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हे प्रभु! मुझे ऐसी विधि दे दो जिससे मैं क्षण मात्र भी आप को भुला न सकूँ:गुरु नानक

काम क्रोध लोभ झूठ निंदा इन ते आपि छडावहु।
इह भीतर ते इन कउ डारहु आपन निकटि बुलावहु ।
अपुनी बिधि आपि जनावहु हरि जन मंगल गावहु ।
बिसरू नाही कबहू हीए ते इह बिधि मन महि पावहु ।
गुरु पूरा भेटिओ वडभागी जन नानक कतहि न धावहु ।

भाव -काम क्रोध लोभ झूठ और निंदा से आप ही छुड़ा सकते हैं । ये सब मुझ से बाहर कर दो और मुझे अपने पास बुला लो । किस तरह आप यह करते हैं यह केवल आप ही जानते हैं । हे प्रभु! मुझे ऐसी विधि दे दो जिससे मैं क्षण मात्र भी आप को भुला न सकूँ । गुरु नानक कहते हैं कि बड़े भारी भागों से वह पूरे सद्गुरु से मिले और उनके मन की भटकन हमेशा के लिए ख़त्म हो गई है।
वाणी: श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी ,
प्रस्तुती राकेश खुराना