Ad

Tag: भाजपा

२ जी स्पेक्ट्रम की कीमतें बाज़ार ने नीलामी में तय कर दी हैं: भारत सरकार

दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल और पी चिदम्बरम [जी ओ एम्] ने आज विपक्ष के तमाम आरोपों को झुट्लाते हुए कहा कि सरकार नीलामी के फ्लॉप होने का जश्न नहीं मना रही है, बल्कि वह आगे बढ़ना चाहती है| उन्होंने कहा कि बेस और केलकुलेटेड प्राईज़ के मुकाबिले बाज़ार नीलामी के माध्यम से प्राईज़ तय करता है|बाज़ार ने जो प्राईज़ तय किया है इसमें कोई हार या जीत नहीं देखी जानी चाहिए| श्री सिब्बल ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हाल में संपन्न 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी के दौरान जिन सर्कलों के लिए बोली नहीं मिली उनके लिए सरकार ने 31 मार्च तक फिर से नीलामी की योजना बनाई है। साथ ही जल्द विनिवेश की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी। अब भी इस साल स्पेक्ट्रम से 27,000 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई जा सकती है। वित्त वर्ष 2013 में 5.3 फीसदी वित्तीय घाटे का लक्ष्य हासिल करने का पूरा भरोसा है।सिब्बल ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दिल्ली एवं मुंबई समेत चार सर्कल में स्पेक्ट्रम की यह नीलामी चालू वित्त वर्ष के अंत तक कराने का इरादा है। प्रेस कांफ्रेंस में सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी भी थे|
दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि हाल में संपन्न 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी के दौरान जिन सर्कलों के लिए बोली नहीं मिली है, उनके लिए सरकार ने 31 मार्च तक फिर से नीलामी की योजना बनाई है।सिब्बल ने कहा कि दिल्ली एवं मुंबई समेत चार सर्कल में स्पेक्ट्रम की यह नीलामी चालू वित्तवर्ष के अंत तक कराने का इरादा है। वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि सरकार नीलामी के फ्लॉप होने का जश्न नहीं मना रही है, बल्कि वह आगे बढ़ना चाहती है। उन्होंने कहा कि अगली कार्ययोजना पर फैसला करने के लिए अधिकार प्राप्त मंत्रिसमूह (ईजीओएम) की बैठक जल्दी ही होगी।
उल्लेखनीय है कि अभी हाल में 2जी स्पेक्ट्रम के लिए दो दिन तक चली नीलामी में कुल 9,407.64 करोड़ रुपये की बोलियां मिलीं, जो न्यूनतम 28,000 करोड़ रुपये के सरकार के लक्ष्य की एक-तिहाई के बराबर है।यह नीलामी 2010 में 3जी स्पेक्ट्रम की 35 दिन चली नीलामी प्रक्रिया के आगे बिल्कुल फीकी रही, जबकि भारी प्रतिस्पर्धा के बीच सरकार को 67,719 करोड़ रुपये हासिल हुए थे। सिब्बल ने कहा कि नीलामी से प्राप्त 9,407.64 करोड़ रुपये के अलावा सरकार को मौजूदा दूरसंचार कंपनियों को मान्य सीमा से अधिक स्पेक्ट्रम रखने पर लगाए जाने वाले एक-मुश्त शुल्क के तौर पर 7,936 करोड़ रुपये भी मिलेंगे। सिब्बल ने कहा, कुल मिलाकर काफी राशि प्राप्त होगी।
बताते चलें कि इस नीलामी की भाजपा और वाम पंथियों ने जम कर आलोचना की है |भाजपा ने जहां इसे विलम्भित एक्शन बताया जबकि सीताराम येचुरी ने कहा कि वर्तमान में ३ जी की नीलामी हो चुकू है और ४ जी के लिए प्रक्रिया प्रग्रती में है ऐसे में २ जी का उपयोग फोन पर डाटा ट्रांसफर करने में ज्यादा होगा वह टेक्नोलोजी पाईप में है इसीलिए इस नीलामी को टाला जाना चाहिए था | चूंकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश था इसीलिए बेशक नीलामी जरुरी थी मगर सुप्रीम कोर्ट को स्थिति से अवगत करा कर स्थगन आदेश लेने के लिए प्रयास जाने चाहिए थे |
इसके अतिरिक्त इस नीलामी से प्राप्त आंकड़ों से उत्साहित केंद्रीय मंत्री वी नारायणसामी और सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) पर सरकार के हमले को जारी रखते हुए कहा है कि कैग को टू जी स्पेक्ट्रम के आवंटन से खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित नुकसान के अपने आंकलन पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री नारायणसामी ने चेन्नई हवाई अड्डे पर कहा कि हमने कहा था कि कैग का आकलन गलत है। नीलामी के बाद यह साबित हो गया है। कैग को इसके बारे में बताना चाहिए। कल सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने सरकार की ओर से हमला करते हुए कैग विनोद राय से पूछा था कि स्पेक्ट्रम की नीलामी में उनके नुकसान के आकलन के करीब की राशि क्यों प्राप्त नहीं हुई।
तिवारी ने कहा था कि मिस्टर कैग, कहां है 1.76 लाख करोड़ रूपये? मैं समझता हूं कि गंभीर आत्ममंथन का समय है। समय आ गया है जब कैग अपनी प्रक्रियाओं के बारे में आत्ममंथन करे और इस मामले में दो वर्षों से राजनीति करने वाली भाजपा और कुछ विपक्षी दलों को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए।

