Ad

श्रीमद भगवत कथा महोत्सव के शुभ अवसर पर पवित्र कलश यात्रा

[मेरठ ]श्रीमद भगवत कथा महोत्सव के शुभ अवसर पर पवित्र कलश यात्रा निकाली गई|यात्रा फूल बाग कालोनी[एस सी अग्रावल] से प्रारम्भ की गई |यह यात्रा गढ़ रोड स्थित राधा गोबिंद मंडप पर संपन्न की गई|

Comments

  1. धर्म कोई मन्दिर-मस्जिद-गिरजाघर तो है नहीं । धर्म तो कोई पुराण-बाइबिल- कुर्आन-गुरुग्रन्थ साहब तो है ही नहीं । धर्म कोई ‘अल्लाहु अकबर’ या ‘हर हर महादेव’ तो है नहीं । धर्म एक सच्चा ‘ज्ञान’ है । धर्म एक ‘सत्य का विधान’ है । एक ‘सम्पूर्ण विधान’ हैं । कोर्इ धर्म वाला भेदवाची नहीं हो सकता । धर्म वाला जो दूषित भावनाओं से हीन हो जायेगा तो हिन्दू कहलायेगा । मुसल्लम ईमान आयेगा तो मुसलमान कहलाने लगेगा । सच्चा जीवन जीना सीख लेगा कि हमारा जीवन सच्चा कैसे हो तो ‘सिक्ख’ कहलायेगा । जीवन जीने की सम्पूर्ण शैली को जान ले कि हमको चोरी, बेइमानी, झूठ-फरेब की जरूरत नहीं है । ऐसा जीवन जान ले तो जैनी हो गये । धर्म तो सत्य का विधान है, सत्य है । इसमें सम्प्रदाय कहाँ से आ गया ? जहाँ सत्य और सत्य का विधान हो, वहाँ धर्म-निरपेक्षता कैसे ? और जहाँ धर्म निरपेक्ष हो जायेगा वहाँ के लोग कैसे होंगे ? वहाँ के लोग किस तरह से संचालित होंगे ? जब सच्चाई ही समाप्त हो जायेगी, ईमान ही परिभाषित नहीं रहेगी तब जीवन कैसे जीयेंगे ? क्यों भ्रष्ट नहीं होंगे ? क्यूँ झूठ नहीं बोलेंगे ? चोर-बेइमान नहीं होंगे ? क्यूँ नहीं छली-लुटेरा होंगे ? कानून ? अभी एक नकली दरोगा आ जाये और पता चल जाये तो एस0 पी0 साहब तुरन्त गिरफ्तार करवायेंगे तुरन्त ! लेकिन नकली महात्मा को नहीं ! नकली इन्सपेक्टर समाज को ठग रहे हैं तो गिरफ्तार करेंगे लेकिन नकली महात्मा समाज को बरबाद कर रहे हैं लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं । महात्मा तो धन और धरम दोनों ठग रहा है । इस पर सरकार की कोई विचार सिध्दान्त नहीं है । कैसे जनता चलेगी ? किसको धर्म वाला कहें ? सब अपने अपने राग को अलापने में लगे हैं ।

    1. Jamos says:

      thanks for endorsing valuable and encouraging comments please keep visiting the site