव के ही मनोरम स्थल कैलाश मानसरोवर के दर्शन से भी श्र्धालूजन इस वर्ष वंचित ही रह जायेंगे