जवाहर लाल नेहरू को जन्म दिन पर श्रधा सुमन

भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जा रहा है और उन्हें याद करते हुए शांति वन में उनकी समाधि पर फूल चढ़ाए.जा रहे हैं|
जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था. उनके पिता का नाम पंडित मोतीलाल नेहरू और माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी था.
बच्चों से इतना अधिक स्नेह होने के कारण ही 14 नवंबर को उनके जन्मदिन को ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी, और दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित शांति वन में देश के पहले प्रधान मंत्री की समाधि पर श्रधा सुमन अर्पित करने पहुंचे|.
ऐसे शुभ अवसरों पर इतिहास के पन्ने खंगाल कर उनसे सबक लेने की आदत अपनाया जाना प्रगर्ति के पहिये को गति देता है|इसीलिए यहाँ में एक उल्लेख करना चाहूंगा:
स्वतंत्रता सेनानी और देश के पहले पी एम् जवाहर लाल नेहरू एक कुशल वक्ता+वकील और भविष्य द्रष्टा थे उन्होंने स्वयम लिखा है कि, ‘हमारे चारों ओर सुन्दर दुनिया है और अच्छी-अच्छी चीजें हैं. लेकिन जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हम इन सुन्दर चीजों को भूलते जाते हैं और छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे से लड़ते हैं. हम अपने कार्यालय में बैठकर यह कल्पना करते हैं कि हम दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं’.| मुझे लगता है कि ये उपदेश आज ज्यादा प्रसांगिक है|यूं तो छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे से लड़ने का घुन्न आज़ादी की लड़ाई के दौरान ही शुरू हो गया था [१]मोहम्मद अली जिन्नाह V/ S नेहरू+पटेल आदि[२] आजादी के बाद नेहरू V/S सरदार वल्लभ भाई पटेल विवाद इतिहास में दर्ज़ है |अब आज़ादी के पौने सात दशक बीतने के बाद भी छोटी छोटी बातों पर लड़ाई जारी है |सत्ता रूड नेहरू की कांग्रेस के साथ अब मुख्य विपक्षी दल भाजपा में भी यह घुन्न कोड़ बनता जा रहा है |
इन्ही नेहरू वादी स्वार्थों के चलते आज अपना मुकाम खोती जा रही है |इसके सहयोगी और अपने मंत्री भी विवादों में घिरते जा रहे हैं| नारायण स्वामी का उदहारण नवीनतम है|भाजपा तो आज कल कदम कदम पर लड़खड़ा रही है इसके अपने अध्यक्ष और मुख्य मंत्रियों पर चारों और से हमले हो रहे हैं |जाहिर है ऐसे में अपने विवाद सुलटाने में बिज़ी [व्यस्त] ये राष्ट्रीय नेता राष्ट्र की हित का कितना सोच पाते होंगे यह यक्ष प्रश्न चर्चा का विषय बनाया जाना चाहिए|

