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कोंग्रेस ने मोदी पर लड़की की जासूसी का चार्ज लगाया भाजपा ने रिचार्ज होकर कांग्रेस को घेरा मगर मुद्दे डिस्चार्ज हो कर रह गए

कोंग्रेस ने नरेंद्र मोदी पर लड़की की जासूसी का चार्ज लगाया भाजपा ने इससे रिचार्ज होकर कांग्रेस को घेरा मगर राष्ट्रीय मुद्दे डिस्चार्ज हो कर रह गए |
कांग्रेस की महिला नेत्रियों ने आज भारतीय जनता पार्टी के पी एम् के उम्मीदवार नरेंदर मोदी को घेरते हुए गुजरात में एक महिला की जासूसी कराने का चार्ज लगाया जिससे भाजपा रिचार्ज हो गई और जासूसी के बजाय उसे पीड़िता को सुरक्षा प्रदान कराने की बात कह कर चुनावी मुद्दा बनाने का प्रयास किया लेकिन इस सबके बीच महंगाई+भ्रष्टाचार+रुपये के अवमूल्यन+सीमा पर अशांति जैसे ज्वलंत मुद्दे डिस्चार्ज हो कर गए |
गुजरात सरकार द्वारा एक महिला की कथित जासूसी कराए जाने के मामले की जांच की मांग कर रही कांग्रेस पर भाजपा ने आज यह कहकर पलटवार किया कि कांग्रेस और उससे जुड़े लोगों ने मामले को अनावश्यक रूप से सार्वजनिक कर एक गम्भीर अपराध किया है ।
भाजपा प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा कि मामले से जुड़ी महिला और न ही उसके परिवार के सदस्यों ने इस बारे में कुछ कहा है तो फिर कांग्रेस को जांच की मांग करने का कोई अधिकार ही नहीं है ।उन्होंने कोंग्रेस को ख्वाहमखःकांग्रेस बताया | उन्होंने इसे गुलेल + कोबरा+तहलका+आदि न्यूज़ पोर्टल्स के सहयोग से कांग्रेस की साजिश बताया |उन्होंने कहा कि लड़की के पिता ने मुख्य मंत्री से अपनी बेटी की सुरक्षा की मांग की थी जिसके जवाब में यह सुरक्षा प्रोवाइड कराई गई|उन्होंने टेलेग्राफ एक्ट+प्राइवेसी एक्ट के उलंघन का आरोप कांग्रेस पर लगाया |इसके साथ ही सी बी आई के कब्जे वाली सी डी का प्रयोग गुलेल द्वारा किये जाने की जांच की मांग भी उठा दी| इसके साथ ही मीडिया की तरफ ऊँगली उठाते हुए कहा कि पोर्टल की वेबसाइट पर बचाव के लिए लिखा गया है कि यह सी डी प्रमाणित नहीं है इसके बावजूद इसे चैनलों पर दिखाया जा रहा है|
नरेंदर मोदी जब बेंगलुरु रैली में भाषण देने के लिए मंच पर तैयार बैठे थे, तब दिल्ली में उन पर कांग्रेस की महिला नेताओं द्वारा हमला बोला गया । कांग्रेस की शीर्ष चार महिला नेता कथित तौर पर एक युवती का पीछा [जासूसी]करवाने के लिए मोदी द्वारा सरकारी मशीनरी के दुरुपयोगों को लेकर सवाल दाग रही थीं।
कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित इस प्रेस कांफ्रेंस में केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास+ जयंती नटराजन+ महिला कांग्रेस प्रमुख शोभा ओझा+ उत्तर प्रदेश कांग्रेस की पूर्व प्रमुख रीता बहुगुणा जोशी ने चार्ज लगाया कि गुजरात पुलिस के समूचे आतंकवाद निरोधक दस्ते द्वारा युवा महिला का पीछा करने और जासूसी करने से हर महिला का सम्मान और मर्यादा दांव पर है।नेत्रियों ने कहा कि यदि सरकारी तंत्र का दुरूपयोग किया गया है, तो निश्चित तौर पर मोदी के पास गुजरात में शासन करने का कोई नैतिक और राजनैतिक अधिकार नहीं है।
कांग्रेस की इस प्रेस कांफ्रेंस के बाद मीनाक्षी लेखी ने भाजपा का रुख स्प्ष्ट किया
गौरतलब है कि खोजी वेबसाइट कोबरापोस्ट + गुलैल ने 15 नवंबर को दावा किया था कि गुजरात के पूर्व गृह मंत्री और मोदी के करीबी सहायक अमित शाह ने ‘साहब’ के इशारे पर एक महिला की निगरानी[जासूसी] का आदेश दिया था।इस पर भाजपा राष्ट्रिय अध्यक्ष राज नाथ सिंह ने कहा था कि लड़की के पिता के आग्रह पर यह सुरक्षा मुहैय्या करवाई गई थी
इस दावे की पुष्टि के लिए शाह और एक आईपीएस अधिकारी के बीच बातचीत का टेप [सी डी]जारी किया था। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं की जा सकती।
वर्त्तमान में अमेरिकी $ के मुकाबिले भारतीय रुपया लुढ़क रहा है,। एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा है। सरकारी नीतियों के चलते देश का पशुधन खतरे में है। इन सभी मुद्दो पर चर्चा कराने के बजाय देश कि दोनों बड़ी पार्टियां केवल एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोपों के बल पर ही चुनावी वैतरणी पर करने के लिए प्रयास रत दिख रही हैं

