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मोदीभापे! बेरुखी दिल पे चोट करती,तख्तनशी होकर ये क्या सीरत अपनाई

#मोदीभापे
तुम्हारी बेरुखी सीधे दिल पे चोट करती ,तख्तनशी होकर ये क्या सीरत अपनाई
पहले थे सिर्फ नजरों से दूर,अब दिल से भी दूरी बना डाली,ये कैसी आशनाई है
#कंपनसेशन/#रिहैबिलिटेशन क्लेम की सरकारी लूट
#PMOPG/E/2016/0125052