सत्ता दम्भ और असहनशीलता के चलते नेताओं और मीडिया में टकराव आम हुआ

सत्ता दम्भ और असहनशीलता के चलते आज कल राजनीतिज्ञों का टकराव अपने विरोधी पार्टी के नेताओं से कम और पत्रकारों से ज्यादा हो रहा है| बेशक इसमें कुछ हद तक पत्रकारिकता भी दोषी हो सकती है मगर जिस प्रकार से रोजाना भ्रष्टाचार +घोटालों का पर्दाफाश किया जा रहा है लेकिन उनपर कोई विशेष कार्यवाही होती नहीं दिख रही ऐसे में पत्रकारों द्वारा सवाल करना जायज़ ठहराया जा सकता है| पत्रकारों द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीधे मुह पर ही जवाब मांगने से नेताओ का तिलमिलाना स्वभाविक है मगर सवाल करने वाले पर आक्रमण करना या धमकी देना किसी भी द्रष्टि से न्यायोचित नहीं कहा जा सकता|यहाँ किसी एक पार्टी का जिक्र करना उचित नहीं होगा आये दिन एक नई पार्टी का नेता ऐसे ही अपनी दबंगई से चर्चा में आ रहा है| ऐसा नहीं है कि सारा मीडिया ही दूध का धुला है|प्रश्न पूछना भी एक कला है उसमे तथ्य होने जरूरी है मगर देखा जा रहा है कि आज कल प्रेस कांफ्रेंस में सवाल कम और आरोप ज्यादा लगाए जाते है या दूसरों के आरोप पर जवाब माँगने का चलन जोर पकड़ रहा है|इसी कारण प्रेस कांफ्रेंस में भीआरोपों पर डिबेट करने के लिए उतावलापन दिखाई देने लगा है| शायद इसीलिए नेताओं का उत्तेजित होना स्वाभाविक है मगर हाथापाई या धमकी किसी भी सूरत में जायज नहीं कही जा सकती |यह लोक तंत्र के लिए स्वस्थ परम्परा नहीं कही जा सकती|
दुर्भाग्य से अधिकाँश केसों में पालिटिकल पार्टी कोई कार्यवाही करने के बजाये अपने नेताओं को बचाने में लगी रहती है| अपनी बात को शुरू करने के लिए में ९ वे दशक का जिक्र करना चाहूंगा|माननीय मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश में [१]मुख्यमंत्री थे दैनिक जागरण और अमर उजाला अखबारों के मालिकों से उनके पारिवारिक रिश्ते थे|इस पर भी पत्रकारिकता का धर्म निभाते हुए अखबारों में उनकी स्वाभाविक आलोचना भी होती थी|इस आलोचना से तिलमिला कर मुलायम सिंह यादव ने इन दोनों बड़े अखबारों के विरुद्ध कार्यवाही करानी शुरू करदी अमर उजाला की प्रेस में तो छापे भी डलवाए गए मगर सब कुछ ठीक ठाक मिला|अखबारों ने आन्दोलन भी किया कुछ समय बाद इनमे समझौता हो गया | अब में सीधे सीधे वर्तमान दौर में आता हूँ

