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प्रभु से अलग होने पर अस्तित्व समाप्त

दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार
तरुवर ज्यों पत्ती झड़ें, बहुरि न लागे डार

संत कबीर दास जी कहते हैं
-हे मनुष्य! एक लाख चौरासी हजार योनिओं में भटकने के बाद
तुझे यह मनुष्य का जन्म मिला है. तुझे यह शरीर बार-बार नहीं मिलेगा . अब भी समय है
तू चेत जा और ईश्वर के भजन में लग जा . नहीं तो तेरा भी वही हाल होगा जैसे एक पेड़
की टहनी के पत्ते जब अलग होकर धरती पर गिर जाते हैं तो सूख जाते हैं और कभी
उस पेड़ की टहनी पर फिर से नहीं लग पाते इसी प्रकार अगर तुम अपने प्रभु से अलग हो
जाओगे तो तुम्हारा अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा.
संत कबीर वाणी

Comments

  1. Thats pretty cool! I look forward to reading more of your posts.