भाजपाई “कमल” पर लक्ष्मी की सुनामी लाने का वायदा कर रहे हैं ऐसे में इसी “कमल” से वोट निकालने का कांग्रेसी हक़ तो बनता है

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

आक्रोशित भाजपाई

ओये झल्लेया कांग्रेसियों को अपनी हार पच नहीं रही है देख तो मध्य प्रदेश में कांग्रेसियों को तालाबों में खिले नयनाभिराम कमल भी फूटी आँख नहीं भा रहे | इनका बावला पण तो देखोतलब के कमल को भाजपा के चुनावी कमल बता रहे हैं | मालवा+बुंदेल खंड और महा कौशल में तालाबों को ढकवाने के लिए पर्यावरण विरोधी कदम उठाने को चुनाव आयोग के तरले करने पर जुटे हैं| ओये हमने भी कह दिया है कि पर्यावरण के विनाश के लिए अगर तालाबों को ढका जाएगा तो हमने भी इनके शरीर पर लगे हाथों [कांग्रेसी चुनाव चिन्ह]को ढके जाने की मांग कर देनी है

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झल्ला

अरे सेठ जी आप लोग चुनावी मौसम में पूरे देश में कमल के फूल पर लक्ष्मी की सुनामी लाने का आश्वासन देते नहीं थक रहे ऐसे में कमल से वोट निकालने का हक़ तो कांग्रेसियों का बनता ही है|हाँ अगर तालाब ही ढके जायेंगे तो लक्ष्मी और वोट दोनों रुष्ठ हो सकते हैं|सो सोच लो

क्या प्याज और पाकिस्तान ने देश के सियासतदानो के सियासी हाथों की लकीरें बदलनी शुरू कर दी हैं ?

आज कल “हाथ” ब्रांड जोरो शोरों से चल रहा है| कांग्रेस +भाजपा+सपा के “हाथ” की मांग का ग्राफ कुछ ज्यादा ही उठ रहा है|लेकिन सिसायत के इस बाजार में “हाथ” के कारोबार का नियम कुछ अलग है |जी हाँ यहाँ अपने ब्रांड को तो बचाया जा रहा है और दुसरे के ब्रांड का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है |
अब देखिये कांग्रेस का पार्टी +चुनावी निशान “हाथ” है मगर उन्हें अपना ही हाथ कहीं दिखाई नहीं देता इसीलिए कभी उन्हें भाजपा और कभी कभी सपा के हाथ का सहारा लेना पड़ जाता है मगर वक्त की मांग के अनुसार अब उन्होंने पाकिस्तान के हाथ की भी तिजारत शुरू कर दी है|
पहले मुज्जफर नगर के दंगों के पीछे कांग्रेस के अच्छे से अच्छे नेताओं को सपा और भाजपा के हाथ नजर आ रहे थे जब इनसे अपेक्षित लाभ नहीं मिले तो कांग्रेस के भावी प्रधान मंत्री राहुल गांधी को इंदौर की चुनावी रैली में जाकर मुज्जफर नगर के दंगों में पाकिस्तान की आई एस आई का हाथ बिना दूरबीन लगाये ही दिखाई दे गया| राहुल गांधी ने इंदौर की सभा में एलानिया कह दिया कि यूं पी के मुज्जफर नगर के दंगों में पाकिस्तान की आई एस आए का हाथ है| और ये आई एस आई वाले प्रदेश में भाजपा के साम्प्रदाइक हाथों को काटने आये हैं |
बात यहीं खत्म हो जाती तो कोई बात नहीं थी लेकिन कांग्रेस को सीमा पर हो रही घुसँपैंठ के पीछे भी पाकिस्तान की फौज का हाथ दिखाई दे रहा है| अब इन गद्दी नशीं हुकुमरानों को देश की सीमा से लेकर देश के भीतर तक पाकिस्तान के “हाथ” पे हाथ ही नजर आ रहे हैं|बकौल जनाब नरेंदर मोदी सरकार का काम केवल सूचनाएं देना भर रह गया है|
अब महंगाई की बात भी कर ली जाये |प्याज के दाम दिल्ली में सेंचुअरी मार चुके हैं इसे कंट्रोल करने के बजाय केंद्र और राज्य सरकारें भाजपा के हाथ की लकीरें गिनने में लग गई हैं| केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार टी वी चैनलों पर अपने आप को असहाय बता कर अपने रंगे हाथ बचाते फिर रहे हैं|वाणिज्य मंत्री आनद शर्मा इसके पीछे काला बाजारियों को दोष दे रहे हैं लेकिन आश्चर्यजनक रूप से दिल्ली की मुख्य मंत्री शीला दीक्षित काला बाजारियों से हाथ जोड़ कर अपील करती फिर रही हैं | शायद काला बाजारियों के हाथ कांग्रेस के हाथों से जयादा मजबूत होंगे तभी इनके खिलाफ हाथ उठाने के बजाय हाथ जोड़ना ज्यादा मुफीद समझा गया | इतिहास से सबक लेना कोई शीला दीक्षित से सीखे क्योंकि एक बार नाइट वाच बैट्स मैन के तौर पर दिल्ली की मुख्य मंत्री बनी भाजपाई श्री मति सुषमा स्वराज ने भी टी वी कैमरे लेकर प्याज के गोदामों में अपने हाथ घुसेड़े थे तब इन गोदामों के मालिकों के भारी भरकम हाथों ने दिल्ली में भाजपाई कमल को ही मसल कर रख दिया था | ऐसे में इसकी पुनरावृति कौन चाहेगा|
अब प्याज के रसायनिक गुण भी देख लिए जाएँ |यह जीव की आँखों में आंसू ले आता है लेकिन यह तभी होता है जब प्याज को काटा या छिला जाता है |लेकिन इसके भाव जब जरुरत से जयादा बढ़ते हैं तो यह देश वासिओं की आँखें नम कर देता है|
प्याज में 89% जल + 4% शुगर+, 1% प्रोटीन+ 2% फाईबर+ 0.1% फैट होता है| विटामिन सी+, विटामिन बी 6 और फोलिक एसिड का यह अच्छा स्रौत है | इसमें एंटी -कोलेस्ट्रॉल + एंटी कैंसर + एंटी ऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज हैं|
दुर्भाग्य से नेताओं से लेकर व्यापारियों तक में “पानी ” की मात्रा प्याज में पानी की मात्रा से एकदम उलट है |शायद इसीलिए प्याज की काली तिजारत से वोह कमी पूरी की जा रही है|
बुद्धिस्म मान्यतानुसार प्याज और लहसुन को पका कर खाने से जहाँ इच्छाएं जागृत होती हैं वही इसका कच्चा सेवन गुस्से को बढाता है|लेकिन प्याज की कीमतों में उछाल से आजकल तिजोरियों का साइज बढता है |
आम आदमी का साथ देने के लिए उठे कांग्रेस के हाथ क्या इतने बेअसर हो रहे हैंकि कई बार हथियार डाल चुका पकिस्तान जैसा मुल्क भी सीमा से लेकर देश के अंदर तक घुस आया है|चीन अलग इंच दर इंच नौंच रहा है|इसके अलावा बकौल इन्ही के विपक्ष साम्प्रदाइक हिंसा भड़काने में कामयाब हो रहा है|काला बाजारी देश में अस्थिरता फैलाने में कामयाब हो रहे हैं|.इस सब को देख कर क्या कहा नहीं जाना चाहिए कि सरकारी हाथों की लकीरें फींकी पड़ने लगी है और विपक्ष के हाथों की लकीरों ने नई शेप लेनी शुरू कर दी है

अब चूंकि किले की खुदाई में स्वर्ण और सत्ता दोनों हैं ऐसे में माफ़ करना सर फुटटोवल तो होनी ही है


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

उग्र भाजपाई

ओये झल्लेया ये क्या हो रहा है?देख तो शोभन सरकार के नाम पर उनके परम शिष्य [एक्स कांग्रेसी नेता ] ॐ अवस्थी ने हसाड़े सोणे नरेंदर मोदी के खिलाफ सियासी जंग ही छेड़ दी है | राजा[तालुकेदार] राम बक्श सिंह के उन्नाव किले में खुदाई करवा कर एक हजार टन सोना पैदा करने के घोषणा अभी साकार नहीं हुई है और बाबा ॐ अवस्थी जी ने सियासी तेवर अपनाने शुरू कर दिए हैं लेकिन मोदी भी कोई कच्ची गोलियां नहीं खेले हैंउन्होंने ॐ अवस्थी के बजाय शोभन सरकार के तप और त्याग को प्रणाम करके विवाद समाप्त करने को पहल कर दी अब देखना है कि ये बात कहाँ तक आगे जाती है|

झल्ला

ओ मेरे भोले सेठ जी बुजुर्गों ने कहा है कि कनक अर्थार्त सोने[स्वर्ण] में १०० गुनी मादकता होती है और सत्ता का मद सबसे अधिक नशीला होता है अब चूंकि किले में सोने के लिए खुदाई हो रही है और केंद्र +राज्य सरकारें इशारे पर चलने लगी है [या इसका उलटा] अर्थार्त स्वर्ण और सत्ता दोनों ही मौजूद हैं ऐसे में माफ़ करना सर फुटटोवल तो होनी ही थी

बकवास अध्यादेश तो वापिस हो गया अब इसके लिए क्रेडिट लेने के होड़ लगी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम[दागी सांसदों से सम्बंधित] से संबंधित अध्यादेश और विधेयक वापस लेने का फैसला किया है इससे एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट को सम्मान और लोकतंत्र पर लगे काले धब्बों को कुछ हद तक धोया जा सकेगा लेकिन अब एक नई बहस शुरू हो गई है इसके लिए क्रेडिट लेने के बहस |यह स्वाभाविक भी है राजनीतिक श्रेय लेने के लिए अपने ढंग से दलीले देने में जुट गए है|जनता तो शायद क्रेडिट तभी देगी जब पार्टियाँ चुनावों में टिकट बांटने में अपनी विचार धारा को प्रकट करेंगी |
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन के उद्देश्य से प्रस्तावित अध्यादेश के बारे में व्यक्त की गई विभिन्न चिंताओं को देखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यह अध्यादेश और तत्संबंधी विधेयक वापस लेने का निर्णय किया है। प्रस्तावित अध्यादेश की वैधता और उपयुक्तता को लेकर व्यक्त की जा रही इन चिंताओं के मध्य नजर सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों की सदस्यता बचाने के लिए लाए गए अध्यादेश को कैबिनेट ने वापस लेने की घोषणा कर दी गई है|
बुधवार की शाम 6 बजे सिर्फ 15 मिनट के लिए केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक में यूपीए के सहयोगी दलों की नराजगी को भी नजरअंदाज कर दिया गया। इतना ही नहीं,अब दागी नेताओं को बचाने वाले बिल को भी वापस लिया जाएगा|
कैबिनेट की बैठक के बाद बताया गया कि यह फैसला कैबिनेट की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। चूंकि यह बिल फ़िलहाल संसद की धरोहर है इसीलिए संसद के अगले सत्र के दौरान संबंधित बिल भी तय प्रक्रिया के मुताबिक वापस ले लिया जाएगा|अब कांग्रेस और भाजपा इसके लिए क्रेडिट लेने में जुट गए हैं जिसका विरोध भी शुरू हो चुका है|गौरतलब है की कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने इस अध्यादेश को बकवास बता कर इसे फाड़ने की मांग की थी जिसके पश्चात कांग्रेस और सरकार ने आर्डिनेंस को वापिस लेने की कवायद शुरू की|उधर भाजपा और आप पार्टी भी इसे अपनी सफलता बता रही हैं|एक महत्वपूर्ण भूमिका प्रेजिडेंट प्रणब मुखर्जी ने भी निभाई हैउन्होंने इस बिल पर अनेको सवाल उठा कर इसे वापिस लौटाने का निर्णय लिया संबवत जिसके पश्चात राजनीतिक हलचल तेज हुई| |
उत्तर प्रदेश में सत्ता रुड समाज वादी पार्टी [सपा] के नेता नरेश अग्रवाल ने तो अध्यादेश और बिल की वापिसी को ही लोक तंत्र के लिए खतरा बता दिया है|
इस नए घटना क्रम के फल स्वरुप एनसीपी नेता डी.पी. त्रिपाठी राहुल गांधी के बयान पर नाराजगी जताते हुए कह चुके हैं कि उनकी पार्टी सरकार की सहयोगी है और वे राहुल गांधी के अनुयायी नहीं हैं। नैशनल कॉन्फ्रेंस ने इस मसले पर यूपीए समन्वय समिति की बैठक बुलाने की मांग की है।
हालांकि, सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की बैठक में शरद पवार ने इसका थोडा़ विरोध किया, लेकिन आखिरकार बैठक में सर्वसम्मति से अध्यादेश वैपस लेने का फैसला किया गया।
बताते चलें के वाच डॉग एसोशिएशन [ watchdog Association of Democratic Reforms (ADR) ] के अनुसार फिलहाल ७० से अधिक सांसद [एम् पी]दागी की श्रेणी में आते हैं और अपनी सदस्यता खो सकते हैं|| इनमे से १८ भाजपा के हैं+कांग्रेस के १४ दागी सांसद हैं+ समाजवादी पार्टी के ८ + बहुजन समाज वादी पार्टी [BSP ] के ६+ऐ आई डी एम् के के ४+ जे दी यूं के ३+ वामपंथी ३ के अलावा १७ अन्य दलों से बताये गए हैं|