सत्ता दम्भ और असहनशीलता के चलते नेताओं और मीडिया में टकराव आम हुआ


[२]लखनऊ के लालबाग में प्रदेश मंत्री नटवर गोयल का व्यावसायिक प्रतिष्ठान और अपार्टमेंट है। मंगलवार को छायाकार आशुतोष गुप्ता नजदीक की जमीन पर हो रही खुदाई के फोटोग्राफ लेने गए थे। तभी नटवर के करीबियों ने आशुतोष को पकड़ लिया। अपार्टमेंट की महिलाएं भी हॉकी व डंडे लेकर आ गई। नटवर भी वहां पहुंच गए। उन्होंने, आशुतोष को कार्यालय में बंधक बनाया और मारपीट की। मोबाइल फोन से जानकारी पाकर साथी पत्रकार उन्हें बचाने पहुंचे। नटवर व उनके साथियों ने उनसे भी मारपीट की। कुछ देर में सैकड़ों मीडियाकर्मी एकत्र हो गए और आशुतोष को मुक्त कराया। कैसरबाग पुलिस ने मीडियाकर्मियों की तहरीर पर नटवर गोयल, उनके मैनेजर रवि सिंह, अली, एक अन्य युवक व महिलाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। बाद में नटवर गोयल को गिरफ्तार कर लिया गया। यहाँ पुराणी गलतिओं से सबक लेते हुए मुख्य मंत्री अखिलेश सिंह यादव ने मंत्री से मंत्रित्व छीन लिया|
[३] भ्रष्टाचार और घोटाले के आरोपों से घिरे केन्द्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद पर अरविन्द केजरीवाल ने विकलांग फंड के दुरूपयोग का आरोप लगाया|इससे रुष्ट होकर मंत्री ने केजरीवाल को जान से मारने की धमकी दे डाली | [फर्रखाबाद आयें मगर वापिस नहीं जा पाएंगे] टी वी चैनल आज तक के पत्रकार को भी ऐसी ही धमकी दी गई[यह प्रेस कांफ्रेंस आपकी आख़री प्रेस कांफ्रेंस होगी]इस संधर्भ में कोई कानूनी कार्यवाही किये जाने के बजाये सलमान खुर्शीद का बचाव करते हुए केंद्रीय मंत्री वी नारायणसामी ने आज बुधवार को कहा कि साधारण व बेबुनियाद आरोपों के आधार पर केंद्रीय कानून मंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नही की जा सकती है।गौरतलब है कि खुर्शीद पर उनकी एनजीओ में की गई वित्तीय अनियमितता का आरोप है। इनका एनजीओ विकलांगों के कल्याण हेतु कार्य करता है। [४]श्रीमती सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वढेरा और डीएलएफ के बीच साठ-गांठ पर कुछ भी कहने को कोई तैयार नहीं है| नारायणसामी ने इसे उनका व्यक्तिगत मामला करार दिया
[५]हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीर भद्र सिंह पर इस्पात से रिश्वत लेने और एक साल में ३० गुना आय बढाने के आरोप लग रहे हैं| इस पर प्रश्न पूछने पर सिंह ने पत्रकार का कैमरा तोड़ने की धमकी दे डाली |इनके बचाव में कांगेस के नेता संदीप दीक्षीत ने माफी मांग ली है|
[६]नितिन गडकरी पर लग रहे आरोपों के लिए मीडिया के एक वर्ग द्वारा काराए जा रहे सर्वे को मीडिया ट्रायल का नाम देकर वास्तविकता से पल्ला झाड़ा जा रहा है|
[७]सांसद नवीन जिंदल ने कोयला घोटालों में संलिप्तता के सवाल पर जी न्यूज के पत्रकारों पर न केवल हाथ उठा दिया वरन उन्हें देख लेने की धमकी भी दे दी चैनल का यह भी आरोप है की जिंदल ने चैनल को खरीदने की कोशिश भी की है|
यह भी वास्तविकता है कि सभी पत्रकार दूध के धुले नहीं है मुम्बई के पत्रकार डे की हत्या + हरियाणा के मंत्री गोपाल गोयल कांडा का प्रेस की गाडी में पोलिस थाणे में आकर सरेंडर करना और समाचारपत्र ‘देशोन्नति’ के मालिक और प्रधान संपादक प्रकाश पाहोरे के लगभग 10 दिन पहले नागपुर के समीप गोंडखैरी में हुए काण्ड का उधारन दिया जा सकता है|

