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पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने आलोकिक शक्तिओं का खजाना प्राप्त करने के लिए ध्यान रुपी अनुसन्धान मार्ग को अपनाने का उपदेश दिया

 पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जीआलोकिक शक्तिओं का खजाना प्राप्त करने के लिए ध्यान रुपी अनुसन्धान मार्ग को अपनाने का उपदेश दिया

पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जीआलोकिक शक्तिओं का खजाना प्राप्त करने के लिए ध्यान रुपी अनुसन्धान मार्ग को अपनाने का उपदेश दिया

[मेरठ]श्री रामशरणम आश्रम , गुरुकुल डोरली , मेरठ में दिनांक 10 मार्च 2013 को
 पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जीआलोकिक शक्तिओं का खजाना प्राप्त करने के लिए ध्यान रुपी अनुसन्धान मार्ग को अपनाने का उपदेश दिया

पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने आलोकिक शक्तिओं का खजाना प्राप्त करने के लिए ध्यान रुपी अनुसन्धान मार्ग को अपनाने का उपदेश दिया

रविवासरीय सत्संग,के अवसर पर पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने अमृतमयी प्रवचनों की वर्षा करते हुए आलोकिक शक्तिओं का खजाना प्राप्त करने के लिए ध्यान रुपी अनुसन्धान मार्ग को अपनाने का उपदेश दिया|
पूज्यश्री ने कहा कि संत महापुरुष वही नाम देते हैं जो ग्रंथों में लिखा हुआ है । परन्तु संत महापुरुष ध्यान रुपी अनुसन्धान करके, अपने मन को तप की भट्ठी में तपाते हैं और परमेश्वर दरबार से आलोकिक शक्तिओं का खजाना प्राप्त करते है । उन्होंने परमेश्वर कि असीम शक्तियों और उनके प्रभाव का वर्णन करते हुए कहा कि परमेश्वर सर्वशक्तिमान, सामर्थ्यवान है उससे जुड़कर संतों में ऐसी समर्थता, संकल्पशक्ति आ जाती है कि उनके प्राणों में प्रभु का पावन नाम ऐसे बस जाता है जैसे कोई ब्राह्मण देव मंदिर में मूर्ति की स्थापना करता है।
इसीलिए हमें संतों महापुरुषों द्वारा जो नाम मिलता है उसमे संत का संकल्प, आत्मिक बल , संकल्प शक्ति होती है जिससे हमारी आत्मसत्ता जाग्रत होती है।
नाम लेने वाले भी मिल जाते हैं , नाम देने वाले भी मिल जाते हैं परन्तु नाम, शबद वही क्रियात्मक, फलिभूत होता है जो सच्चे सन्त महापुरुषो से मिलता है क्योंकि सजीव बीज में ही जीवन होता है, खोखला बीज फलीभूत नहीं होता ।
पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ,प्रस्तुति राकेश खुराना ,
श्री रामशरणम आश्रम ,
गुरुकुल डोरली