कहे कबीर पुकारि के , साधुन समुझाई हो ।
सत् सजीवन नाम है , सतगुरु हि लखाई हो ।
संत कबीर दास जी फरमाते हैं कि मैं पुकार -पुकार कर कह रहा हूँ चौरासी लाख जिया – जून के चक्कर से बचने का और हमेशा की मुक्ति पाने का एक ही साधन है और वो ये है कि हम किसी महापुरुष के चरणों में पहुंचकर उनसे नामदान लें , उनके हुक्म के मुताबिक अपना जीवन बनाएँ , जीते जी मरना सीखें ।हममें विवेक हो , ताकि हम सत -असत का निर्णय कर सकें ।
संत कबीर दास जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना