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झल्ले दी गल्लां; आकाशवाणी;रेडियो

झल्ले. दी गल्लां
एक बुद्धिजीवी ;
ओये झल्लेया!
झल्ले दी गल्लां; आकाशवाणी;रेडियो

झल्ले दी गल्लां; आकाशवाणी;रेडियो

शेक्सपियर के अनुसार नाम में कुछ नहीं रखा मगर ये बीजेपी की सरकार तो आए दिन नाम बदलने  में ही लगी हुई है, अब बेचारे इतालवी मार्कोनी की खोज रेडियो के पीछे पड़ गए, कहा जा रहा है “रेडियो नही ‘आकाशवाणी’ कहिए”

 झल्ला;
भापा जी! इनके प्रधान मंत्री नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी के मन की बात  को अगर टाइम कैप्सूल में डाला गया तो आने वाली पिडिया यही कहेगी कि (विपक्ष के इंद्र) विपेक्षेंद्रों को धूल च टा ने  वाले
 भगवान मोदी के “मन की बात” की आकाशवाणी

हवन के जरिये नरेन्द्र मोदी के लिए ,एन डी ऐ वाले समर्थन जुटाएंगे


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक तिलमिलाया कांग्रेसी

ओये झल्लेया ये एन डी ऐ वालों ने क्या मजाक बना रखा है?एक तरफ तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए इनके घटक दल जे डी यूं वाले हसाड़े साथ पींगे बड़ा रहा हैं और दूसरी तरफ इनके सांसद कैप्टेन जय नारायण निषाद अपने दिल्ली की आलिशान कोठी में हसाड़े कट्टर दुश्मन नरेन्द्र मोदी को प्रधान मंत्री बनवाने के लिए हवन करवा रहे हैं ओये हवन करवाने के लिए और कोई नहीं अपनी सहयोगी भाजपा के पूर्व सांसद श्याम बिहारी को बुक किया गया है|ओये एक नहीं दो दिन तक हवन के जरिये ये लोग हसाडी लम्बी नाक के नीचे नरेन्द्र मोदी के लिए समर्थन जुटाएंगे| और इनकी नंगई तो देखो , ये भाजपाई नेता मुख्तार अब्बास नकवी और गिरिराज सिंह खुले आम यज्ञ-पूजा का समर्थन करने से गुरेज तक नहीं कर रहे|

 हवन के जरिये नरेन्द्र मोदी के लिए ,एन डी ऐ वाले समर्थन जुटाएंगे

हवन के जरिये नरेन्द्र मोदी के लिए ,एन डी ऐ वाले समर्थन जुटाएंगे

झल्ला

ओ भोले चतुर सुजाण जी बकौल जेडीयू के प्रवक्ता एस अली कैप्टेन निषाद की उम्र बहुत हो गई है। और आज बिहार का कोई भी राजनैतिक दल उनको तवज्जो नहीं देता है।अब जब उनकी अपनी पार्टी ने ही उन्हें खुडडे लाइन लगा कर पार्टी को ही दूसरी पटरी पर लाने की कोशिश शुरू कर दी है तो ये कैप्टेन महाशय अगर अपना प्लेन बदलना चाह रहे हैं तो इसमें क्या बुराई है?वैसे देखा गया है कि अन्य बातों के असामान्य हो जाने पर अपने खुद के बयानों तक से पलटने की परिपाटी है और यहाँ तो दिल्ली से अनुपस्थित निषाद ने अपनी कोठी के मैदान का एक हिस्सा ही दिया है| क्यों समझे या नहीं समझे ?

सुप्रीम कोर्ट ने एयर लाइन्स की हवाई गिरी को झटका देकर ट्रांजैक्शन फीस वसूली पर रोक लगाई


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक हवाई यात्री

ओये झल्लेया मुबारकां ओये अब एजेंटों के माध्यम से हवाई जहाज़ का टिकेट बुक कराना सस्ता हो गया है अब एजेंट के द्वारा टिकेट बुक कराने पर ट्रांजैक्शन फीस नहीं देनी पड़ेगी | सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी नाम से ग्राहकों से ट्रांजैक्शन फीस वसूली पर कडाई से रोक लगा दी है|बैसिक किराए के बेतरतीब अंतर पर भी सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय का हथौड़ा चला दिया है|ओये अब इन एयर लाइन्स की हवाई गिरी नहीं चलने वाली |

एयर लाइन्स की ट्रांजैक्शन फीस वसूली पर रोक

झल्ला

हाँ साहब जी पहले एयर लाइन्स यात्रियों के खींचने में बुकिंग या ट्रेवेल एजेंटों को कमीशन दिया करती थीउस कमीशन को बंद कर दिया गया तब इन्ही एयर लाइन्स ने ग्राहकों से ट्रांजैक्शन फीस वसूली शुरू कर दी|इसकी शिकायत किये जाने पर नागरिक उड्डयन नियामक [डी.जी.सी.ऐ] ने 17 दिसंबर को सर्कुलर जारी करके अपना मुह और ऑंखें दूसरी तरफ मौड़ ली \नतीजतन ये ट्रांजैक्शन फीस के नाम से की जा रही अवैध वसूली जारी है|अब डी जी सी ऐ का काम न्यायलय ने कर दिया है |न्यायमूर्ति डीके जैन व न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की पीठ ने इस पर यह कहते हुए नाराजगी भी जताई है कि डीजीसीए अपने ही परिपत्र [सर्कुलर] को लागू नहीं करा पा रहा है|इसके लिए पीठ को धन्यवाद
डी जी सी ऐ की अनदेखी और सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक हथौड़े से एक बात तो साफ हो चली है कि उड्डयन छेत्र में सब कुछ साफ़ नही है|कुछ कोहरा जरूर है|जर्मन फायनेंसर डी वी बी ने फेवोरोटिस्मके आरोप लगा कर डी जी सी ऐ को कटघरे में खड़ा कर दिया था |अब कोर्ट ने डी जी सी ऐ की खिंचाई करके भ्रष्टाचार के कोहरे को साफ कराने का सराहनीय प्रयास किया है लेकिन झल्लेविचारानुसार अब दी जी सी ऐ और मन मानी कराने वाली एयर लाइन्स पर कुछ दंडात्मक कार्यवाही भी जरुरी हो गई है|

तेल आयात पर भारी भरकम खर्च के बोझ तले बेचारी भारतीय अर्थव्यवस्था पिसती जा रही है ?


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक चीयर लीडर कांग्रेसी

ओये झाल्लेया देखा हसाड़े सोणे ते मन मोहणे प्रधान मंत्री दा कमाल |ओये सोणे मंमोहने ने महंगी का राज घोलते हुए बता दिया है कि पेट्रो पदार्थों के आयात पर जो भारी भरकम खर्च हो रहा है उसी के बोझ तले बेचारी भारतीय अर्थव्यवस्था पिसती जा रही है|इसी कारण सारे प्रयास फ़ैल हो जाते हैं| नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान 2020 के लांच समारोह मेंउन्होंने यह कहकर हैरान कर दिया है कि देश में पेट्रोलियम उत्पाद की कुल जरूरत के 80 फीसदी का आयात किया जाता है.’इसीलिए तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें देश की . महंगाई में बड़ी भूमिका निभाती है

झल्ला

ओ मेरे चतुर सुजाण जी आप जी की पार्टी को शासन में सिक्सटी ईयर्स का एक्सपीरियंस है|इस पर भी अभी तक पेट्रोलियम उत्पादों के इम्पोर्ट को घटाने के बजाये लगातार पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता बढाने वाले नियम ही बनाये जा रहे हैं|न्यूक्लियर,या सोलर की तो छोड़ो आप जी ने तो वाहनों के लिए भी देश को वाहनों के कबाड़ का पेरेडाईज़ बना डाला है|इस मौके पर एक प्रेरणा दायक सत्य दोहराना जरूरी है|विश्व युद्ध के बाद आज अनेकों देशों में चीनी का उत्पादन प्रभावित हुआ चीनी बाहर से मंगवानी महंगी होने लगी तब लोगों ने चीनी खानी छोड़ दी थी आज वोही देश विकसित बने हुए हैं |क्या कहा अपने देश में ऐसा नहीं होता तो भईया जी लाल बहादुर शास्त्री जी ने पकिस्तान के साथ युद्ध के समय अनाज की कमी के मध्य्नज़र हफ्ते में एक दिन खाना छोड़ने का आह्वाहन किया था तो पूरा देश उनके साथ खडा नज़र आया था|लेकिन दुर्भाग्य से आज कल के अर्थ पंडित केवल कागजों में ही गुणा भाग में व्यस्त हैं|अर्थार्त मन में दूने मन में तीने और मन ही होवें आधे |

मायावती के पूर्व केबिनेट सचिव शशांक शेखर पर भी ३००० करोड़ रुपयों के गबन का केस :लो कर लो बात


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक दुखी बसपाई

ओये झल्लेया देखो उत्तर प्रदेश में कैसा जुल्म हो रहा है इस सपाई अखिलेशी सरकार से क्राईम तो रुक नहीं रहा |हसाडी लोक प्रिय नेत्री बहन माया वती की मूर्ती तुड़वा कर भी इनका दिल नहीं भरा कि उलटे हसाड़े निर्दोष नेता और बेचारे अफसरों के खिलाफ ही मुकद्दमें दर्ज़ होने लग गए हैं | अब तो हद ही हो गई बेचारे पूर्व केबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह जी पर भी ३००० करोड़ रुपयों के गबन का केस दर्ज़ किया जा रहा है ओये i इतना पैसा इन्होने कभी देखा भी है?

पूर्व केबिनेट सचिव शशांक शेखर पर भी ३००० करोड़ रुपयों के गबन का केस

झल्ला

भोले राम जी पंजाबी में एक पुरानी कहावत है जिन्ना ने खाईयां चुपड़ी ठिड पीड उन्हा दे अर्थार्त जिन्होंने चुपड़ी -चोपड़ी खाई हैं पेट में दर्द तो उनके होना ही है |हाँ न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता जरूरी है

शशि थरूर बनाना चाहते हैं गैंग पीडिता के नाम पर नया कानून


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक दुखी भाजपाई

ओये झल्लेया ये कांग्रेसियों ने क्या मज़ाक बनाया हुआ है ?दामिनी तो बेचारी जान से गई और पूरा देश उसके शोक में डूबा हुआ है| लेकिन ये शशि थरूर महाराज उसके नाम का इस्तेमाल करके वाह वाही लूटना चाह रहे हैं|सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार गैंग रेप पीडिता की पहचान उजागर नहीं की जाने चाहिए और ये शशि थरूर जी बलात्कार के आरोपियों को दंड देने के लिए नए कानून[अगर बनता है तो] उसके नाम पर बनाने की वकालत कर रहे है|ओये उसकी निजता का क्या होगा?

शशि थरूर बनाना चाहते हैं गैंग पीडिता के नाम पर नया कानून

झल्ला

ओ सेठ जी हसाड़े बाबा नानक कह गए हैं कि नानक दुखिया सब संसार सो सुखिया जिस नाम आधार अब बाबा जी ने तो अकाल पुरुख [ईश्वर]के नाम को आधार बनाने का उपदेश दिया है मगर आज कल नाम वाले के नाम को कब्जाने का चलन चल निकला है|इस बेचारी गैंग रेप पीडिता के नाम पर स्कूल +पुल+सड़क निर्माण के प्रोपोजल्स हवा में तैरने लग गए हैं|अंग भंग+ फांसी और यहाँ तक की नपुंसकता के दंड दिए जाने के मांग उठ रही है ऐसे में अगर एक मंत्री ने पीडिता के नाम पर कानून बना कर दूसरों से बड़ी लाइन खींच दी तो क्या बुरा किया |वैसे भी अगर कानून व्यवस्था सुधारी ना जासके तो इस प्रकार के टोटके सपोर्टर्स का हौंसला बढाने के काम आते हैं|

शुक्र है कि इन्होने केवल न्याय माँगा रोटी नहीं मांगी वरना सीरिया की तरह मिसाईल ही चलवा देते