देश की राजनीती अरविन्द केजरीवाल पर केन्द्रित हो कर रह गई है

लगता है कि देश की राजनीती अरविन्द केजरीवाल पर केन्द्रित हो कर रह गई है|तभी आजकल जो कुछ भी घट रहा है उसके केंद्र में अरविन्द केजरीवाल ही दिखाई दे रहे हैं| सी डब्लू जी \२ जी+कोयला+ दिल्ली में बिजली के बाद अब हरियाणा में डी एल ऍफ़ और राबर्ट वढेरा केस में भी मुख्य मुद्दों पर चर्चा छोड़ कर आई ऐ सी की गूँज ही सुनाई देती है| भाजपा और कांग्रेस दोनों ही केजरीवाल को एक दूसरे की बी टीम बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे |कांग्रेस लगातार आई ऐ सी को भाजपा की इकाई बताती आ रही है| कांग्रेस के महासचिव दिग्विजयसिंह ने २७ सवाल जरूर पूछे मगर उन्हें भी इसके लिए केजरीवाल हे दिखाई दिए|अब दिल्ली की सरकार ने बिजली के दाम कम किये तब भी इसे केजरीवाल और कांग्रेस की मिली भगत बताया जा रहा है| मुम्बई में योगेश प्रताप सिंह अगर बोलते हैं तो वोह भी केजरीवाल को निशाना बनाने से नहीं चूकते | एक चलती हुई प्रेस कांफ्रेंस में आकर एनी कोहली नामक महिला अरविन्द केजरीवाल से ही प्रश्न पूछती है|इसके बाद आज फिर आई ऐ सी के प्रशांत भूषण के निवास पर पहुँच कर हंगामा करती है और वहां आई ऐ सी के कार्यकर्ताओं पर मार पीट का आरोप लगाती हैं\इनका बीच बचाव करने के लिए अरविन्द केजरीवाल को ही क्रेडिट दिया जा रहा है|आईएसी का पूर्व मेंबर बताने वालीं 59 वर्षीय एनी कोहली आज मंगलवार को प्रशांत भूषण के घर पहुँच गई जहां मार पीट के आरोप लगाये गए |घर में मौजूद केजरीवाल ने बीचबचाव किया और उन्हें घर में ले गए। कोहली ने केजरीवाल को रोते हुए बताया कि उनके समर्थकों ने उनसे बदसलूकी और मारपीट की।

देश की राजनीती अरविन्द केजरीवाल पर केन्द्रित हो कर रह गई है


गौर तलब है कि रविवार को केजरीवाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन पर सवालों की झड़ी लगाने वाली एनी कोहली आज मंगलवार को आईएसी के सदस्य प्रशांत भूषण के घर जा पहुंचीं।कोहली के मुताबिक अन्ना ने जब भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ी, तो उससे प्रभावित होकर वह आईएसी की मेंबर बन गईं और आंदोलन से जुड़ गईं। वह खुद को आम जनता बताती हैं। एनी कोहली ने एक और आरोप लगते हुए कहा कि केजरीवाल के राजनीतिक पार्टी बनाने के ऐलान से वह आहत हैं। यह अन्ना के साथ धोखा है। कुछ समय पहले केजरीवाल मुंबई आए थे। वहां एयरपोर्ट पर उन्होंने बात करने की कोशिश की, पर केजरीवाल के समर्थकों ने धक्का देते हुए सभी को भगा दिया। मुंबई की रहने वाली एनी कोहली 59 साल की हैं।उन्होंने बताया कि वह एक हफ्ते पहले मुंबई से दिल्ली पहुंची थीं और फिर रविवार को केजरीवाल से सवाल पूछने आईं। केजरीवाल ने उनके किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। पर वह सवाल पूछना बंद नहीं करेंगी। यह सिलसिला तब तक जारी रहेगा जब तक वह जवाब नहीं दे देते।
बताते चलें कि सवाल करना और फिर उनके जवाब पाना संवैधानिक अधिकार है और लोकतांत्रिक परम्परा को गति प्रदान करने वाला है लेकिन सवालों में उलझा कर असली मुद्दों से देश को भटकाना जनता के साथ धोखा ही कहा जाएगा|दिग्विजय सिंह ने जो सवाल किये उनका जवाब देने के लिए बहस की चुनौती आने पर दिग्विजय सिंह का कहना है कि पहले केजरीवाल कोहली को जवाब देदें उसके बाद अपने प्रतिक्रया देंगें|वैसे अभी कोहली के विरोध को प्रायोजित कहना जल्द बाज़ी होगा मगर उनके मुख से कोहली का नाम निकलना कुछ सोचने को मजबूर जरूर करता है