भाजपा कार्यकर्ता महाकुंभ से एक दिन पहले राजनीती अब टोपी और तिलक से नीचे खिसक कर बुर्के पर आ टिकी है

भारतीय राजनीती अब टोपी और तिलक से नीचे खिसक कर बुर्के पर आ टिकी है|मध्य प्रदेश में 25 सितंबर को होने वाले भाजपा कार्यकर्ता महाकुंभ से एक दिन पहले मंगलवार को कांग्रेस ने बुर्के पर राजनीति को उछाल दिया जिसे लेकर कांग्रेस और भाजपा में घमासान मचा हुआ है|
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इंदौर में एक बिल दिखाकर भाजपा पर 446 रुपये प्रति नगकी दर से 10 हजार बुर्कों का ऑर्डर देने का आरोप लगाया है|
लेकिन कांग्रेस महासचिव ने जिस दुकानदार को बुर्कों का ऑर्डर देने का दावा किया था शीतला माता बाजार स्थित उसी जीनत स्टोर्स के मालिक ने कांग्रेस नेता के आरोपों को यह कह कर खारिज कर दिया कि यह बिल नहीं, बल्कि मात्र कोटेशन है। उसने कहा कि 23 सितंबर को एक शख्स उनसे दस हजार बुर्कों का कोटेशन लेकर गया था। जिसे बिल बताया गया जाहिर है साजिशन कोटेशन लेकर उसे बिल के रूप में प्रचारित किया गया
इसके अलावा दिग्विजय सिंह ने ही यह आरोप भी लगाया था कि भाजपा लखनऊ से टोपियां खरीद रही है और वह पार्टी की रैली में नकली मुसलमानों को बुर्के व टोपी में पेश करने की तैयारी कर रही है।
भाजपा ने इस संबंध में दिग्विजय द्वारा दिखाए गएबुर्के की खरीद सम्बन्धी ४४ लाख ६० हज़ार के बिल को फर्जी करार दिया है ।गौरतलब है कि टोपी नहीं पहनने पर नरेंदर मोदी की आलोचना होती रहती है अब बुर्के के दुरूपयोग के स्कैंडल को उछाल कर भाजपा के इस महा कुम्भ से मुसलमानों को रोकने की सियासी कवायद शुरू हो गई है|

डॉ मन मोहन सिंह के मुजफ्फर नगर में दौरे को लेकर अब केंद्र और राज्य में नसीहत और व्यंग का खेल शुरू हो गया है

मुजफ्फरनगर के दंगों को आग बेशक अब कुछ कम होने लगी है लेकिन राजनीती पूरी तरह गर्माने लग गई है|ऐसे में केंद्र और राज्य आमने सामने आते दिखने लगे हैं |केंद्र और राज्य में नसीहत और व्यंग का खेल शुरू हो गया है| ऐसा मुख्य मंत्री और प्रधान मंत्री के दौरों से स्पष्ट होता है| जहाँ तक विरोध प्रदर्शन के तराजू पर तोलने की बात है तो मुख्य मंत्री को दौर में स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा तो केन्द्रीय न्रेतत्व के सामने ऐसे कोई अप्रिय घटना नही घटी|
प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने आज सोमवार को दंगा प्रभावित इलाकों के साथ राहत शिविर का भी दौरा किया और पीड़ितों की हरसंभव मदद और दंगे भड़काने के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी से कड़ी सजा का आश्वासन दिया ।

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh meeting the violence affected people in Muzaffarnagar district on September 16, 2013.