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक सोश्लाईट

ओये झाल्लेया व्हाट इज दिस ?ये हसाड़े हुकुमरानो को क्या हो गया है ? एक तरफ तो प्रधान मंत्री डाक्टर मन मोहन सिंह, उनकी पत्नी श्रीमती गुरशरण कौर,राष्ट्रपति के बेटी और स्वयम सोनिया गांधी भी डेमेज कंट्रोल के लिए बाहर आ रही है और ये मंत्री संतरी सभी घाव पर नमल छिड़कने का काम कर रहे हैं|ओये अब ये गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे भी कहने लग गए हैं कि गैंग रेप के विरोध में निहत्थे, अराजनीतिक,शान्ति पूर्वक प्रदर्शन कर रहे हज़ारोंयुवाओं से मिलना उन्हें सांत्वना देना इनकी सरकार के लिए कोई जरूरी नहीं है|ऐसे प्रदर्शन तो होते रहते हैं और होते रहेंगे और कल को माओ वादियों का आन्दोलन हो जाएगा तो क्या उनसे भी मिलना होगा?सत्ता मद में चूर इन्हें पक्ष और विपक्ष कुछ नहीं दिख रहा| लगता है कि इन्हें संसद में अपने बहुमत का घमंड ही ले डूबेगा|

शुक्र है रोटी नहीं मांगी वरना सीरिया की तरह मिसाईल ही चलवा देते

झल्ला

भाई अपनी अपनी समझ है |अभी तक तो ये लोग गैग रेप के दोषियों के लिए फांसी की मांग पर ही बगले झांक रहे थे अब सत्ता मद में शान्ति पूर्वक आन्दोलन करनेवाले और माओवादियों में अंतर भी भूल गए|और वैसे माओ वादी भी तो भारतीय ही हैं इन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए भी तो सैंकड़ों पापड बैले ही जाते हैं|
लेकिन दुर्भाग्य से पहले दोषी पोलिस वालों को बचाने का प्रयास किया गया उसके बाद आन्दोलन की आग जब भड़क गई तो लाठी चार्ज,पानी की बौछारें और आंसू गैस के गोले छोड़े गए \इस कवायद में एक निर्दोष पोलिस कर्मी भी बेचारा मार गया| जब इनसे भी भीड़ तितर बितर नहीं हुई तो आनन् फानन में धारा १४४ लगा कर कर्फियु जैसे हालात पैदा कर दिय गए|
न्याय मांगने वालों से भी आपके गृह मंत्री मिलना जरूरी नहीं समझते |शुक्र है कि इन्होने केवल न्याय माँगा रोटी नहीं मांगी वरना सीरिया के प्रेजिडेंट अल बशर अल असद की तरह मिसाईल [एरियल एटैक] ही चलवा देते

हंगामा होने पर भी प्रोमोशन में आरक्षण का बिल पास नहीं हुआ


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

प्रोमोशन में आरक्षण का एक समर्थक

ओये झल्लेया ये क्या मज़ाक हो रहा है?संसद सत्र समाप्त हो गया और प्रोमोशन में आरक्षण का बिल फिर पास नहीं करवाया गया|ठीक है मुलायम सिंह+शिव सेना ने विरोध किया मगर कांग्रेस +भाजपा और बासपा ने तो गला फाड़ फाड़ कर इसका समर्थन किया था|ओये सदियों से दलितों को ऐसे दिया जायेगा सामाजिक न्याय ?

हंगामा होने पर भी प्रोमोशन में आरक्षण का बिल पास नहीं हुआ

झल्ला

भैया जी ये सपा और बसपा ने अपने अपने रास्ते अपनाए मगर केंद्र में जाकर सभी सरकार को बचाने में ही लगे रहे| अब अप जी की बसपा का नारा रहा है कि जल्दी जल्दी चुनाव होने पर उन्हें [दलितों]फायदा होगा और सरकार जितनी कमजोर होगी उतनी उनके सामने [बसपा]मजबूर होगी मगर इन्होने ही सरकार को गिराने के बजाय उसकी कमजोरे से फायदा उठाना ज्यादा मुफीद[लाभकारी] समझा सपा ने एक ही तीर से सवर्णों को अपनी तरफ खींचा और मुस्लिमो के लिए भी आरक्षण की गेंद उछाल दी है|भाजपा के विरुद्ध एजिटेशन शुरू हो गए हैं और कांग्रेस के एक गुट ने अभी तक पूरी तरह वी पी सिंह के मंडल अभियान में युवकों के आत्मदाह को भुला नहीं पाए हैं|इसीलिए भाजपा और कांग्रेस में भी विरोध के स्वर फूटने लगे हैं| गांधी परिवार के भाजपाई फ़िरोज़ वरुण गांधी भी खुल कर सामने आ गए हैं|अब तो बजट सत्र तक जिसके हांडी आग पर चड़ी रहेगी दाल उसी की ही अच्छी गलेगी| स्वादी बनेगी |खाने लायक बनेगी और हाजमेदार बनेगी|