अरविन्द केजरीवाल सच्चे हैं तो गडकरी के साथ खुर्शीद और राबर्ट को भी सलाखें गिनने का मौका देना होगा


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक कांग्रेसी चीयर लीडर

ओये झल्लेया इंडिया अगेंस्ट करप्शन वालों ने अब की बार तो कमाल ही कर दिया| ओये ये भाजपा वाले अपने आप को लीक से हट कर बेहद इमानदार पार्टी कहते नहीं थकते थे अब की बार अरविन्द केजरीवाल ने भाजपा के सिरमौर नितिन गडकरी की १०० एकड़ लैंड ग्रैबिंग आदि धांधलियों का पर्दा फाश कर दिया | भाजपा अध्यक्ष खुद उपजाऊ सरकारी जमीन कब्जा कर वहां इंडस्ट्रीज लगा रहे हैं|किसानो को आत्म हत्या के लिए मजबूर कर रहे हैं| पर्यावरण की ऐसी की तैसी कर रहे हैं |इस पर नंगई तो देखो पूरी भाजपा खुल कर नंगी होकर एक तरफ यह मान रही है के हाँ नितिन गडकरी ने जमीन ली है लेकिन उसके साथ ही बेचारे अरविन्द को ब्लैक मेलर भी कह रही है|अब चूँकि | बंगारू लक्ष्मण जेल से बाहर आ गए हैं उन्होंने जेल में जो कोठरी खाली की है उसमे नितिन गडकरी को भी सलाखें गिनने का मौका दे दिया जाना चाहिए|बंगारू लक्ष्मण और गडकरी काण्ड के बाद अब तो इस भाजपा को गंगा जी में डूब ही मरना चाहिए|

अरविन्द केजरीवाल सच्चे हैं तो गडकरी के साथ खुर्शीद और राबर्ट को भी सलाखें गिनने का मौका देना होगा

झल्ला

मेरे चतुर सुजान जी अगर केजरीवाल की बात में दम है और तथ्यों में सच्चाई है तब तो सलमान खुर्शीद और राबर्ट वढेरा के साथ स्वयम प्रधान मंत्री के लिए भी कोठरी रिजर्व होनी चाहिए क्योंकि इससे पहले केजरीवाल ने इन्ही महापुरुषों के सर में दर्द पैदा किया है|लेकिन यह नहीं होगा और वोह भी नहीं होगा क्योंकि अरविन्द जो भाजपा के लिए कहता है आपके लिए वोही सत्य है और आपके लिए जो कहता है भाजपा के लिए केवल वोही सत्य है| देखा नहीं किस तरह राबर्ट वढेरा के लैंड स्कैम के विषय में पूछते ही दिग्विजय सिंह+हरीश रावत जैसे धुरंध्र्रों को भी सांप सूंघने लगा है|उसकी जाँच तो दूर चर्चा करने से भी कतराने लग गए हैं|