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Tag: स्वामी सत्यानन्द जी महाराज

भगवान का नाम परम पवित्र और संसार सागर से पार उतारने वाला है

परम – पुण्य प्रतीक है , परम – ईश का नाम ।
तारक-मन्त्र शक्ति घर , बीजाक्षर है राम ।
साधक-साधन साधिये , समझ सकल शुभ-सार ।
वाचक – वाच्य एक है , निश्चित धार विचार ।

भाव: परमेश्वर, स्वामी , उच्चतम शासक अर्थात भगवान का नाम परम पवित्रता का चिन्ह है – परम शुद्धता की मूर्ति है- नाम। “राम ” जो शक्ति का पुंज है , पूर्ण अर्थात मूल मन्त्र है , वह संसार सागर से पार उतरने वाला है , उद्धार करने वाला है , मोक्ष दाता है ।
अतएव हे साधक , राम-मन्त्र को सब अच्छाइयों का निचोड़ समझकर आध्यात्मिक साधनों का अभ्यास करो । इस तथ्य को निश्चित रूप से धारण करो कि जिस वस्तु तथा शब्द द्वारा उसे वर्णित किया जा रहा है , दोनों एक हैं , अर्थात अपने ह्रदय में यह सुदृढ़ विश्वास रखो कि नाम एवं नामी , वाचक एवं वाच्य एक ही हैं ।
स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृतवाणी का एक अंश,
प्रस्तुति राकेश खुराना

प्रभु राम का रूप है – परम कृपा -(Supreme Grace) किन्तु उनका आतंरिक स्वभाव सुख देने वाला मंगल कारी है

सुखदा है शुभा कृपा, शक्ति शांति स्वरूप ।
है ज्ञान आनंदमयी, राम – कृपा अनूप ।
भावार्थ :प्रभु राम का रूप है – परम कृपा -(Supreme Grace) किन्तु उनका स्वरूप (आतंरिक स्वभाव) है – सुख देने वाला , मंगल करनेवाला, हर्ष, हित,
अच्छाई , सौभाग्य प्रदान करने वाला । उनकी कृपा अतुल्य है , वह ज्ञान एवं आनंद का भंडार है , शक्ति-सामर्थ्य , शांति-आनंद का अक्षय स्रोत है । राम कृपा सुख देने वाली है, सब का मंगल करने वाली है , शक्ति व शांति उसके निज रूप हैं , वह आनंद और ज्ञान से परिपूर्ण है अतः अनुपम है ।
रूप-स्वरूप : आभूषण का रूप है – हार, कंगन,कुंडल आदि परन्तु उसका स्वरूप है स्वर्ण । मिश्री चपटी है , दानेदार है – यह मिश्री का दिखाई देने वाला रूप है , परन्तु मिश्री का स्वरूप है- उसकी मिठास । हर प्रकार की मिश्री मीठी होती है ।
स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृतवाणी का एक अंश,
प्रेषक: श्री राम शरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ,
प्रस्तुति राकेश खुराना

हे प्रभु मुझे राम के रंग से रंग दो : अंतःकरण में शान्ति एवं प्रेम का साम्राज्य स्थापित करो

[मेरठ] कंकरखेडा, में स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृतवाणी सत्संग के सुअवसर पर पूज्य श्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने प्रवचन में प्रभु के सच्चे गाढे रंग में रंगे जाने की कामना की है| :
रंगन वाले देर क्या है, मेरा चोला रंग दे
राम रंग दे प्रेम रंग रंग दे ॥

 हे प्रभु मुझे राम के रंग से रंग दो : अंतःकरण में शान्ति एवं प्रेम का साम्राज्य स्थापित करो

हे प्रभु मुझे राम के रंग से रंग दो : अंतःकरण में शान्ति एवं प्रेम का साम्राज्य स्थापित करो


उन्होंने प्रभु से प्रार्थना की कि हे दीनदयाल मेरा चित्त जो जगत के भोगों की दलदल में रंग हुआ है उसे अपने रंग में रंग दो। अभी तक मैंने जितनी बार भी रंगा सारे के सारे रंग झूठे एवं फीके थे हे प्रभु तू इसे अपने प्रेम के गूढे रंग में रंग दे। इसे राम रंग से रंग दे जिससे मेरा अंतःकरण में शान्ति एवं प्रेम का साम्राज्य स्थापित हो जाये।
पूज्य श्री भगत नीरज मणि ऋषि जी,
प्रस्तुति रकेः खुराना

राम – नाम की धुन मात्र से दुःख , पीड़ा देने वाले शोक – संकट भाग जाते हैं

राम – नाम जो जन मन लावे ,
उस में शुभ सभी बस जावें ।
जहाँ हो राम – नाम धुन नाद ,
भागें वहाँ से विषम – विषाद ।

राम – नाम की धुन मात्र से दुःख , पीड़ा देने वाले शोक – संकट भाग जाते हैं ।

भाव : जो व्यक्ति अपने मन में राम – नाम को आसीन कर लेता है ,उसमें सभी प्रकार की धन्यता का वास हो जाता है । उसे सौभाग्य , सुख , समृद्धि अर्थात सब प्रकार के आशीर्वाद प्राप्त हो जाते हैं । जहाँ राम – नाम की धुन गूंजती है , वहां से दुःख , पीड़ा देने वाले शोक – संकट भाग जाते हैं ।
श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृत वाणी का एक अंश
प्रस्तुति राकेश खुराना