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh meeting the violence affected people in Muzaffarnagar district on September 16, 2013.


अपनी पार्टी कि अध्यक्षा श्री मति सोनिया गाँधी और उपाध्यक्ष राहुल गाँधी के साथ आये प्रधान मंत्री ने एक तरफ जहां पीड़ितों का हालचाल जाना और उन्हें ढांढस बंधाया, वहीं बातों-बातों में उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार को नसीहत भी दे डाली।उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “मैं पीड़ितों का दुख-दर्द बांटने यहां आया हूं। राज्य सरकार का फर्ज बनता है कि सभी के जानमाल की पूरी सुरक्षा हो। कानून व्यवस्‍था राज्य का मामला है।”उन्होंने कहा, “हमारी कोशिश है कि लोग जल्द से जल्द अपने घरों को लौट सके
केंद्र की ओर से उत्तर प्रदेश सरकार को पूरी मदद दी जाएगी।
The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh meeting the violence affected people in Muzaffarnagar .

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh meeting the violence affected people in Muzaffarnagar .

जिम्मेदार लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के दौरे के एक दिन बाद मुजफ्फरनगर पहुंचे मनमोहन सिंह के साथ यूपीए अध्यक्षा श्री मति सोनिया गांधी+ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी+ राज्यपाल बी एल जोशी और गृह राज्य मंत्री आर पी एन सिंह भी थे
उधर उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री आजम खां ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दौरे को पूरी तरह राजनीतिक करार देने में कोई देरी नही की | खां ने मीडिया से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुजफ्फरनगर गये हैं..अच्छी बात है…चुनाव करीब हैं, उन्हें ऐसा करना भी चाहिये।’’ उन्होंने व्यंग बाण चलाते हुए कहा, बेहतर होता अगर प्रधानमंत्री फैजाबाद भी जाते, मथुरा भी जाते, बरेली भी जाते। गौरतलब है कि फैजाबाद, मथुरा और बरेली में पिछले साल साम्प्रदायिक दंगे हुए थे।मथुरा में सत्ता रुड यूं पी ऐ के घटक रालोद के एक सांसद हैं|
इससे एक दिन पहले ही राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिले का दौरा किया था और लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा था।
मुजफ्फनगर में हुई सांप्रदायिक हिंसा में अब तक 47 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं। हिंसा प्रभावित बहुत से लोगों को अस्थायी शिविरों में ठहराया गया है।
प्रधानमंत्री के दौरे से एक दिन पहले रविवार को अखिलेश यादव ने कवाल गांव का दौरा किया, जहां 27 अगस्त को एक छेड़खानी की वारदात के बाद तीन लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद पूरे ज़िले में तनाव पैदा हो गया था।अखिलेश यादव ने घटना को दुखद बताते हुए कहा कि दंगाइयों के खिलाफ़ सरकार कड़े कदम उठाएगी। ‘हम उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करेंगे और दोषियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत कार्रवाई होगी।
उन्होंने बताया कि सरकार ने न्यायिक आयोग गठित किया है जो 27 अगस्त के बाद की घटनाओं की पड़ताल कर रहा है
अखिलेश को गांववालों ने काले झंडे दिखाए और नारेबाज़ी की। गांव वालों ने सरकार पर तुरंत कार्रवाई न करने और हिंसा को रोक पाने में नाकाम रहने के आरोप लगाए।
प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र के पहले ही दिन विधानसभा की कार्यवाही मुजफ्फरनगर में हाल में हुई साम्प्रदायिक हिंसा और कानून-व्यवस्था को लेकर विपक्षी सदस्यों के शोरगुल और हंगामे के कारण बाधित हुई और सदन में प्रश्नकाल नहीं हो सका।
विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही बहुजन समाज पार्टी (बसपा)+ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) +राष्ट्रीय लोकदल (रालोद)और कांग्रेस के कई सदस्य नारेबाजी करते हुए हाथों में तख्ती लिये सदन के बीचोंबीच आ गये। कांग्रेस इस विरोध का न्रैतत्व करती दिखाई दी| भाजपा ने डॉ मन मोहन सिंह +श्री मति गाँधी+राहुल गाँधी के इस दौरे को कांग्रेस के सेक्युलर टूरिज्म कि संज्ञा दी है|
फोटो कैप्शन
[१]The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh briefing the media after meeting the violence affected people in Muzaffarnagar district on September 16, 2013.