राहुल गांधी को ज्यादा सीटों पर बुलाया जाता तो स्थिति कुछ और ही होती Rahul Restricted Modi Before 2/3rd Majority


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक भाजपाई चीयर लीडर

ओये झल्लेया मुबारकां ओय देखा दिल्ली के युवराज राहुल गांधी का फेक्टर बिहार,यूं पी के बाद अब गुजरात में भी फेल हो गया| राहुल गांधी के दौरे के बावजूद हसाड़े नरेन्द्र मोदी ने ११५ सीटें ले कर जीत जी हैट्रिक बना ली |मोदी की धन्यवाद रैली में पी एम् पी एम् और दिल्ली दिल्ली के नारे भी लग गए|ओये कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोड्वादिया भी १७००० से ज्यादा वोटों से हार गए मतलब राहुल गांधी यहाँ भी नहीं चले|

राहुल गांधी को ज्यादा सीटों पर बुलाया जाता तो स्थिति कुछ और ही होती

झल्ला

ओ भोले सेठ जी मुझे पता था कि चुनावों के बाद राहुल को निशाना जरूर बनाया जाएगा इसीलिए मेने पहले भी कहा था और अब फिर से कांग्रेसियों के दिल की बात कहता हूँ कि राहुल गांधी ने गुजरात में ८ रैलियों को संबोधित किया और वोह आठों सीट कांग्रेस जीत गई है और भाजपा २/३ मेजोरिटी लेने से रोक दी गई है|अगर राहुल को ज्यादा सीटों पर बुलाया जाता तो स्थिति कुछ और ही होती|क्यों ठीक है न ठीक ???

आजादी के बाद हुए शहीदों की याद में स्मारक बनाने पर इंडिया गेट में सेना का कब्जा हो जाएगा


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक भाजपाई चीयर लीडर

ओये झल्लेया ये कांग्रेसी शीला दीक्षित ने दिल्ली में क्या तानाशाही मचा रखी है? कारगिल युद्ध के पश्चात से ही देश प्रेमियों द्वारा यह मांग उठाई जाती रही है किआजादी के बाद हुए शहीदों के लिए कोई राष्ट्रीय स्मारक बनना चाहिएजिसके लिए आजादी से पूर्व के शहीदों के लिए बनाए गए इंडिया गेट के समीप के स्थान को ही उपयुक्त माना गया है| अब जाकर रक्षा मंत्री ने यहाँ स्मारक बनाने पर सहमति दे दी है और ये दिल्ली कि मुख्य मंत्री शीला दीक्षित कह रही हैं की शहीदों का स्मारक इंडिया गेट पर नहीं बनाना चाहिए |उसके लिए कहीं और जगह ढूँढी जानी चाहिए

आजादी के बाद हुए शहीदों की याद में स्मारक बनाने पर इंडिया गेट में सेना का कब्जा हो जाएगा

झल्ला

ओ मेरे भोले सेठ जी ये सारा कब्जे का खेल है |कौरवों ने तो एक इंच भूमि के बदले महाभारत कर दिया था और शीला दीक्षित अपने हाथों से इंडिया गेट जैसा विश्व प्रसिद्द स्मारक भारतीय सेना के कब्जे में कैसे जाने दे सकती हैं|नहीं समझे सेठ जी शहीदों का स्मारक बनाने पर यहाँ पर कब्जा तो सेना को जाना है और ये सेना वाले तो बड़े बड़े नेताओं को भी सोच समझ कर ही आने जाने देते हैं