Ad

Tag: मेरठ

भक्ति मार्ग के पथिक को प्रेम एवं श्रद्धा अनिवार्य है.

द्वेष , कलह विवाद जहाँ, वहां न भक्ति उमंग
यथा ही मिलकर ना रहे, अग्नि गंग के संग.
भक्ति प्रकाश ग्रन्थ के रचयिता संत शिरोमणि श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज
जिज्ञासुओं को समझाते हुए कहते हैं कि जहाँ ईर्ष्या, क्लेश, तर्क वितर्क हैं वहां
भक्ति का आगमन नहीं हो सकता जैसे अग्नि एवं पानी मिलकर नहीं रह सकते .
अर्थात भक्ति मार्ग पर अग्रसर होने के लिए प्रेम एवं श्रधा का होना अनिवार्य है.

स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा रचित भक्ति प्रकाश ग्रन्थ का एक अंश
श्री रामशरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ

श्रद्धा और विश्वास से भक्ति पथ आसान होता है

श्रद्धा निश्चय हीन मैं, भक्ति न अंकुर लाये ,
केसर कमल कपूर कब, ऊसर में उपजाय.

संतजन मनुष्यों को समझाते हुए कहते हैं कि प्रभु के नाम में जब तक सच्ची श्रधा तथा अटूट निश्चय आपके ह्रदय मैं नहीं होगा तब तक आप भक्ति के पथ पर अग्रसर नहीं हो सकते हैं.
जैसे अगर भूमि उपजाऊ नहीं है तो उस ऊसर भूमि पर केसर, कमल एवं कपूर पैदा नहीं हो सकता है.

स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा रचित भक्ति प्रकाश ग्रन्थ का एक अंश

श्री रामशरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ

परमात्मा को छल कपट से नहीं सच्चे प्रेम से पाया जा सकता है

जिस मन में छल कपट हो, उस में न भक्ति मेल,
जिस तरु जड़ में आग हो, उस पर चढ़े न बेल.

संतजन मनुष्यों को समझाते हुए कहते हैं कि प्रभु की आराधना निष्काम,निष्कपट एवं सच्चे मन से करो क्योंकि अगर हमारे मन में छल कपट हो तो भक्ति भवानी जाग्रत नहीं हो सकती.
परमात्मा को छल कपट से नहीं वरन प्रेम से पाया जा सकता है. जैसे किसी वृक्ष की जड़ में अगर आग लगी हुई हो तो कोई भी बेल उस पेड़ पर नहीं चढ़ती.
स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा रचित भक्ति प्रकाश ग्रन्थ का एक अंश
श्री रामशरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ

राम नाम का जाप से आध्यात्मिक सुखों की कोई सीमा नहीं

तारक मंत्र राम है, जिस का सुफल अपार
इस मंत्र के जाप से, निश्चय बने निस्तार

भावार्थ: राम नाम का जाप इस संसार रुपी भवसागर से पार उतारने वाला है.
इस मंत्र के जाप से मिलने वाले आध्यात्मिक सुखों की कोई सीमा
नहीं है तथा इसके जाप से मनुष्य निश्चय ही जनम मरण के चक्र
से छुटकारा पा जाता है.

स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृतवाणी का एक अंश
प्रेषक: श्री राम शरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ

हे राम ! अपनी प्रीती दो. आपकी प्रीती सच्ची है अतुल्य है.

एक जिज्ञासु की परमात्मा से प्रार्थना
हे राम मुझे दीजिये अपनी लगन अपार
अपना निश्चय अटल दे अपना अतुल्य प्यार
भावार्थ: एक जिज्ञासु परम पिता परमात्मा से प्रार्थना करते हुए कहता है, हे परमेश्वर
मुझे अपने चरणों की भक्ति एवं लगन बक्शो, मुझे अपने नाम की प्रीती बक्शो.
मेरा आपकी भक्ति करने तथा आपके पावन नाम को जपने का अटल निश्चय हो ,
हे राम ! मुझे अपनी प्रीती दो. आपकी प्रीती सच्ची है तथा जिसकी तुलना किसी से
नहीं की जा सकती जो अतुल्य है.
स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा रचित भक्ति प्रकाश ग्रन्थ का एक अंश
श्री रामशरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ

राम नाम की पूँजी मुक्ति का आधार

पूँजी राम नाम की पाइए. पाथेय साथ नाम ले जाइये
नशे जन्म मरण का खटका, रहे राम भक्त नहीं अटका.

भाव : संतजन हमें समझाते हुए कहते हैं कि मनुष्य को इस जीवन में राम नाम का धन एकत्र करना चाहिए
क्योंकि केवल यही धन ऐसा है जो परलोक में भी मनुष्य के साथ जाता है इसके सिवाय कोई और सांसारिक
वस्तु साथ नहीं जाती . जिस मनुष्य के पास राम नाम की पूँजी है उसे जीवन मृत्यु के आवागमन का संशय नहीं रहता .
तथा मुक्ति मार्ग में आने वाली विघ्न- बाधाएँ परमात्मा की कृपा से समाप्त हो जाती हैं .

स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृतवाणी का एक अंश
प्रेषक: श्री राम शरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