संशोधनों के ईंधन पर पकाए बगैर ही कच्चे अनाज की सिक्यूरिटी से भ्रष्टाचार के अपच से देर सबेर ढिड[पेट] में दर्द होनी ही है


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

कुलांचे भरता एक कांग्रेसी चीयर लीडर

ओये झाल्लेया मुबारकां ओये देखा हसाडी नेत्री श्रीमती सोनिया गाँधी जी ने दिन रात एक करकेयहाँ तक के खुद बीमार पड़ कर भी फ़ूड सिक्यूरिटी बिल को लोक सभा में अपनी अनुपस्थिति में पास करवा लिया| ओये आज के नो घंटे के मंथन [ बहस] से निकले फ़ूड सिक्यूरिटी के अमृत से देश की ८२ करोड़ जनता को सस्ता अनाज उपलब्ध हो सकेगा|अब कोई भूखा नहीं सोयेगा|

झल्ला

ओ मेरे चतुर सुजान जी आप जी के इस फ़ूड सिक्यूरिटी बिल से आप जी की चुनावों में दाल तो गल जायेगी और विपक्ष की हांडी टूट जायेगी लेकिन आप जी ने विपक्ष के ३०० से ज्यादा संशोधनों के ईंधन पर पकाए बगैर ही कच्चे अनाज की व्यवस्था कराई है इससे देर सबेर भ्रष्टाचार के अपच से आपलोगों के ढिड[पेट] में दर्द होनी ही है|

सोमवार से शुरू होने वाले मानसून सत्र में भी सरकार को घेरेगी भाजपा

सोमवार से शुरू होने वाले मानसून सत्र में भी सरकार को घेरेगी भाजपा
सोमवार से शुरू हो रहे मानसून सत्र में बिजनेस सुचारू रूप से चले इसके लिए आम सहमती बनाने के लिए लोकसभा अध्यक्षा मीरा कुमार ने आज सर्वदलीय बैठक बुलायी जिसमे प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने खाद्य सुरक्षा विधेयक समेत सभी महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने तथा संसद के कामकाज के सुचारू रूप से संचालन के लिए सभी राजनीतिक दलों से सहयोग की अपील की लेकिन प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने सत्र में सरकार को ढील न देने का मन बना लिया है सरकार को घेरने के लिए भाजपा ने संसद में ५ मुद्दों को जोर शोर से उठाने की घोषणा कर दी है| .
बैठक में पी एम् ने कहा कि पिछले सत्रों के दौरान संसद का समय नष्ट हुआ. इस सत्र में भी सरकार अपनी तरफ से विपक्ष द्वारा उठाये जाने वाले हर मुददे पर चर्चा के लिये तैयार है.
. भाजपा ने इस सत्र में अपनी मांगों को जोर शोर से उठाने की घोषणा कर दी है आज भाजपा के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने प्रेस ब्रीफिंग में इसका खुला करते हुए बताया कि सर्वदलीय सभा में श्रीमती सुषमा स्वराज ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी प्राथमिकता[१] तेलंगाना का गठन रहेगी| इसके आलावा [२]उत्तराखंड त्रासदी में केंद्र और राज्य सरकों की विफलता+ [३]सी बी आई और आई बी में टकराव करने की केंद्र की नीति +[४]अमेरिकन डॉलर के मुकाबिले भारतीय रुपये का अपमान जनक अवमूल्यन [५]ऍफ़ डी आई पर राजनीती [६] के साथ कांग्रेस और उसकी समर्थक पार्टियों ने जिस प्रकार एक रेत खनन माफिया को बचाने के लिए आई ऐ एस दुर्गा शक्ति नागपाल के खिलाफ साम्प्रदाईकता की चादर ओड़ी गई है उस छद्म धर्म निरपेक्षता पर चर्चा को प्राथमिकाता दी जायेगी|
जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने आरक्षण के मामले को लेकर संसद नहीं चलने देने की धमकी दी है.
गौरतलब है कि एक माह के इस सत्र के उपलब्ध केवल 12 कार्यदिवस में सरकार को 44 सूचिबद्ध विधेयकों को पास कराना है विपक्ष के इन तेवरों को देखते हुए यह सत्र हंगामी होगा इसकी आसानी से कल्पना की जा सकती है|

राजनीतिक दलों को जन प्राधिकरण की परिभाषा[RTI] से बाहर रखने के लिए विधेयक लाने को मंजूरी

केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने सूचना अधिकार अधिनियम के उद्देश्‍य से राजनीतिक दलों को जन प्राधिकरण की परिभाषा से बाहर रखने के लिए सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 में संसद के आगामी सत्र में संशोधन करने के लिए एक विधेयक लाने की मंजूरी दी है।
केन्‍द्रीय सूचना आयोग ने अपने 03.06.2013 के निर्णय में कांग्रेस, भाजपा, माकपा, भाकपा, बसपा और राकांपा जैसे राजनीतिक दलों को सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 2(एच) के अ‍धीन जन प्राधिकरण माना है। आयोग ने मुख्‍य रूप से इन तथ्‍यों पर विश्‍वास व्‍यक्‍त किया है कि इन राजनीतिक दलों को केन्‍द्र सरकार से काफी (अप्रत्‍यक्ष) वित्‍तीय मदद मिलती है और वे सार्वजनिक कर्तव्‍य निभाते हैं। राजनीतिक दल योजना आयोग के साथ जन प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के प्रावधानों के अधीन पंजीकृत हैं। राजनीतिक दलों के संदर्भ में विस्‍तृत प्रावधान जन प्रतिनिधित्‍व अधिनियम में विस्‍तार से दिये गये हैं, जिनमें राजनीतिक दलों, प्रत्‍याशियों और दान से संबंधित जानकारी देने का प्रावधान है। कथित अधिनियम में परस्‍पर निम्‍नलिखित प्रावधान हैं :-
[1] निर्वाचन आयोग के संघों और निकायों के साथ राजनीतिक दलों के रूप में पंजीकरण (धारा 29ए)
[2]राजनीतिक दल अंशदान स्‍वीकार करने के हकदार (धारा 29बी)
[3] राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्‍त दान की घोषणा (धारा 29सी) • परिसम्‍पत्ति और देयताओं की घोषणा (धारा 75ए)
[4] चुनाव खर्च और अधिकतम राशि का खाता (धारा 77) • जिला निर्वाचन अधिकारी के पास खाता प्रस्‍तुत करना (धारा 78)
[5] झूठा शपथ पत्र प्रस्‍तुत करने पर जुर्माना (धारा 125ए)
जन प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के उपरोक्‍त प्रावधान ये दर्शाते हैं कि इस अधिनियम में वित्‍त पोषण, इसकी घोषणा और झूठा शपथ पत्र प्रस्‍तुत करने पर जुर्माने के पर्याप्‍त प्रावधान हैं। आयकर अधिनियम 1961 की धारा 13ए के अधिनियम राजनीतिक दलों के लिए कर से छूट का दावा करने के लिए लेखा परीक्षा किये गये खातों के साथ टैक्‍स अधिकारियों के समक्ष निर्धारित तिथि से पूर्व आयकर विवरण भरना अपेक्षित है। आयकर अधिनियम की धारा 138 के अनुसार आयकर विभाग के समक्ष दी गई जानकारी साधारण रूप से गोपनीय होगी, लेकिन इसे तभी सार्वजनिक किया जा सकेगा, अगर आयकर आयुक्‍त की फैसले में यह जनहित में हो।
जन प्रतिनिधित्‍व अधिनियम 1951 की धारा 10ए के अधीन कानून की अपेक्षाओं के अनुसार चुनाव व्‍यय का लेखा प्रस्‍तुत करने में असफल रहने पर ऐसा करने वाले प्रत्‍याशी को अयोग्‍य ठहराये जाने की तिथि से 3 साल के लिए चुनाव आयोग द्वारा अयोग्‍य ठहराया जा सकता है।
सूचना अधिकार अधिनियम को संविधान के अनुच्‍छेद 19 के अधीन सूचना के अधिकार के कार्यान्‍वयन के लिए प्रभावी ढांचा उपलब्‍ध कराने के लिए बनाया गया था। जन प्राधिकरण की परिभाषा सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 2 के खंड (एच) में दी गई है। राजनीतिक दल सूचना अधिकार अधिनियम में दी गई जन प्राधिकरण की परिभाषा के दायरे में नहीं आते हैं, क्‍योंकि वे आरपी एक्‍ट, 1951 के अधीन केवल पंजीकृत और मान्‍यता प्राप्‍त हैं।